इस मंदिर के करीब सिद्धतीर्थ कूप भी है, जिसे अब चबूतरे का स्वरूप दे दिया गया है. दावा यह भी है की मदनपुरा और उससे सटे देवनाथ इलाके में 18 पौराणिक लिंग हैं, जो फिलहाल लुप्त हैं. यह सिद्धेश्वर महादेव भी उनमें से एक है. अजय शर्मा ने बताया कि अन्य लिंग तीर्थो की भी खोज की जा रही है. इसमें कई विद्वान लगे हुए हैं.
कुछ दशक पहले होती थी पूजा
वहीं, स्थानीय सुनील उपाध्याय ने बताया कि वह इस मुहल्ले में बचपन से रहे हैं. बचपन में उन्होंने यहां पूजा पाठ होते हुए भी देखा है, लेकिन फिलहाल करीब 25 से 30 सालों से यहां ताला लटका हुआ देख रहे हैं. इलाके के अन्य लोग भी मंदिर में दोबारा से पूजा पाठ शुरू कराने की मांग कर रहे हैं.
महिलाओं ने किया शंखनाद
बता दें कि सनातन रक्षक दल की एक शिकायत के बाद सोमवार को पुलिस मौके पर पहुंची, तो ताला लटक रहे मंदिर की तस्वीर सामने आ गई. इसके बाद मंगलवार को वहां हिंदूवादी संगठन के लोग भी इक्कठा होने लगे. फिर महिलाओं ने वहां शंखनाद भी किया. इन सब के बीच दो पक्षों में तनाव न हो, इसके लिए फिलहाल वाराणसी कमिश्नरेट पुलिस ने वहां पीएसी की तैनाती कर दी है.
दस्तावेजों की जांच जारी
इसके साथ ही राजस्व विभाग की टीम भी मौके पर पहुंच जांच पड़ताल को शुरू कर दी है. बताया जा रहा है कि शनिवार तक इससे जुड़े सभी दस्तावेजों की जांच प्रशासनिक स्तर पर पूरी हो जाएगी. उसके बाद मंदिर को खुलवाने और उसमे पूजा पाठ शुरू कराने का काम शुरू किया जा सकता है.
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