Image Slider

नई दिल्ली49 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक

केंद्र सरकार ने 2 जनवरी 2018 को चुनावी बॉन्ड स्कीम को नोटिफाई किया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने अवैध बताया था।

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इलेक्टोरल बॉन्ड (चुनावी बॉन्ड) से जुड़ी याचिका खारिज कर दी। याचिका में कोर्ट से उसके पुराने फैसले की समीक्षा की मांग की गई थी। पुराने फैसले में कोर्ट ने राजनीतिक दलों को मिले 16,518 करोड़ रुपए जब्त करने की मांग खारिज की थी।

चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने 2 अगस्त, 2024 के शीर्ष अदालत के फैसले के ख़िलाफ खेम सिंह भाटी द्वारा दायर समीक्षा याचिका को खारिज कर दिया।

पूर्व CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने 15 फरवरी, 2024 को चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद, भारतीय स्टेट बैंक ने चुनाव आयोग के साथ फंडिंग में मिले रुपयों का डेटा साझा किया था।

भाजपा सबसे ज्यादा चंदा लेने वाली पार्टी –

चुनाव आयोग ने 14 मार्च, 2024 को इलेक्टोरल बॉन्ड का डेटा अपनी वेबसाइट पर जारी किया था। इसमें भाजपा सबसे ज्यादा चंदा लेने वाली पार्टी थी।

12 अप्रैल 2019 से 11 जनवरी 2024 तक पार्टी को सबसे ज्यादा 6,060 करोड़ रुपए मिले थे।

लिस्ट में दूसरे नंबर पर तृणमूल कांग्रेस (1,609 करोड़) और तीसरे पर कांग्रेस पार्टी (1,421 करोड़) थी।

जानिए क्या है चुनावी बॉण्ड योजना –

चुनावी या इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम 2017 को उस वक्त के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पेश किया था। ये एक तरह का प्रॉमिसरी नोट होता है।

इसे बैंक नोट भी कहते हैं। इसे कोई भी भारतीय नागरिक या कंपनी खरीद सकती है, और राजनीतिक पार्टियों फंड दे सकती थी।

राजनीतिक फंडिंग को भ्रष्टाचार-मुक्त बनाने और के लिये साल 2018 में चुनावी बॉण्ड योजना शुरू की गई थी।

सरकार ने इस योजना को ‘कैशलेस-डिजिटल अर्थव्यवस्था’ की ओर आगे बढ़ने में एक अहम ‘चुनावी सुधार’ बताया था।

विवादों में क्यों आई चुनावी बॉन्ड स्कीम –

2017 में अरुण जेटली ने इसे पेश करते वक्त दावा किया था कि इससे राजनीतिक पार्टियों को मिलने वाली फंडिंग और चुनाव व्यवस्था में पारदर्शिता आएगी।

इससे ब्लैक मनी पर अंकुश लगेगा। वहीं, विरोध करने वालों का कहना था कि इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वाले की पहचान जाहिर नहीं की जाती है, इससे ये चुनावों में काले धन के इस्तेमाल का जरिया बन सकते हैं।

याचिका दाखिल करने वाली संस्था ADR (एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स) ने दावा किया था कि इस प्रकार की चुनावी फंडिंग भ्रष्टाचार को बढ़ावा देगी। कुछ कंपनियां उन पार्टियों में अज्ञात तरीकों से फंडिंग करेंगी, जिन पार्टियों की सरकार से उन्हें फायदा होता है।

1 करोड़ रुपए तक का बॉन्ड खरीदे जा सकते थे –

कोई भी भारतीय इसे खरीद सकता है। बॉन्ड खरीदने वाला 1 हजार से लेकर 1 करोड़ रुपए तक का बॉन्ड खरीद सकता था। खरीदने वाले को बैंक को अपनी पूरी KYC डिटेल में देनी होती थी।

बॉन्ड खरीदने वाले की पहचान गुप्त रहती है। खरीदने वाला जिस पार्टी को ये बॉन्ड डोनेट करना चाहता है, उसे पिछले लोकसभा या विधानसभा चुनाव में कम से कम 1% वोट मिला होना चाहिए।

ये बॉन्ड जारी करने के बाद 15 दिन तक वैलिड रहते थे। इसलिए 15 दिन के अंदर इसे चुनाव आयोग से वैरिफाइड बैंक अकाउंट से कैश करवाना होता था।

——————

ये खबर भी पढ़ें…

वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे ओवैसी:कांग्रेस सांसद ने भी याचिका लगाई; मोदी बोले- यह बिल ट्रांसपेरेंसी बढ़ाएगा

वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में दो याचिका लगाई गई। बिहार के किशनगंज से कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद और AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने यह याचिका लगाई है। पूरी खबर पढ़ें…

खबरें और भी हैं…

———-

🔸 स्थानीय सूचनाओं के लिए यहाँ क्लिक कर हमारा यह व्हाट्सएप चैनल जॉइन करें।

 

Disclaimer: This story is auto-aggregated by a computer program and has not been created or edited by Ghaziabad365 || मूल प्रकाशक ||