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हाइलाइट्स‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ से संबंधित दो विधेयक सोमवार को लोकसभा में पेश होंगेलोकसभा व विधानसभाओं के चुनावों के अलावा चुनाव आयोग की भूमिका भी होगी भिन्नस्थानीय निकाय चुनावों पर फिलहाल कुछ नहीं

नई दिल्ली: वन नेशन, वन इलेक्शन केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार का चुनावी एजेंडे का महत्वाकांक्षी और बड़ा कदम है. संसद के शीतकालीन सत्र में शनिवार को इसे लिस्ट किया गया और अब ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ से संबंधित दो विधेयकों को सोमवार को लोकसभा में पेश किया जाएगा. आइए समझें कि इस बिल में क्या है और इसके पास होने से क्या क्या बदलाव होंगे.

पहले बता दें कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनावों को एक साथ करवाने की अवधारणा को लागू करने के लिए संविधान संशोधन विधेयक को मंजूरी दी.  मंत्रिमंडल ने जिन दो ड्राफ्ट विधेयकों को मंजूरी दे दी है उनमें एक सिंपल बिल भी शामिल है जो तीन केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभाओं से संबंधित कानूनों में संशोधन करके उन्हें संविधान संशोधन विधेयक के साथ अलाइन करेगा. वैसे मंत्रिमंडल ने स्थानीय निकाय चुनाव कराने के तरीके पर ‘अभी के लिए’ दूर रहने का फैसला किया है.

–  संविधान के अनुच्छेद 83 और अनुच्छेद 172- लोकसभा और राज्य विधान सभा, दोनों की अपनी पहली बैठक से पांच साल के कार्यकाल सिंक्रोनाइज होंगे.यदि लोकसभा या राज्य विधानसभा को उसके कार्यकाल के पूरा होने से पहले भंग कर दिया जाता है, तो मध्यावधि चुनावों के लिए प्रावधान किए जाएंगे जो पूरे चुनाव कार्यक्रम के साथ ही सिंक्रोनाइज किए जाएंगे.

-अनुच्छेद 327 के तहत एक साथ चुनाव- लोकसभा और राज्य विधानसभाओं दोनों के लिए एक साथ चुनाव कराने का प्रस्ताव है. एक साथ चुनाव की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन की अनुमति इसके तहत दी जाएगी.

-अनुच्छेद 82ए शामिल किया जाएगा जिसके तहत राष्ट्रपति, सार्वजनिक अधिसूचना के जरिए आम चुनाव के बाद लोक सभा की पहली बैठक की तारीख पर इस आर्टिकल के प्रावधानों को लागू कर सकते हैं. नियत तिथि के बाद और लोक सभा के पूर्ण कार्यकाल की समाप्ति से पहले होने वाले किसी भी आम चुनाव में बनीं सभी विधान सभाओं का कार्यकाल लोक सभा के पूर्ण कार्यकाल की समाप्ति पर पूरा होगा.

साथ ही, चुनाव आयोग की भूमिका में भी बदलाव होगा…  तो समझें कि चुनाव आयोग, लोक सभा और सभी विधान सभाओं के लिए आम चुनाव एक साथ कराएगा, जिसमें चुनाव आयोग के निर्देश पर जरूरी संशोधन किए जाएंगे

इसके अलावा यदि चुनाव आयोग मानता ​​है कि लोक सभा के आम चुनाव के साथ किसी विधान सभा के चुनाव नहीं कराए जा सकते, तो वह राष्ट्रपति को उस विधान सभा के चुनाव को बाद की तिथि तक स्थगित करने की सिफारिश कर सकता है. विधान सभा का पूर्ण कार्यकाल उसी तिथि को समाप्त होगा जिस तिथि को आम चुनाव में गठित लोक सभा का पूर्ण कार्यकाल समाप्त हुआ था. (सीएनएन रिपोर्टर अनन्या भटनागर का भी इनपुट)

Tags: Cabinet decision, Modi cabinet

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