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हरदोई: भारत में नाग-नागिन को लेकर एक पुरानी धारणा है कि अगर नाग को कोई मारा देता है तो उसकी आंखों में मारने वाले की तस्वीर छप जाती है. बाद में उसका नागिन अपने साथी की मौत का बदला ज़रूर लेती है. फिल्मी कहानी की तर्ज पर एक अजीबोगरीब मामला उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले से सामने आया है. यहां एक युवक के पीछे एक नागिन कई महीने से पड़ी हुई है. युवक और उसके परिवार का दावा है कि एक ही नागिन चार बार युवक को डस चुकी है, लेकिन समय पर इलाज मिल जाने की वजह से हर बार युवक की जान बच गई. युवक नागिन से पीछा छुड़ाने के लिए तमाम प्रयास कर रहा है. लेकिन उसके बावजूद भी नागिन मौका मिलते ही उसको निशाना बना रही है. नागिन के डर की वजह से युवक और उसका परिवार दहशत में है.

पूरा मामला हरदोई जिले के सवायजपुर कोतवाली क्षेत्र के गांव देवपुर का रहा है. यहां के रहने वाले आनंद लाल के 18 वर्षीय बेटे चंद्रशेखर को एक ही नागिन ने चार बार डसा है. चंद्रशेखर ने लोकल 18 को जानकारी देते बताया कि कुछ समय पहले उसने खेत में नाग नागिन के जोड़े पर डंडे से हमला कर दिया था. इस हमले में नाग की मौत हो गई थी, जबकि नागिन जान बचाकर झाड़ियां में जाकर छिप गई. इसके बाद वह रोजाना की तरह अपने खेत पर जाता रहा लेकिन 29 अगस्त को खेत जाते वक्त रास्ते में नागिन ने उसको डस लिया. आनन- फानन में परिजनों उसे मेडिकल कॉलेज लेकर पहुंचे यहां समय पर इलाज मिलने पर स्वस्थ हो गया.

डेढ़ महीने बाद भी न भूली नागिन
चंद्रशेखर फिर से अपनी आम जिंदगी जीने लगा लेकिन करीब डेढ़ महीने का वक्त बीतने के बाद 15 अक्टूबर को नागिन ने एक बार फिर से उसे निशाना बनाया, वह अपने घर में चारपाई पर सो रहा था. उसी दौरान नागिन ने उसको डस लिया, जानकारी होते ही परिजन उसे आनन-फानन में नजदीकी अस्पताल लेकर पहुंचे. यहां हालत गंभीर होने पर डॉक्टरों ने लखनऊ रेफर कर दिया. बेहतर इलाज मिलने की वजह से चंद्रशेखर की जान एक बार फिर से बच गई. इसके बाद चंद्रशेखर ने नाग को मारने की पूरी घटना अपने परिवार वालों को बताई तो पूरा परिवार दहशत में आ गया.

नागिन करती रही इंतजार
नागिन के बार-बार डसने से चंद्रशेखर और उसके परिवार के लोग दहशत में आ गया है और चंद्रशेखर को रिश्तेदारी में भेज दिया. यहां चंद्रशेखर करीब एक महीने तक रहा और जैसे ही वापस अपने गांव पहुंचा तो खेत जाते समय 21 नवंबर को नागिन ने तीसरी बार डस लिया. चंद्रशेखर के भाग्य ने एक बार फिर से साथ दिया, समय पर बेहतर इलाज मिला और चंद्रशेखर की जान बच गई. नागिन के तीसरे हमले के बाद परिवार वालों ने रखवाली करना शुरू कर दी.

कड़ा पहरा भी न आया काम
बार-बार हो रहे नागिन के हमले से चंद्रशेखर और उसका परिवार पूरी तरह से खौफ में है . जब चंद्रशेखर सोता है तो उसके परिवार के लोग हाथों में लाठी-डंडे लेकर चारपाई के चारों ओर बैठकर रखवाली करते हैं. चंद्रशेखर ने मच्छरदानी लगाकर सोना शुरू कर दिया, लेकिन परिवार वालों का कड़ा पहरा और मच्छरदानी भी काम नहीं आई. 3 दिसंबर को मच्छरदानी में सो रहे चंद्रशेखर की उंगली पर नागिन एक बार फिर से डस लिया लेकिन किस्मत एक बार फिर से चंद्रशेखर के साथ थी और उसकी जान बच गई. फिलहाल बार-बार हो रहे नागिन के हमले की चर्चा क्षेत्र में फैली हुई है.

Tags: Hardoi News, Local18, Uttar Pradesh News Hindi

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