रातरानी का फूल सफेद होता है. रातरानी का फूल दिन की अपेक्षा रात में खिलता है. जिसकी खुशबू बहुत तेज रहती है जो अपने लगे होने के क्षेत्र से करीब 50 से 60 या फिर 100 मीटर के एरिया तक को कवर करती है.
कैसे बनता है इत्र
रातरानी का इत्र बनाने के लिए व्यापारी कन्नौज की सबसे प्राचीन पद्धति डेग-भभका का ही इस्तेमाल करते हैं. बड़े से डेग में फूलों को भर दिया जाता है. उसके बाद उसको तेज आंच पर गर्म करते हुए मानक के अनुसार स्टीम के माध्यम से उसका इत्र तैयार किया जाता है. रातरानी के नेचुरल खुशबू से थोड़ा सा हटकर इत्र तैयार होता है.लेकिन लगभग उसी प्रकार की यह खुशबू रहती है जो पेड़ों से निकलकर वातावरण में फैलती है.
क्या रहता रेट
वहीं इसके रेट की बात की जाए तो 400 रुपये 10 ग्राम से शुरू होकर 600 रुपये 10 ग्राम तक इसका रेट पहुंच जाता है.वहीं अगर इस इत्र में सैंडलवुड इत्र का प्रयोग किया जाता है तो इसकी कीमत करीब 1200 रुपए तक पहुंच जाती है.
क्या बोले इत्र व्यापारी
इत्र व्यापारी निशीष तिवारी बताते हैं कि रात रानी एक ऐसा इत्र है जो सबसे ज्यादा सुगंध वाला इत्र रहता है. इसमें तेज खुशबू रहती है लेकिन यह इत्र सर पर बिल्कुल भी नहीं चढ़ता. इस खुशबू से फ्रेशनेस और रिलैक्स फील होता है. यहीं एक ऐसी खुशबू है जो बहुत तेज होने के बाद भी सर पर नहीं चढ़ती है. बल्कि यह खुशबू अन्य खुशबू की अपेक्षा बहुत सुखद एहसास दिलाता है.
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