-2004-14 की तुलना में 2014-24 के दौरान निर्मित एलएचबी कोचों की संख्या 16 गुना से अधिक
-सुगम्य भारत मिशन के हिस्से के रूप में, भारतीय रेलवे दिव्यांगजनों और कम गतिशीलता वाले यात्रियों को अधिकांश मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों और वंदे भारत ट्रेनों में व्यापक सुविधाएं प्रदान
उदय भूमि
नई दिल्ली। देश में लंबी और मध्यम दूरी की यात्रा के लिए भारतीय रेलवे 10 वंदे भारत स्लीपर ट्रेनों का निर्माण कर रहा है। इसका पहला प्रोटोटाइप तैयार हो चुका है और जल्द ही इसकी टेस्टिंग शुरू कर दी है। इसके अलावा, 200 वंदे भारत स्लीपर रेक बनाने का ठेका भी तकनीकी भागीदारों को दिया जा चुका है। टेस्टिंग सफल होने के बाद ही इन ट्रेनों को चलाने की डेडलाइन तय की जाएगी। लोकसभा में यह जानकारी रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दी है। ट्रेन के रोलआउट की समय-सीमा परीक्षणों के सफल समापन के अधीन है। 2 दिसंबर 2024 तक, देश भर में छोटी और मध्यम दूरी की यात्रा के लिए भारतीय रेलवे के ब्रॉड गेज विद्युतीकृत नेटवर्क पर 136 वंदे भारत ट्रेन सेवाएं चालू हैं। रेल, सूचना एवं प्रसारण और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा के पटल पर रखे एक बयान में कहा कि विश्व स्तरीय यात्रा का अनुभव देने के लिए, भारतीय रेलवे के ब्रॉड गेज विद्युतीकृत नेटवर्क पर वर्तमान में चेयर कार वाली 136 वंदे भारत ट्रेन सेवाएं चालू हैं।
अक्टूबर, 2024 तक वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों की कुल ऑक्यूपेंसी 100 प्रतिशत से अधिक है। एक अन्य प्रश्न के उत्तर में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारतीय रेलवे की उत्पादन इकाइयां अप्रैल 2018 से केवल एलएचबी कोच का उत्पादन कर रही हैं। पिछले वर्षों के दौरान एलएचबी कोचों का उत्पादन लगातार बढ़ा है। 2014-24 के दौरान निर्मित एलएचबी कोचों की संख्या 2004-14 के दौरान निर्मित (2,337) संख्या से 16 गुना (36,933) अधिक है। भारतीय रेलवे (आईआर) ने एलएचबी कोचों की भरमार कर दी है। सुगम्य भारत मिशन (सुगम्य भारत अभियान) के हिस्से के रूप में, भारतीय रेलवे दिव्यांगजनों और कम गतिशीलता वाले यात्रियों के लिए सुगमता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण प्रगति कर रहा है।
दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 के दिशा-निर्देशों के तहत, रैंप, सुलभ पार्किंग, ब्रेल और स्पर्शनीय संकेत, कम ऊंचाई वाले काउंटर और लिफ्ट/एस्केलेटर जैसी व्यापक सुविधाएं प्रदान की गई हैं। नवंबर 2024 तक, भारतीय रेलवे ने 399 स्टेशनों पर 1,512 एस्केलेटर और 609 स्टेशनों पर 1,607 लिफ्टें स्थापित की थीं, जो पिछले दशक की तुलना में उल्लेखनीय वृद्धि को दर्शाता है – क्रमश: 9 और 14 गुना की वृद्धि। इसके अलावा, अधिकांश मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों में चौड़े प्रवेश द्वार, सुलभ शौचालय और व्हीलचेयर पार्किंग वाले समर्पित कोच उपलब्ध हैं, जबकि वंदे भारत ट्रेनें दिव्यांगजनों के लिए स्वचालित दरवाजे, निर्धारित स्थान और ब्रेल साइनेज जैसी सुविधाओं के साथ बेहतर सुगमता प्रदान करती हैं।
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