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2024 में जलवायु परिवर्तन के कारण दुनियाभर में भीषण गर्मी के दिनों में 41 दिन की बढ़ोत्तरी हुई है। इसे लेकर नई रिसर्च रिपोर्ट जारी की गई। वर्ल्ड वेदर एट्रीब्यूशन की प्रमुख डॉ. फ्रेडरिके ऑटो का कहना है कि 2024 अब तक का सबसे गर्म साल रहा। इस दौरान करीब 3700 से ज्यादा लोगों की जान गई।
उन्होंने बताया कि दुनियाभर में लाखों लोगों को गर्मी और उससे जुड़ी बीमारियों के कारण विस्थापित होना पड़ा। जलवायु परिवर्तन के चलते बाढ़, तूफान और सूखे की समस्या से भी लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा।
इसके साथ ही ऑटो ने कहा कि जब तक दुनिया जीवाश्म ईंधन जलाना जारी रखेगी, जलवायु परिवर्तन की समस्या बढ़ती जाएगी। रिसर्च में यह भी बताया गया कि इसी तरह यदि हर साल तापमान 2 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ता रहा तो साल 2040 तक स्थिति भयानक हो सकती है।
दुनिया भर में लगभग 13 महीने तक भीषण गर्मी का दौर रहा।
रिसर्च रिपोर्ट की कुछ अहम बातें
- 29 में से 26 प्राकृतिक आपदा जलवायु परिवर्तन से जोड़ी गईं।
- कुछ जगहों पर जलवायु परिवर्तन के कारण 150 या उससे ज्यादा दिन तक गर्मी का असर रहा।
- जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले नुकसान को रोकने के लिए जल्द ही कदम उठाने होंगे।
- दुनिया भर में लगभग 13 महीने तक गर्मी की लहर चली।
प्राकृतिक आपदा के कारण हजारों लोग मारे गए अफ्रीकी देश सूडान, नाइजीरिया और कैमरून में भीषण गर्मी से आई प्राकृतिक आपदा के चलते 2 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई। उत्तरी कैलिफोर्निया और डेथ वैली में भी तेज गर्मी का कहर रहा। दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में तेज गर्मी के कारण स्कूलों को बंद किया गया।
जलवायु परिवर्तन से बचने के लिए जागरूकता जरूरी क्लाइमेट सेंट्रल में जलवायु विज्ञान की उपाध्यक्ष क्रिस्टिना डाहल के अनुसार, दुनिया के कम आबादी वाले और कम विकसित देशों में ऐसी घटनाओं का असर हुआ ज्यादा है। जलवायु परिवर्तन की समस्या से बचने के लिए लोगों को जागरूक रहने की जरूरत है।
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण प्रोग्राम ने ये चेतावनी दी है कि अगर कोई कदम नहीं उठाया गया तो जलवायु परिवर्तन के कारण घटनाएं और ज्यादा बढ़ सकती हैं, क्योंकि इस साल जीवाश्म ईंधन जलाने से पिछले साल की तुलना में अधिक कार्बन डाइऑक्साइड वायुमंडल में भेजा गया, जिससे पृथ्वी ज्यादा गर्म हुई।
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