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Mathura: मथुरा के सभी मंदिर भक्तों के लिए विशेष स्थान रखते हैं. हालांकि जब बात द्वारकाधीश मंदिर की आती है तो यहां प्रभु की महिमा के साथ ही एक और चीज जो भक्तों का मन मोहती है वो है यहां की खूबसूरती. यहां की नक्काशी…और पढ़ें

मथुरा: मथुरा के ठाकुर द्वारिकाधीश मंदिर की नक्काशी अद्भुत है. इस मंदिर की नक्काशी को अगर आप देखेंगे, तो कायल हो जाएंगे. मंदिर का निर्माण 200 साल पहले कराया गया था. ग्वालियर के एक सेठ के परिवार ने इस मंदिर का निर्माण कराया था. मंदिर में आने वाले हर व्यक्ति को यहां सु:खद एहसास की अनुभूति होती है. भगवान द्वारिकाधीश मंदिर में स्थापित प्रतिमा किस चीज की बनी है, आइये जानते हैं.

करीब 200 साल पहले कराया गया था मंदिर का निर्माण
यमुना किनारे बने विश्राम घाट के पास असकुंडा घाट के नजदीक बना यह मंदिर, मथुरा के सबसे पवित्र मंदिरों में से एक है. इस मंदिर को जगत मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. मंदिर का निर्माण ग्वालियर रियासत के खजांची सेठ गोकुल दास पारीख ने 1814 में करवाया था. यह मंदिर, अपनी वास्तुकला और पेंटिंग के लिए जाना जाता है. द्वारिकाधीश मंदिर में भगवान कृष्ण और राधा की मूर्तियां हैं.

भक्त हो जाते हैं कायल
भगवान कृष्ण को काले संगमरमर की मूर्ति में दर्शाया गया है. मथुरा और वृंदावन को धर्म नगरी के नाम से जाना जाता है और यही वजह है कि यहां मंदिरों की एक बड़ी श्रृंखला है. भगवान द्वारिकाधीश मंदिर भी अपने आप में विशेषता रखता है. इस मंदिर में आने वाला हर श्रद्धालु अपने आप को भाग्यशाली मानता है. यही वजह है भगवान द्वारिकाधीश की कृपा यहां आने वाले सभी भक्तों पर बरसती रहती है. मंदिर की नक्काशी और यहां की अद्भुत और अलौकिक डिजाइन यहां आने वाले लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है. जो भी भक्त इस मंदिर की कलाकृति को देखता है, वो भगवान द्वारिकाधीश का कायल हो जाता है.

200 वर्ष पूर्व पहले कराया गया था मंदिर का निर्माण 
यहां आने वाला हर भक्त द्वारिकाधीश की भक्ति में सराबोर नजर आता है. यह मंदिर सकुंडा घाट के पास बना हुआ है और इस मंदिर की अलौकिक छटा लोगों के सिर चढ़कर बोलती है. भगवान द्वारिकाधीश मंदिर के मीडिया प्रभारी राकेश तिवारी से जब मंदिर के निर्माण के बारे में बात की गई तो लोकल 18 की टीम से उन्होंने बताया कि ग्वालियर के एक सेठ परिवार ने मंदिर का निर्माण 200 साल पहले कराया था.

जमीन खरीद कर विराजमान किए गए द्वारकाधीश
उन्होंने आगे बताया कि पारिख जी को द्वारिकाधीश स्वप्न में आए थे. सपने में आने के बाद उन्होंने जब खुदाई कराई तो द्वारिकाधीश की प्रतिमा मिली. वृंदावन के पागल बाबा मंदिर के सामने भगवान द्वारिकाधीश मंदिर का एक बगीचा है. वहां भगवान को विराजमान कहां किया जाए यह असमंजस वाली स्थिति थी, तब यमुना के किनारे भगवान को विराजमान किया गया. यमुना के किनारे असकुंडा घाट पर इस जमीन को खरीदा गया और भगवान द्वारिकाधीश मंदिर का निर्माण कराया गया.

दर्शन के लिए आते हैं हजारों भक्त
बता दें कि भगवान द्वारकाधीश मंदिर में हर दिन हजारों भक्त ठाकुर राजाधिराज के दर्शन करने के लिए आते हैं. यहां आने वाले हर भक्त की मनोकामना पूर्ण होती है. जो भक्त ठाकुर की विधि विधान से सेवा पूजा करता है, उसे भक्त को मनवांछित फल द्वारिकाधीश भगवान देते हैं.

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प्रभु की महिमा के साथ ही इस चीज के लिए प्रसिद्ध है ये मंदिर, मोह लेता है मन!

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