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- Assam Coal Mine Rescue Operation Photos Update; Himanta Sarma | Dima Hasao
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यह खदान के ऊपर का ड्रोन विजुअल है। तीन दिन से फंसे मजदूरों को निकालने का काम जारी है।
असम के दीमा हसाओ जिले के उमरंगसो में 300 फीट गहरी कोयला खदान में 8 मजदूर पिछले 72 घंटों से फंसे हैं। एक मजूदर का शव बुधवार को निकाला गया था। रेस्क्यू में अब एयरफोर्स का एयरक्राफ्ट और हेलिकॉप्टर भी जुट गए हैं।
NDRF और SDRF की टीम भी मदद कर रही है। भारतीय सेना और असम राइफल्स के गोताखोर और मेडिकल टीम के साथ इंजीनियर्स टास्क फोर्स भी मौजूद हैं। NDRF की फर्स्ट बटालियन के कमांडेंट एचपीएस कंडारी ने कहा- दो मोटर के जरिए खदान से पानी निकाला जा रहा है। एक बार पानी निकल जाए। उसके बाद हम अंदर जाकर मैन्युअल सर्च ऑपरेशल चलाएंगे।
असम के स्पेशल DGP हरमीत सिंह ने बुधवार को कहा था कि खदान के अंदर कुछ दिखाई नहीं दे रहा। नेवी के ROV (रिमोटली ऑपरेटेड व्हीकल) को सुरंग के अंदर भेजा गया था। ROV फोटो खींचने में सक्षम और सोनार तरंगों से लैस है। हालांकि इसमें कुछ नहीं दिखाई दिया। अब खदान को साफ किया जा रहा है।
हादसा 6 जनवरी को हुआ था, जब मजदूर खदान में कोयला निकाल रहे थे। मजदूरों के रेस्क्यू के लिए सेना को लगाया गया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये रैट माइनर्स की खदान है। इसमें 100 फीट तक पानी भर गया है, जिसे दो मोटर की मदद से निकाला जा रहा है। पुलिस ने खदान के मालिक पुनीश नुनिसा को गिरफ्तार कर लिया है।
रेस्क्यू ऑपरेशन की 5 तस्वीरें…
खदान के अंदर रस्सियों के सहारे नेवी के डाइवर्स को भेजा गया है।
सेना के जवान पाइप के जरिए खदान के अंदर भरे पानी को निकलाने की कोशिश में लगे हैं।
ONGC की टीम भी रेस्क्यू में जुटी है।
असम के खदान में फंसे 9 मजदूरों में से एक का शव बाहर निकला लिया गया।
गोताखोरों को ट्रॉली के जरिए खदान में रेस्क्यू के लिए भेजा गया है।
उमरंगसो कोयला खदान में फंसे मजदूरों के नाम
- गंगा बहादुर श्रेठ, रामपुर (दुम्मना-2 भिजपुर), पीएस थोक्सिला, जिला: उदयपुर, नेपाल
- हुसैन अली, बागरीबारी, थाना श्यामपुर, जिला: दर्रांग, असम
- जाकिर हुसैन, 4 नंबर सियालमारी खुटी, थाना दलगांव, जिला: दर्रांग, असम
- सर्पा बर्मन, खलिसनिमारी, थाना गोसाईगांव, जिला: कोकराझार, असम
- मुस्तफा शेख, बागरीबारी, पीएस दलगांव, जिला: दर्रांग, असम
- खुसी मोहन राय, माजेरगांव, थाना फकीरग्राम, जिला: कोकराझार, असम
- संजीत सरकार, रायचेंगा, जिला: जलपाईगुड़ी, पश्चिम बंगाल
- लिजान मगर, असम कोयला खदान, पीएस उमरांगसो, जिला: दिमा हसाओ, असम
- सरत गोयारी, थिलापारा, बताशीपुर, डाकघर पनबारी, जिला: सोनितपुर, असम
2018 में भी मारे गए थे 15 रैट होल माइनर्स
ऐसा ही एक हादसा मेघालय की ईस्ट जयंतिया हिल्स में 2018 में हुआ था। जहां 15 मजदूर कोयला खदान में फंसकर मारे गए थे। 13 दिसंबर को इस खदान में 20 खनिक 370 फीट गहरी खदान में घुसे थे, जिसमें से 5 मजदूर पानी भरने से पहले बाहर निकल आए थे। 15 मजदूरों को बचाया नहीं जा सका था।
रैट होल माइनिंग क्या है?
रैट का मतलब है चूहा, होल का मतलब है छेद और माइनिंग मतलब खुदाई। साफ है कि छेद में घुसकर चूहे की तरह खुदाई करना। इसमें पतले से छेद से पहाड़ के किनारे से खुदाई शुरू की जाती है और पोल बनाकर धीरे-धीरे छोटी हैंड ड्रिलिंग मशीन से ड्रिल किया जाता है। हाथ से ही मलबे को बाहर निकाला जाता है।
रैट होल माइनिंग नाम की प्रोसेस का इस्तेमाल आम तौर पर कोयले की माइनिंग में होता रहा है। झारखंड, छत्तीसगढ़ और उत्तर पूर्व में रैट होल माइनिंग होती है, लेकिन रैट होल माइनिंग काफी खतरनाक काम है, इसलिए इसे कई बार बैन भी किया जा चुका है।
रैट माइनिंग पर 2014 में NGT ने लगाया था बैन
रैट माइनिंग कोयला खदानों में काम करने वाले मजदूरों ने ईजाद की थी। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल, यानी NGT ने 2014 में इस पर बैन लगा दिया था। एक्सपर्ट्स ने इसे अवैज्ञानिक तरीका बताया था। हालांकि विशेष परिस्थितियों, यानी रेस्क्यू ऑपरेशन में रैट माइनिंग पर प्रतिबंध नहीं है।
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