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-रैंसमवेयर, फिशिंग और डेटा चोरी जैसे उभरते साइबर खतरों से बचाव की विद्यार्थियों को दी जानकारी

गाजियाबाद। डासना स्थित एसडीजीआई समूह संस्थान ने एसडीजीआई सेमिनार हॉल में गुरुवार को साइबर सुरक्षा पर एक संगोष्ठी का सफलतापूर्वक आयोजन किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य साइबर सुरक्षा के वर्तमान और भविष्य के परिदृश्यों की व्यापक समझ प्रदान करना था, जिसमें उभरते खतरों और उनसे निपटने की रणनीतियों पर विशेष ध्यान दिया गया। कार्यक्रम की शुरुआत पारंपरिक दीप प्रज्वलन समारोह से हुई, जो ज्ञान के प्रकाश का प्रतीक है। इस कार्यक्रम में माननीय कुलाधिपति महेंद्र अग्रवाल ने विचारोत्तेजक संबोधन दिया, जिसमें उन्होंने आज के डिजिटल युग में साइबर सुरक्षा के बढ़ते महत्व को रेखांकित किया। माननीय कुलपति डॉ. प्रसनजीत कुमार और रजिस्ट्रार डॉ. राजीव रतन ने साइबर सुरक्षा खतरों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के महत्व पर अपने बहुमूल्य विचार साझा किए।

इंजीनियरिंग के निदेशक डॉ. हरीश तलुजा ने विषय पर गहन जानकारी दी, जिससे मुख्य भाषण के लिए मंच तैयार हुआ। इस कार्यक्रम में इंजीनियरिंग, बीसीए और एमसीए विभागों के संकाय सदस्य और छात्रों ने सक्रिय रूप से भाग लिया, जिससे यह आयोजन अत्यधिक सफल रहा। इस आयोजन का मुख्य आकर्षण पूर्व डीएसपी यूपी पुलिस श्री भरमपाल सिंह का मुख्य भाषण रहा। साइबर सुरक्षा में अपनी विशेषज्ञता और जटिल साइबर अपराधों से निपटने के अपने व्यापक अनुभव के लिए प्रसिद्ध श्री सिंह ने साइबर परिदृश्य के विकास पर अमूल्य अंतर्दृष्टि प्रदान की। उन्होंने रैंसमवेयर, फिशिंग और डेटा चोरी जैसे उभरते साइबर खतरों पर चर्चा की और उनके बढ़ते परिष्कार पर प्रकाश डाला। श्री सिंह ने मजबूत साइबर सुरक्षा प्रोटोकॉल और सतत जागरूकता की आवश्यकता पर जोर देते हुए इन खतरों को प्रभावी ढंग से कम करने के लिए क्रियात्मक उपायों की रूपरेखा प्रस्तुत की।

उन्होंने साइबर सुरक्षा के भविष्य की भी जानकारी दी और बताया कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता, मशीन लर्निंग और ब्लॉकचेन जैसी प्रौद्योगिकियों में प्रगति कैसे आने वाले वर्षों में डिजिटल सुरक्षा सुनिश्चित करने की रणनीतियों को फिर से परिभाषित करेगी। श्री सिंह ने साइबर हमलों के वास्तविक उदाहरणों के माध्यम से दर्शकों को आकर्षित किया और व्यक्तियों और संगठनों के लिए अपनी साइबर सुरक्षा रूपरेखा को बेहतर बनाने के लिए व्यावहारिक सलाह दी। सत्र का समापन एक रोचक प्रश्नोत्तर खंड के साथ हुआ, जिसमें प्रतिभागियों ने व्यावहारिक चुनौतियों पर चर्चा की और श्री सिंह से क्रियात्मक सिफारिशें प्राप्त कीं।

बीसीए विभाग की विभागाध्यक्ष प्रोफेसर योगिता और सीएसई विभाग की वंदना ने कार्यशाला के सफल आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और इसके सुचारू क्रियान्वयन और प्रभाव को सुनिश्चित किया। यह आयोजन एसडीजीआई समूह संस्थानों की तकनीकी प्रगति के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने और ज्ञान व नवाचार के माहौल को प्रोत्साहित करने की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है। इस तरह के प्रभावशाली कार्यक्रमों का आयोजन करके, विश्वविद्यालय का उद्देश्य अपने छात्रों और शिक्षकों को तेजी से डिजिटल हो रही दुनिया में सफल होने के लिए आवश्यक कौशल से लैस करना है।

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