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विकल्प कुदेशिया/बरेली: बरेली को नाथ नगरी अर्थात महादेव की नगरी कहा जाता है, अब उसी प्रकार प्रदेश सरकार और नगर निगम की ओर से भी बरेली को नाथ मय करने की तैयारी की जा रही है, जिस तरह बरेली में जगह-जगह पर भगवान भोलेनाथ के प्रतीक चिन्ह लगाए जा रहे हैं, तो कहीं चौराहा पर डमरू तो कहीं त्रिशूल लगाया जा रहा है. वहीं बरेली के अंदर आने वाले रास्तों के गेट को भी भगवान भोलेनाथ के नाम के साथ जोड़ा जा रहा है. इसके अलावा अब नगर निगम की ओर से नाथ नगरी में एक और नई पहल की भी शुरुआत की गई है. जी हां हम बात कर रहे हैं बरेली के आरवीआई रोड पर लगने वाले भगवान शिव के अनेक अनेक प्रकार के प्रतीकों बारे में.

बरेली के वरिष्ठ पत्रकार एवं इतिहासकार डॉ राजेश शर्मा ने लोकल 18 से खास बातचीत के दौरान बताया कि बरेली को नाथ नगरी इसलिए कहा जाता है कि पहले बरेली में बासों का झूमर था. यहां बास के बड़े-बड़े जंगल थे, जब बरेली धीरे-धीरे शहर में बस रहा था, तभी उस समय एक अभूतपूर्व घटना हुई. उस समय जंगल में जहां-जहां पीपल के पेड़ थे, वहां पर स्वयं भू प्रकट शिवलिंग प्रकट हुए जो कि पूरे बरेली के चारों दिशाओं में फैले हुए हैं. उस समय वहां से 6 शिवलिंग प्रकट हुई जो की बरेली शहर की रक्षा कर रही हैं, जिनकी वजह से बरेली को नाथ नगरी बरेली भी कहा जाता है.

डॉ. राजेश शर्मा बताते हैं कि इन्हीं वजहों से बरेली को उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के द्वारा नाथ कॉरिडोर भी घोषित किया गया है. अभी बरेली को सरकार के द्वारा नाथमय में बनाने की तैयारी कर की जा रही है, इसके लिए बरेली में भगवान शिव से जुड़े तरह-तरह के प्रतीक कॉन का प्रयोग किया जा रहा है. चाहे वह डमरू चौराहे पर लगा डमरू हो या त्रिशूल चौराहे पर लगा त्रिशूल हो. इसके अलावा अभी सरकार की ओर से बरेली के लिए 700 से 800 करोड रुपए की योजनाएं भी पास की गई हैं. इसके तहत बरेली को नाथमय में बनाने के लिए और भी प्रयास किए जा रहे हैं, आने वाले कुछ समय में जल्द ही बरेली को नाथमय भी घोषित किया जा सकता है.

FIRST PUBLISHED : December 9, 2024, 17:44 IST

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