हिमाचल प्रदेश के तत्तापानी में गर्म पानी के कुंड में स्नान करते हुए लोग।
आज मकर संक्रांति है। हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला से 56 किमी दूर तत्तापानी में हजारों लोग आस्था की डुबकी लगाने के लिए पहुंचेंगे। यहां की खासियत यह है कि यहां गर्म पानी निकलता है। ऐसी मान्यता है कि इसमें स्नान से सारे चर्म रोग दूर होते हैं।
देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद भी यहां स्नान कर चुके हैं। तत्तापानी में संक्राति पर हरियाणा से लाए पतीले में साढ़े 4 क्विंटल खिचड़ी परोसने का भी वर्ल्ड रिकॉर्ड बन चुका है। इस बार यहां 3 क्विंटल खिचड़ी बांटी जाएगी।
यह जगह तुलादान के लिए काफी मशहूर है। खासकर ज्येष्ठ शनिवार को यहां बड़ी संख्या में लोग तुलादान को पहुंचते हैं। यहां तुलादान करवाने से ग्रह शांत होते हैं।
तत्तापानी के पंडित दिनेश शर्मा ने बताया कि पूर्व राष्ट्रपति 22 सितंबर 1952 को तत्तापानी आए थे। उस दौरान उन्होंने यहां स्नान सरोवर का उद्घाटन किया था। इसकी उद्घाटन पटि्टका को समाज सेवी प्रेम रैना ने आज भी अपने होटल में संजो कर रखा है।
पहले राष्ट्रपति की उद्घाटन पटि्टका…
डॉ. प्रसाद ने जिस सरोवर का उद्घाटन किया, वह डैम में जलमग्न हुआ हालांकि पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने जिस सरोवर का उद्घाटन किया, वह अब डैम में जलमग्न हो चुका है। तत्तापानी के टेकचंद शर्मा ने बताया कि 50 के दशक में डॉ. राजेंद्र प्रसाद जब अस्वस्थ हो गए थे। तब उन्होंने तत्तापानी में स्नान कर स्वास्थ्य लाभ भी लिया था।
हालांकि वे यह भी बताते हैं कि कभी इस पानी को लेकर कोई स्टडी नहीं हुई कि लोगों की बीमारियां ठीक कैसे हो जाती है। फिर भी इसको लेकर कहा जाता है कि इस पानी में सल्फर मौजूद है।
इस जगह का नाम तत्तापानी कैसे पड़ा? तत्तापानी मतलब लोकल भाषा में ‘तपा’ हुआ या फिर ‘गर्म पानी’ होता है। सतलुज नदी पर स्थित तत्तापानी में करीब एक किलोमीटर एरिया में गर्म पानी मिलता है। जिस जगह पर गर्म पानी बह रहा है, वहां पर खासकर रात और सुबह के समय इन दिनों 4 से 6 डिग्री के आसपास तापमान रहता है। इसके अलावा सतलुज नदी में भी इस गर्म पानी की मोटी धारा बहती है।
साल 2013 में सतलुज नदी पर सरकार ने कौल डैम बनाया था। इससे पुराना जलाशय जलमग्न हो गया। इसके बाद जियोलॉजिकल विभाग ने ड्रिल करके सतलुज नदी के किनारे गर्म पानी निकाला। यहां पर अब श्रद्धालुओं के स्नान के लिए कुंड बनाए गए हैं।
ऋषि जमदग्नि, परशुराम की तपोस्थली तत्तापानी तत्तापानी को ऋषि जमदग्नि और परशुराम की तपोस्थली के रूप में जाना जाता है। यहां पर दूर-दूर से धार्मिक श्रद्धालु गर्म पानी में नहाने के लिए आते हैं। ऐसी मान्यता है कि यहां गर्म पानी में नहाने से चर्म रोग मिट जाते हैं। जिसकी वजह इसमें मौजूद सल्फर है।
ऐसी मान्यता है कि त्रेता युग से ही तत्तापानी हिन्दुओं का तीर्थ स्थल रहा है। यहां महर्षि जमदग्नि ने अपनी पत्नी रेणुका और पुत्र परशुराम के साथ तत्तापानी के पास एक गुफा में वास किया था। जमदग्नि ऋषि हर रोज यज्ञ करने के बाद भंडारे का आयोजन करते थे। इस परंपरा को अब यहां का सूद परिवार निभा रहा हैं।
तत्तापानी में इसी तरह बड़े पतीले में संक्रांति के मौके पर खिचड़ी बनाई जाती है। – फाइल फोटो
इस बार 96वीं बार खिचड़ी बनेगी शिमला निवासी मोहित सूद ने बताया कि उनके पूर्वज 95 साल से संक्रांति पर तत्तापानी में खिचड़ी बनाते आ रहे हैं। इस बार 96वीं मर्तबा खिचड़ी बनाई जा रही है, जो कि हजारों श्रद्धालुओं को परोसी जाएगी। उन्होंने बताया कि इस बार संक्रांति पर तीन क्विंटल खिचड़ी श्रद्धालुओं को दो जाएगी। उन्होंने बताया कि यह परंपरा उनके पूर्वज बिहारी लाल जी ने शुरू की थी।
सुबह 10 से शाम 5 बजे तक मिलती है खिचड़ी मोहित सूद ने बताया कि 2020 में तत्तापानी में खिचड़ी परोसने का वर्ल्ड रिकॉर्ड बना था। 2020 में टूरिज्म डिपार्टमेंट के साथ मिलकर साढ़े 4 क्विंटल खिचड़ी बनाई थी, जिसे एक ही पतीले में बनाया गया था। यह पतीला यमुनानगर से लाया गया था। उन्होंने बताया कि सुबह 10 से शाम 5 बजे तक श्रद्धालुओं को खिचड़ी परोसी जाती है।
कैसे पहुंचे तत्तापानी? शिमला से तत्तापानी पहुंचने के लिए शिमला-करसोग हाईवे पर जा सकते हैं। शिमला से तत्तापानी की दूरी 56 किलोमीटर, मंडी से 120 किलोमीटर और करसोग से 45 किलोमीटर है। तत्तापानी छोटा सा गांव है। मगर गर्म पानी की वजह से यह मशहूर धार्मिक पर्यटन स्थल बनता जा रहा है। यह गांव सल्फर युक्त गर्म पानी के झरनों की वजह से मशहूर है।
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