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Jhansi District Hospital: झांसी के महिला जिला अस्पताल में कुत्तों को भगाने के लिए स्टाफ ने नील और पानी मिली बोतलें टांगकर टोटका किया है, लेकिन इसका असर नहीं दिखाई दे रहा है. मुख्य चिकित्सा अधीक्षक को इस टोटके क…और पढ़ें

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अस्पताल

अस्पताल में नील वाली बोतल 

हाइलाइट्स

  • झांसी महिला अस्पताल में कुत्तों को भगाने के लिए नील और पानी का टोटका किया गया.
  • अस्पताल स्टाफ ने नील और पानी मिली बोतलें लटकाई हैं.
  • मुख्य चिकित्सा अधीक्षक को इस टोटके की जानकारी नहीं है.

झांसी: यूपी में झांसी के महिला जिला अस्पताल में अब इलाज के साथ टोटका भी किया जाने लगा है. अस्पताल को अपना घर बनाकर यहां रहने वाले कुत्तों के लिए अस्पताल स्टाफ ने टोटका किया है. स्टाफ ने अस्पताल परिसर में पानी की बोतलों को लटका दिया है. बोतल में पानी के साथ नील मिलाया गया है. स्टाफ का मानना है कि नीला पानी देखने से कुत्ते नहीं आते हैं. हालांकि इसका असर देखने को नहीं मिल रहा है.

कुत्तों को भगाने के लिए हुआ टोटका

झांसी का महिला जिला अस्पताल पुराने शहर के बीचो बीच बना हुआ है. यहां बड़ी तादाद में मरीज इलाज के लिए आते हैं. यहां मरीजों द्वारा फेका गया खाना देख कुत्ते आ जाते हैं. कई बार कुत्ते मरीजों पर हमला भी कर देते हैं. कई बार कुत्तों को भगाया जाता है, लेकिन वह लौटकर फिर यहीं आ जाते हैं. ऐसे में अस्पताल स्टाफ ने हर जगह नील और पानी मिली बोतलें टांग कर एक टोटका शुरू कर दिया है. अस्पताल के स्टाफ ने बताया कि यहां अधिकांश गर्भवती महिलाएं ही आती हैं. उनके चलने फिरने में भी कुत्तों की वजह से समस्या आती है. स्टाफ लगातार कुत्तों को भगाने का प्रयास करता है.

स्टाफ ने खोजा उपाय

अस्पताल के स्टाफ का दावा है कि बोतल टांगने के बाद कुत्ते कम हो गए हैं, लेकिन लोकल 18 की टीम जब पहुंची तो अस्पताल परिसर में आवारा कुत्ते दिखाई दिए. अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. राजनारायण ने लोकल 18 की टीम ने नील वाले टोने टोटके के बारे में बात की. उन्होंने बताया कि इस टोटके की उन्हें कोई जानकरी नहीं है. यह काम शायद किसी स्टाफ ने किया है.

मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. राजनारायण ने बताया कि कई बार नगर निगम की टीम आवारा कुत्तों को यहां से पकड़ कर ले जाती है, लेकिन आवारा कुत्ते फिर से लौट आते हैं. ऐसे में किसी मरीज को नुकसान न पहुंचा सके, इसके लिए स्टाफ मुस्तैद रहता है.

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