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नवी मुंबई2 मिनट पहले

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प्रधानमंत्री ने नवी मुंबई के खारघर में इस्कॉन मंदिर के लोकार्पण कार्यक्रम में लोगों को संबोधित किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को नवी मुंबई में इस्कॉन के श्रीश्री राधा मदनमोहनजी मंदिर का लोकार्पण किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत को समझने के लिए पहले अध्यात्म को आत्मसात करना होगा। मोदी ने कहा कि सेवा ही सच्चे सेक्युलरिज्म का प्रतीक है। सरकार भी इस्कॉन की तरह सेवा के भाव से काम कर रही है।

PM ने कहा- जब देश गुलामियों की बेड़ियों में जकड़ा था तब प्रभुपाद जी स्वामी इस्कॉन जैसा मिशन शुरू किया। दुनियाभर में इस्कॉन के अनुयायी हैं जो श्रीकृष्ण की भक्ति की डोर से बंधे हैं। इस मंदिर में अध्यात्म और सभी परंपरा के दर्शन होते हैं। यहां रामायण, महाभारत का म्यूजियम बनाया जा रहा है।

भारत केवल भौगोलिक सीमाओं में बंधा भूमि का एक टुकड़ा मात्र नहीं है। भारत एक जीवंत धरती है, एक जीवंत संस्कृति है और, इस संस्कृति की चेतना है- यहां का अध्यात्म! इसलिए, अगर भारत को समझना है, तो हमें पहले अध्यात्म को आत्मसात करना होता है।

उन्होंने कहा-

जो लोग दुनिया को केवल भौतिक दृष्टि से देखते हैं, उन्हें भारत भी अलग-अलग भाषा और प्रांतों का समूह नजर आता है। लेकिन जब आप इस सांस्कृतिक चेतना से अपनी अपनी आत्मा को जोड़ते हैं, तब आपको भारत के विराट रूप के दर्शन होते हैं।

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पीएम मोदी ने मंदिर का लोकार्पण कर इस्कॉन के संस्थापक श्री प्रभुपाद स्वामी के स्मारक पर फूल-माला अर्पित की।

प्रधानमंत्री की स्पीच, 4 पॉइंट्स में…

  1. इस्कॉन जिस तरह से सेवा के भाव से काम कर रही है, हमारी सरकार भी ऐसे ही काम कर रही है। सेवा की यही भावना सच्चा सामाजिक न्याय लाती है। सेवा ही सच्चे सेक्युलरिज्म का प्रतीक है। हमारी सरकार कृष्णा सर्किट के माध्यम से देश के अलग-अलग तीर्थों और धार्मिक स्थानों को जोड़ रही है। इस सर्किट का विस्तार गुजरात, राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और ओडिशा तक है। वृन्दावन के 12 जंगलों का प्रतिरूप बनाया जा रहा है।
  2. मेरे जीवन में प्रभुपाद जी स्वामी का अलग स्थान है। जब सबसे बड़ी गीता का के संस्करण लोकार्पण के वक्त मुझे बुलाया था। उसका फल मुझे मिला। जब देश गुलामियों की बेड़ियों में जकड़ा था तब उन्होंने इस्कॉन जैसा मिशन शुरू किया।
  3. इस मौके पर मुझे परम श्रद्धेय गोपालकृष्ण गोस्वामी महाराज का भावुक स्मरण भी हो रहा है। इस प्रोजेक्ट में उनका विजन जुड़ा हुआ है। भगवान श्रीकृष्ण के प्रति उनकी अगाध भक्ति का आशीर्वाद जुड़ा हुआ है।। आज वो भौतिक शरीर से भले ही यहां न हो, लेकिन उनकी आध्यात्मिक उपस्थिति हम सब महसूस कर रहे हैं।
  4. दुनियाभर में फैले इस्कॉन के अनुयायी भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति की डोर से बंधे हैं। उन सबको एक-दूसरे से कनेक्ट रखने वाला एक और सूत्र है, जो 24 घंटे हर भक्त को दिशा दिखाता रहता है। ये श्री प्रभुपाद स्वामी के विचारों का सूत्र है। उन्होंने उस समय वेद-वेदांत और गीता के महत्व को आगे बढ़ाया जब देश गुलामी की बेड़ियों में जकड़ा था। उन्होंने भक्ति वेदांत को जनसामान्य की चेतना से जोड़ने का अनुष्ठान किया।

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