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- Karnataka Caste Census Leak Controversy; Siddaramaiah Vs Congress | Vokkaliga Veerashaiva
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राज्य के सबसे प्रभावशाली वोक्कालिगा और वीरशैव-लिंगायत समुदाय ने इस सर्वे पर सवाल उठाते हुए सिद्धारमैया सरकार को कठघरे में खड़ा किया है।
कर्नाटक में लीक हुई जाति जनगणना रिपोर्ट ने सियासी तनाव बढ़ा दिया है। कर्नाटक पिछड़ा वर्ग आयोग ने सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक सर्वेक्षण 2015 रिपोर्ट तैयार की है। इसे 17 अप्रैल को सिद्धारमैया कैबिनेट में पेश किया जाना है। इसे लेकर कांग्रेस में ही विवाद शुरू हो गया है।
राज्य के सबसे प्रभावशाली वोक्कालिगा और वीरशैव-लिंगायत समुदाय ने इस सर्वे पर सवाल उठाते हुए सिद्धारमैया सरकार को कठघरे में खड़ा किया है। आयोग ने बताया था कि उसने राज्य की 6.35 करोड़ आबादी में से 5.98 करोड़ लोगों के बीच सर्वे कर ये रिपोर्ट बनाई है।
कर्नाटक में दशकों से वीरशैव-लिंगायत समुदाय की आबादी 18% से 22% रही है। राज्य के 9 पूर्व सीएम इसी समुदाय से रहे, लेकिन लीक रिपोर्ट में इन्हें 11% बताया गया है। उनकी आबादी 66.35 लाख आंकी गई है। उन्हें अन्य लिंगायत उप जातियों और समुदायों के साथ वर्ग श्रेणी 3-बी में रखा गया है।
वोक्कालिगा की आबादी 10.29% (61.58 लाख) बताई गई, जबकि पुराने मैसूर क्षेत्र में इनकी आबादी 16% तक है। 7 पूर्व सीएम इसी समुदाय से रहे हैं। इस रिपोर्ट में दोनों प्रमुख समुदायों के बीच का अंतर 1% से कम है। राज्य की 224 सदस्यीय विधानसभा में वीरशैव-लिंगायत के 50 और वोक्कालिगा के 40 से अधिक विधायक हैं।
बता दें कि सिद्धारमैया ने 2015 में यह सर्वेक्षण कराया था, लेकिन वोक्कालिगा और लिंगायत समुदायों के दबाव के चलते इसकी रिपोर्ट जारी नहीं कर पा रहे थे।
आयोग ने कुल मौजूदा आरक्षण को 50% से बढ़ाकर 73.5% करने की सिफारिश की
लीक रिपोर्ट में सबसे ज्यादा 70% आबादी ओबीसी की बताई है। मौजूदा आरक्षण 32% से बढ़ाकर 51% करने की सिफारिश है। इस वर्ग से सिद्धारमैया समेत 5 सीएम रहे हैं।
मुस्लिम 18.08% हैं, जो 2015 में 12.6% थे। आरक्षण 4% से बढ़ाकर 8% करने की सिफारिश। आयोग ने कुल मौजूदा आरक्षण 50% से 73.5% करने की सिफारिश की है। ईडब्ल्यूएस की आरक्षण सीमा 10% ही रखी है।
सबसे बड़ा समुदाय अनुसूचित जाति हैं, जिनकी आबादी 1.1 करोड़ है। इनमें 108 उप-जातियां हैं। अनुसूचित जातियां मिलकर राज्य की आबादी का 18.2% या लगभग 1.09 करोड़ हैं और अनुसूचित जनजातियां 7.1% या 43.81 लाख हैं। दोनों को मिलाकर 24.1% आरक्षण मिलता है। ब्राह्मण, आर्य वैश्य और जैन समुदाय के लिए आरक्षण नहीं है। इनकी आबादी 29.74 लाख है (4.9%) है।
आरोप- सही अनुपात में नहीं दिया गया आरक्षण
रिपोर्ट पर सवाल उठाने वाले कहते हैं कि इसमें वोक्कालिगा और लिंगायत की कुल आबादी में संबंधित अनुपात नहीं दिया गया है, लेकिन इनके लिए विभिन्न श्रेणियों में कोटा प्रस्तावित किया गया है। श्रेणी III (ए) के तहत वोक्कालिगा और दो अन्य प्रमुख समुदायों को रखा है, जिनकी कुल आबादी 73 लाख है और इन्हें 7% आरक्षण देना चाहिए। बाकी उप जातियों को जोड़ लें तो ये एक करोड़ हो जाते हैं। इसी तरह, श्रेणी III (बी) के तहत वीरशैव-लिंगायत और 5 अन्य समुदायों को रखा है। जिनकी कुल आबादी 81.3 लाख है और रिपोर्ट 8% कोटा की सिफारिश करती है। जबकि इनकी उप जातियों को मिला लें तो आंकड़ा 1 करोड़ से ज्यादा है।
उद्योग मंत्री और लिंगायत नेता एमबी पाटिल ने आरोप लगाया कि समुदाय की जमीनी हकीकत और सर्वेक्षण के निष्कर्षों के बीच भारी विसंगति है। ऐसा कैसे हो सकता है कि लिंगायतों की आबादी कम हो जाए। कई उप जातियों को मिलाकर करीब 1 करोड़ लिंगायत हैं। इन्हें नजरंदाज कर रिपोर्ट बनाई गई है। सिद्धारमैया ने आरोपों को खारिज किया है।
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