माता वैष्णो देवी कटड़ा से श्रीनगर के बीच रेल इसी सप्ताह शुरू होने वाली है. 19 अप्रैल को प्रधानमंत्री द्वारा इस नए रूट पर ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया जाएगा. 272 किमी. लंबा सफर केवल 3.15 घंटे में पूरा होगा. बीच में कई स्टेशनों पर रुकते ट्रेन गंतव्य तक पहुंचेगी.
2002 में शुरू हुआ था इस प्रोजेक्ट पर काम
यूएसबीआरएल परियोजना के महत्व को देखते हुए 2002 में राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया गया था. 272 किमी. उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक परियोजना (यूएसबीआरएल) के तहत उधमपुर से बारामूला तक कश्मीर घाटी को भारतीय रेलवे नेटवर्क से जोड़ने वाली लंबी रेलवे लाइन है. यह परियोजना आज़ादी के बाद भारतीय रेलवे द्वारा किया गया सबसे चुनौतीपूर्ण कार्य रहा है. इसी चुनौती में भारतीय रेलवे ने नई तकनीक खोजी है.
भारतीय रेलवे को हुआ बड़ा फायदा
इस रेल लाइन का काम बड़ा चुनौती भरा था. अभी तक भारतीय रेलवे जिन पहाड़ों टनल बना रहा है, वे पुराने हैं लेकिन हिमालय नया पहाड़ा है. इसलिए इसमें लंबी लंबी टनल बनाना चुनौती भरा काम था. इसके लिए रेलवे ने नई तकनीक खोजी, जिसका नाम हिमालयन टनल तकनीक है. अब जहां पर भी इस तरह के पहाड़ होंगे, वहां पर इस तकनीक का इस्तेमाल करके टनल बनाई जा सकेगी.
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ये फर्क होता है हिमालयन और पुरानी तकनीक में
भारतीय रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार नए पहाड़ होने की वजह से पुरानी तकनीकी की तुलना में होडिंग एरिया बढ़ाया गया है. पुरानी तकनीक में उल्टे यू के आकार की टनल बनती थी. लेकिन इसका आकर उससे अलग है.
रेल लाइन की खासियत
यूएसबीआरएल परियोजना में 38 सुरंगें (संयुक्त लंबाई 119 किमी) शामिल हैं, सबसे लंबी सुरंग (टी-49) की लंबाई 12.75 किमी है और यह देश की सबसे लंबी परिवहन सुरंग है. कुल 927 पुल हैं, इनमें सबसे ऊंचा चिनाब ब्रिज (कुल लंबाई 1315 मीटर, आर्क विस्तार 467 मीटर और नदी तल से ऊंचाई 359 मीटर) शामिल है, जो एफिल टॉवर से लगभग 35 मीटर लंबा है और इसे दुनिया का सबसे ऊंचा आर्क रेलवे ब्रिज माना जाता है.
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