Organic Farming Tips: शशिकांत विश्वकर्मा, देवरिया के एक गांव से ताल्लुक रखने वाले पढ़े-लिखे युवक ने नौकरी के बजाय वर्मीकम्पोस्ट से जैविक खेती शुरू की. आज वे सफल उद्यमी हैं, लाखों का टर्नओवर करते हैं और सैकड़ो…और पढ़ें
पढ़ाई छोड़ी, गोबर उठाया और बना सैकड़ों का सहारा
पढ़ाई से पुलिस की तैयारी तक, फिर आया नया मोड़
शशिकांत पहले उत्तर प्रदेश पुलिस में दरोगा बनने की तैयारी कर रहे थे. लेकिन जब सफलता नहीं मिली, तब आया कोविड काल, जिसने उनकी दिशा ही बदल दी. नौकरियों की अनिश्चितता के बीच उन्होंने अपने गांव लौटकर खेती को अपनाने का निर्णय लिया.
गोबर और केंचुओं से शुरू हुई नई सोच
रिसर्च के बाद उन्हें पता चला कि वर्मीकम्पोस्ट (केंचुआ खाद) और जैविक खेती का भविष्य बहुत उज्ज्वल है. बिना किसी पूंजी के, उन्होंने शून्य बजट से वर्मीकम्पोस्ट बनाना शुरू किया.
लोग हंसे, ताने मारे… लेकिन नहीं रुके कदम
जब एक पढ़ा-लिखा युवक गोबर से काम करने लगा, तो लोगों ने मजाक उड़ाया “इतनी पढ़ाई करके गोबर उठाएगा?” लेकिन शशिकांत ने सबकी बातों को नजरअंदाज कर, अपने काम को दिल से किया. धीरे-धीरे मेहनत रंग लाने लगी.
रोजगार की नई राह, गांव के लिए नई उम्मीद
आज उनके साथ 6 से अधिक लोग सीधे तौर पर जुड़े हैं, जो उनके साथ काम कर रोजगार कमा रहे हैं. शशिकांत अब अपने वर्मीकम्पोस्ट प्लांट का विस्तार करने की योजना में हैं, ताकि और लोगों को इससे जोड़ा जा सके.
1000+ किसान ग्राहक, लाखों का टर्नओवर
जो लोग कभी मज़ाक उड़ाते थे, आज वही उनसे सलाह लेते हैं, खाद खरीदते हैं. उनके पास आज 1000 से अधिक किसान ग्राहक हैं और उनका सालाना टर्नओवर 15 से 20 लाख रुपये तक पहुंच चुका है.
- व्हाट्स एप के माध्यम से हमारी खबरें प्राप्त करने के लिए यहाँ क्लिक करें।
- टेलीग्राम के माध्यम से हमारी खबरें प्राप्त करने के लिए यहाँ क्लिक करें।
- हमें फ़ेसबुक पर फॉलो करें।
- हमें ट्विटर पर फॉलो करें।
———-
स्थानीय सूचनाओं के लिए यहाँ क्लिक कर हमारा यह व्हाट्सएप चैनल जॉइन करें।
Disclaimer: This story is auto-aggregated by a computer program and has not been created or edited by Ghaziabad365 || मूल प्रकाशक ||