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बीजापुर में फोर्स की गाड़ी को नक्सलियों ने IED ब्लास्ट से उड़ा दिया। हमले में 8 जवान जवान शहीद हो गए।

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समय दोपहर 2 बजे और जगह कुटरू का अंबेली गांव

यह वो समय और तारीख है, जब बीजापुर जिले में नक्सलियों ने DRG जवानों से भरी एक गाड़ी को ब्लास्ट कर उड़ा दिया। इसमें 8 जवान और एक ड्राइवर शहीद हो गए। यह साल 2025 का पहला सबसे बड़ा नक्सली हमला है।

जिस सड़क से फोर्स लौट रही थी, वहां 60 किलो IED 3 साल पहले ही बिछा दी गई थी। ये IED नक्सलियों के कमांड में थी। यानी आसपास रहकर एक बटन दबाकर इसे ऑपरेट किया जा सकता था। यही हुआ।

फोर्स 4 जनवरी से अबूझमाड़ में ऑपरेशन पर थी। ऑपरेशन में फोर्स को सफलता भी मिली। अबूझमाड़ इलाके में 5 नक्सलियों को 4 जनवरी को फोर्स ने मार गिराया। इनसे कई हथियार भी बरामद हुए। सर्च ऑपरेशन के बाद ये फोर्स अपनी-अपनी जगह लौट रही थी।

इस ऑपरेशन में नारायणपुर, बस्तर, कोंडागांव और दंतेवाड़ा की एसटीएफ और डीआरजी की टीम थी। जो जवान शहीद हुए हैं, वो दंतेवाड़ा की टीम के थे।

ब्लास्ट के बाद जवानों के हथियार भी फेंका गए, जिन्हें इकट्ठा किया गया।

निशाने पर DRG के जवान ही थे सोमवार को हुए इस नक्सल हमले का निशाना DRG यानी डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड ही थे। इस समय नक्सलियों के सबसे बड़े दुश्मन DRG के जवान ही हैं, क्योंकि सबसे ज्यादा नुकसान ये ही पहुंचा रहे हैं। डीआरजी में एक योजना के तहत सरकार ने स्थानीय युवकों की भर्ती शुरू की। यानी कोंडागांव जिले का युवक कोंडागांव की टीम में ही रहेगा, दंतेवाड़ा का युवक दंतेवाड़ा में ही रहेगा। इसके अलावा जो नक्सली सरेंडर करते हैं, उन्हें भी डीआरजी में लिया जाता है।

चूंकि ये टीम स्थानीय भाषा, बोली, भौगोलिक परिस्थितियां, नक्सलियों की रणनीति से वाकिफ़ होती हैं, इन्हें आगे रखा जाता है। इनका इंटेलीजेंस भी मजबूत होता है, जिससे एसटीएफ और नक्सलियों के खिलाफ लड़ रही अन्य फोर्स को मदद मिलती है। इस कारण डीआरजी इस समय नक्सलियों के सबसे बड़े दुश्मन हैं।

2026 तक बस्तर को नक्सलियों से मुक्त करने का अभियान चल रहा है। इसमें पिछले एक साल में 200 से ज्यादा नक्सली मारे गए हैं। अबूझमाड़ तक फोर्स घुस गई है। ये डीआरजी के कारण संभव हो पाया है।

आईईडी ब्लास्ट में जवानों के शरीर के चीथड़े उड़ गए।

सड़क 10 साल पहले बनी, 3 साल पहले रिपेयरिंग का काम हुआ कुटरू से बेदरे की यह सड़क 10 साल पहले बनी थी। यह डामर की सड़क थी। 3 साल पहले भारी बारिश के कारण सड़क बह गई थी। सड़क और पुल दोनों उखड़ गए थे। इसी दौरान यहां सड़क की मरम्मत का काम चला। ये IED उसी समय लगाई गई थी।

भास्कर की टीम जब ग्राउंड जीरो पर पहुंची, तो आसपास के गांव के कुछ लोग वहां मिले। उन्होंने बताया कि यहां जगह-जगह IED लगाए गए हैं। तीन चार साल पहले तक हर वो सड़क जहां काम चल रहा होता था, नक्सली वहां आईईडी लगा देते थे। इसी कारण सड़क बनाने से पहले भी फोर्स चेक करती थी। अभी भी कई जगह ऐसी आईईडी बिछी हुई है। ये समय समय पर फोर्स को मिलती रहती है।

