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रद्रप्रयाग। पहली बार बद्रीनाथ धाम के निर्वतमान रावल श्री ईश्वरीय प्रसाद नंबूरी ने गुरुवार को श्री केदारनाथ बाबा के दर्शन किए। इस मौके पर मंदिर के मुख्य पुजारी शंकर लिंग, श्री केदार सभा के अध्यक्ष पं राजकुमार तिवारी, वरिष्ठ तीर्थ पुरोहित उमेश पोस्ती, मीडिया प्रभारी पं पंकज शुक्ला, सदस्य रोशन लाल त्रिवेदी, सदस्य प्रदीप शर्मा ने फूलों की माला पहनाकर उनका स्वागत किया। श्री केदार सभा के अध्यक्ष पं राजकुमार तिवारी ने कहा यह पहली बार है कि निर्वतमान रावल श्री ईश्वरीय प्रसाद नंबूरी बाबा केदारनाथ के दर्शन किए। बदरीनाथ धाम के रावल और नायक रावल का चयन दक्षिण भारत में ही नम्बूद्री परिवार में किया जाता है। बद्रीनाथ के रावल केरल के नंबूदरी ब्राह्मण होते हैं। शंकराचार्य भी एक नंबूदरी ब्राह्मण थे।

बद्रीनाथ और केदारनाथ को फिर से स्थापित करने के बाद उन्होंने यह परंपरा शुरू की। बद्रीनाथ में केरल के नंबूरी या नंबूदरी ब्राह्मण होते हैं। बद्रीनाथ भगवान की पूजा रावल को ही करनी होती है। केवल उन्हीं के पास होता भगवान बद्रीनाथ को छूने का अधिकार होता है। इसमें उनके सहयोग के लिए नायब रावल होते हैं। बद्रीनाथ धाम के जब कपाट खुलते हैं, तब रावल साड़ी पहन, माता पार्वती का शृंगार कर गर्भगृह में प्रवेश करते हैं। उन्हें मां का ही एक स्वरूप मानते हैं। हालांकि उनके उस रूप के दर्शन हर कोई नहीं कर सकता।

रावल की रिटायरमेंट की कोई उम्र नहीं होती। वह चाहें तो जीवनभर इस दायित्व को निभा सकते हैं। बद्रीनाथ धाम में नए रावल बनने की परंपरा वर्षों से चली आ रही है। नये रावल बनने के लिए योग्य व्यक्ति का मुंडन संस्कार तिलपात्र किया जाता है। साथ ही पंचतीर्थ का भ्रमण कराया जाता है। बद्रीनाथ धाम में तप्तकुंड, अलकनंदा नदी, नारद कुंड, प्रहलाद धारा, कुर्म धारा, ऋषि गंगा में नए रावल को स्नान कराया जाता है। उन्होंने बताया दो माह पूर्व श्री बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति ने बद्रीनाथ धाम के मुख्य पुजारी रावल ईश्वरीय प्रसाद नंबूदरी का इस्तीफा स्वीकार किया था। निवर्तमान रावल ईश्वरीय प्रसाद ने स्वास्थ्य कारणों से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए आवेदन किया था।




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