लोकल 18 से बातचीत में इस समुदाय के अरविंद कुमार बताते हैं कि उनके यहां बांस का ये काम लगभग पांच पीढ़ी से चला आ रहा है. अरविंद के अनुसार, हम लोग बांस से टोकरी, शादी में प्रयोग किए जाने वाले सामान और अलमारी जैसे आइटम बनते हैं.
इसके अलावा कोई काम नहीं
अरविंद इस वक्त ग्रेजुएशन कर रहे हैं. उनका सपना बीपीएड करके सहायक शिक्षक बनने का है. इसके साथ वे अपने समुदाय के पुश्तैनी बिजनेस को भी आगे बढ़ा रहे हैं. अरविंद बताते हैं कि उनके समुदाय के लोग बांस के इसी काम में जुटे हैं. इसके अलावा उनके पास कोई काम नहीं. अरविंद बताते हैं कि उनका समुदाय बांस से डाल, डोलची, स्टैंड और गुलदस्ते समेत कई प्रकार के आइटम बनता है।
बिना ट्रेनिंग का नेचुरल हुनर
अरविंद के अनुसार, हम इन उत्पादों को बनाने के लिए मशीन का इस्तेमाल नहीं करते. सिर्फ छुरी जैसे एक औजार की मदद से खुद अपने हाथों से हर आइटम तैयार करते हैं. यह हुनर हम लोग को नेचुरल मिला है. हमने इस कला की कहीं से कोई ट्रेनिंग नहीं ली है.
Tags: Gonda news, Local18
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