500 मीटर दूर तक गाड़ी और शवों के पार्ट्स मिले धमाका इतना जोरदार था कि गाड़ी के परखच्चे और जवानों के चीथड़े उड़ गए। ड्राइवर के शरीर के इतने टुकड़े हुए कि उसका शव ढूंढ पाना भी मुश्किल था। घटनास्थल से करीब 500 मीटर के दायरे में शव और गाड़ी के पार्ट्स पड़े मिले। नदी में भी शवों के टुकड़े गिरे, जिसे जवानों ने निकाला।

ब्लास्ट के बाद सड़क पर 10 फीट का गड्ढा हो गया।

नक्सलियों को पता था, कहां से लौटेगी दंतेवाड़ा की टीम नक्सलियों को इस बात की जानकारी पहले से ही थी कि जो फोर्स मुठभेड़ में गई हुई है, वो किस रूट से लौटेगी। इसी कारण कुटरू-बेदरे रोड में जिस जगह आईईडी प्लांट किया गया था, वहां नक्सली पहले से मौजूद थे।

नक्सलियों को पता चल गया था कि मुठभेड़ के बाद जवानों ने अपना रुट बदल लिया है। वे इंद्रावती नदी को पार कर बेदरे और फिर कुटरू होते हुए लौटेंगे। बस्तर में जवान जब भी किसी ऑपरेशन पर निकलते हैं, तो अमूमन जिस रास्ते से होकर जाते हैं, उस रास्ते से बहुत कम वापस आते हैं।

12 गाड़ियों में दंतेवाड़ा डीआरजी और एसटीएफ की टीम थी। नक्सलियों ने 11वें नंबर की गाड़ी को निशाना बनाया। इसमें ड्राइवर समेत 9 लोग थे। सभी डीआरजी के थे। सभी शहीद हो गए।

नक्सलियों ने जहां-जहां भी आईईडी बिछाई है, इसकी जानकारी उन्हें होती है और इसकी इंफॉर्मेशन वो अपनी जगह बदलने पर दूसरे नक्सलियों को करते जाते हैं। यही कारण है कि तीन साल पहले बिछाई गई आईईडी से वो सटीक निशाना लगाने में कामयाब हो गए।

ROP ड्यूटी पर थे जवान DRG और CRPF के जवान इलाके में सर्च अभियान पर थे। रोड ओपनिंग पार्टी का काम ये देखना होता है कि कोई खतरा तो नहीं है। इसके बाद पीछे की टीम आगे आती है। आरपोपी के जवान सड़क के दोनों तरफ नजदीक में ही खड़े थे।

सड़क से करीब 300 से 400 मीटर अंदर नक्सली पहले से ही एंबुश लगाकर बैठे थे। लेकिन उन्होंने धमाके से पहले फोर्स पर फायरिंग नहीं की, क्योंकि उनका टारगेट सिर्फ जवानों से भरी हुई गाड़ी थी।

इसी बीच जवानों से भरी एक के बाद एक 10 गाड़ी निकली और 11वें नंबर की गाड़ी को माओवादियों ने IED की चपेट में ले लिया। जिससे 12वें नंबर की गाड़ी के भी कांच टूट गए। हालांकि उसमें सवार जवान और ड्राइवर सुरक्षित हैं।

नक्सलियों के आईईडी ब्लास्ट से गाड़ी के परखच्चे उड़ गए।

ब्लास्ट के बाद की फायरिंग जब धमाका हुआ तो नक्सलियों ने जवानों का ध्यान भटकाने और वहां से भागने के लिए 4 से 5 मिनट तक फायरिंग की। धमाके की आवाज सुनकर सामने गईं गाड़ियां भी रुक गईं। ROP ने ड्यूटी पर निकले जवानों के साथ मोर्चा संभाला और नक्सलियों की गोलियों का जवाब दिया। जब कुटरू और बेदरे कैंप में घटना की जानकारी मिली, तो बैकअप पार्टियां आनी शुरू हो गईं।

