संभल में शाही जामा मस्जिद की सर्वे रिपोर्ट चंदौसी कोर्ट में दाखिल कर दी गई। गुरुवार को एडवोकेट कमिश्नर रमेश सिंह राघव ने करीब 45 पन्नों की रिपोर्ट सौंपी है। 4.5 घंटे की वीडियोग्राफी और 1200 से अधिक फोटो भी अदालत को दिए गए हैं।
सूत्रों का दावा है कि जामा मस्जिद में मंदिर होने के सबूत मिले हैं। मस्जिद में 50 से अधिक फूल, निशान और कलाकृतियां मिली हैं। अंदर 2 वट वृक्ष हैं। हिंदू धर्म में वट वृक्ष की पूजा की जाती है। एक कुआं है, उसका आधा हिस्सा मस्जिद के अंदर और आधा हिस्सा बाहर है। बाहर वाले हिस्से को ढंक दिया गया है।
पुराने ढांचे को बदला गया है। जिन जगहों पर पुराने ढांचे हैं, वहां नए निर्माण के सबूत मिले हैं। मंदिर वाले स्ट्रक्चर जैसे- दरवाजे, झरोखों और अलंकृत दीवारों पर प्लास्टर लगाकर पेंट कर दिया गया है। मस्जिद के भीतर जहां बड़ा गुंबद है, उस पर झूमर को तार से बांधकर एक चेन से लटकाया गया है। ऐसी चेन का इस्तेमाल मंदिरों में घंटों को लटकाने में किया जाता है।
कोर्ट कमिश्नर बोले- सुप्रीम कोर्ट के आदेश तक रिपोर्ट नहीं खुलेगी
ये कोर्ट कमिश्नर रमेश राघव हैं, जिन्होंने 40-45 पन्नों की सर्वे रिपोर्ट चंदौसी सिविल डिवीजन न्यायालय में सीलबंद लिफाफे में जमा की।
शाही जामा मस्जिद को श्रीहरिहर मंदिर बताने वाली याचिकाओं की जांच के लिए संभल की सिविल कोर्ट ने एडवोकेट कमिश्नर को जिम्मेदारी दी थी। पिछले साल 19 नवंबर की शाम करीब डेढ़ घंटे सर्वे चला था। इसके बाद 24 नवंबर की सुबह टीम ने 3 घंटे सर्वे किया। उसी दिन हिंसा हो गई, जिसमें गोली लगने से 5 लोग मारे गए थे।
एडवोकेट कमिश्नर रमेश सिंह राघव ने कहा, आज रिपोर्ट पूरी कर कोर्ट में पेश की गई। रिपोर्ट 40-45 पन्नों की है। इसे सीलबंद लिफाफे में कोर्ट में पेश किया गया। हमने 2 दिन सर्वे किया था। सर्वे में जो भी फोटो-वीडियो मिले थे, उसके आधार पर रिपोर्ट सिविल डिवीजन जज आदित्य सिंह की कोर्ट में जमा कर दी गई है। जब भी रिपोर्ट ओपन होगी, सारी जानकारी सामने आएगी।
यह पूछे जाने पर कि मामले में अगली सुनवाई कब होगी, राघव ने कहा- इस मामले में विपक्षी अगर हाईकोर्ट जाते हैं तो उसके आधार पर देखा जाएगा कि आगे क्या होगा। एडवोकेट कमिश्नर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश तक रिपोर्ट नहीं खुलेगी। सुप्रीम कोर्ट का आदेश न आने तक रिपोर्ट में क्या है, ये जज भी नहीं देख सकते। उन्होंने कहा कि चूंकि मेरा स्वास्थ्य ठीक नहीं था इसलिए रिपोर्ट पेश होने में कुछ ज्यादा समय लग गया।
जामा मस्जिद की 3 तस्वीरें देखिए…
यह जामा मस्जिद का परिसर है, यहां लोग फर्श पर बैठकर नमाज पढ़ते हैं।
यह मस्जिद के भीतर की तस्वीर है।
मस्जिद का गुंबद आलीशान है। बीचो-बीच झूमर लगा हुआ है।
हिंदू पक्ष ने 95 पेज की याचिका में 2 किताब और 1 रिपोर्ट को आधार बनाया कैलादेवी मंदिर के महंत ऋषि राज गिरि ने दावा किया कि शाही जामा मस्जिद श्रीहरिहर मंदिर है। मस्जिद में मंदिर के कई प्रमाण हैं। यहीं पर भगवान विष्णु के दशावतार कल्कि का अवतार होना है। शाही जामा मस्जिद सदर कोतवाली क्षेत्र के कोट पूर्वी में स्थित है।
19 नवंबर को 8 लोग मामले को लेकर कोर्ट पहुंचे और एक याचिका दायर की। इनमें सुप्रीम कोर्ट के वकील हरिशंकर जैन और उनके बेटे विष्णुशंकर जैन प्रमुख हैं। ये दोनों ताजमहल, कुतुब मीनार, मथुरा, काशी और मध्य प्रदेश के धार जिले की भोजशाला के मामले को भी देख रहे हैं।
इनके अलावा याचिकाकर्ताओं में वकील पार्थ यादव, केला मंदिर के महंत ऋषिराज गिरी, महंत दीनानाथ, सामाजिक कार्यकर्ता वेदपाल सिंह, मदनपाल, राकेश कुमार और जीतपाल यादव भी शामिल हैं। हिंदू पक्ष का दावा है कि ये जगह पहले श्रीहरिहर मंदिर हुआ करती थी, जिसे बाबर ने 1529 में तुड़वाकर मस्जिद बनवा दिया।
संभल कोर्ट में हिंदू पक्ष ने 95 पेज की याचिका में दो किताब और एक रिपोर्ट को आधार बनाया। इनमें बाबरनामा, आइन-ए-अकबरी किताब और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की 150 साल पुरानी एक रिपोर्ट शामिल है।
जिलाधिकारी बोले- वक्फ नामा फर्जी, जांच होगी गुरुवार दोपहर में संभल के डीएम और एसपी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। जिलाधिकारी राजेंद्र पैंसिया ने कहा कि सपा का एक प्रतिनिधिमंडल हमसे मिला था। उन लोगों ने कुछ कागजात पेश किए थे। इनमें एक वक्फ नामा था, जो उर्दू में अनुवादित था। उसमें 20 बिंदुओं में संपत्ति के संबंध में विवरण था।
उन्होंने बताया कि वक्फ नामा की पुष्टि के लिए नगर पालिका क्षेत्र के आसपास के स्थानों की संपत्तियों का परीक्षण किया गया। इसमें सरकारी स्थान, पुलिस चौकी, विवादित धर्म स्थल, तहसील, डाकघर और श्री कल्कि मंदिर शामिल हैं, जो सभी उसी क्षेत्र में आते हैं। इसके अलावा यह वक्फ नामा 50 रुपए के स्टांप पर आधारित था, जो अनरजिस्टर्ड था। इसमें कई कानूनों का उल्लंघन पाया गया। जैसे वक्फ अधिनियम 1995 की धारा 56, जो कहती है कि वक्फ की संपत्ति बिक नहीं सकती। जिलाधिकारी ने कहा कि कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार, ये संपत्तियां और वक्फ नामा प्रथम दृष्टया फर्जी लग हो रहे हैं। इसकी जांच की जा रही है।
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