ब्लास्ट के बाद हुए गड्ढे में दैनिक भास्कर रिपोर्टर उतरे और यह बताया कि धमाका कितना पावरफुल था।

6 पेड़, एक पुल और डामर-सीसी सड़क के जॉइंट में प्लांट था बम नक्सलियों ने IED प्लांट करने के लिए पुल से करीब 50 मीटर दूर जहां सीसी सड़क खत्म हुई और डामर की सड़क शुरू थी। उसके बीच की जगह चुनी थी। 6 से 7 पेड़ राउंड में थे। इससे नक्सलियों के लिए ये समझना आसान था कि आईईडी कहां है।

IED के तार घटना से ठीक पहले जोड़े नक्सलियों ने आईईडी तो 3 साल पहले लगाई, लेकिन इसे ब्लास्ट करने के लिए वायर रविवार की रात को जोड़ा। बस्तर में नक्सलियों ने अब तक इसी पैटर्न पर फोर्स की गाड़ियों को उड़ाया है। एक दिन पहले ही वे वायरिंग करते हैं ताकि किसी को भी समझने का मौका न मिले।

घटना के एक दिन पहले 5 नक्सली हुए थे ढेर दरअसल, IED ब्लास्ट की घटना के ठीक एक दिन पहले ही दंतेवाड़ा, जगदलपुर, नारायणपुर समेत 4 जिलों के 1 हजार जवानों ने बड़ा ऑपरेशन लॉन्च किया था। जिसमें 5 माओवादियों को मार गिराया था। हालांकि मुठभेड़ में दंतेवाड़ा पुलिस का एक जवान भी शहीद हो गया था।

ये गाड़ी की सीट और किसी जवान का मोबाइल टूटा हुआ मोबाइल है जो ब्लास्ट के बाद करीब 150 फीट दूर फेंका गया।

अप्रैल 2022 में ठीक यही वारदात हुई थी दरअसल, अप्रैल 2022 में भी नक्सलियों ने ठीक इसी तरह दंतेवाड़ा में IED ब्लास्ट कर जवानों से भरी तूफान वाहन को ब्लास्ट कर उड़ा दिया था। जिसमें 10 जवान और एक वाहन चालक शहीद हुए थे। जवान इसी चार चक्का वाहन से इसी इलाके से ऑपरेशन पर गए थे।

बस्तर आईजी पी सुंदरराज।

जवानों का दर्द… बोले- हम किसे दोष दें DRG के एक जवान ने दैनिक भास्कर से संपर्क किया। वे बिलख पड़े। उन्होंने कहा कि, मैं भी इस टीम में शामिल था। ऑपरेशन से लौट रहे थे और धमाका हो गया। साथियों के चीथड़े देखा। हम निचले स्तर के जवान हैं। अधिकारी जो बोलते हैं हम वही करते हैं। ऑपरेशन में आने-जाने के लिए हम कभी भी बड़ी गाड़ियों में जाना पसंद नहीं करते। लेकिन अब हुई घटना के बाद हम किसे दोष दें ?

IG बोले- हाई क्वालिटी की लगाई थी IED बस्तर के IG सुंदरराज पी ने कहा कि, नक्सलियों ने हाई क्लालिटी की IED लगाई थी। धमाका काफी जोर का हुआ है। संभावना है कि नक्सलियों ने कमांड ID का इस्तेमाल किया है। फोरेंसिक एक्सपर्ट की टीम मामले की जांच कर रही है। जांच के बाद बाकी जानकारी दी जाएगी। IG ने कहा कि आज सभी जवानों को अंतिम विदाई दी जाएगी।

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ये IED ब्लास्ट कुटरू-वेदरी रोड में अंबेली नाला पर हुआ है।

छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में नक्सलियों ने सोमवार को जवानों को लेकर जा रहे वाहन को ब्लास्ट कर उड़ा दिया। हमले में दंतेवाड़ा DRG के 8 जवान शहीद हो गए। एक ड्राइवर की भी मौत हुई है। पढ़ें पूरी खबर…

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