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वीके सक्सेना, उपराज्यपाल दिल्ली।
– फोटो : एएनआई

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दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने 1984 के सिख विरोधी दंगा पीड़ितों की नौकरियों में भर्ती के लिए शैक्षणिक योग्यता में छूट को मंजूरी दी। यह मामला करीब 40 सालों से लंबित था। इस फैसले से एक बड़े समूह को नौकरी पाने व रोजगार सुरक्षित करेगा। एलजी ने संबंधित विभागों को मानवीय आधार पर मृतक या वृद्ध आवेदकों के बच्चों को रोजगार प्रदान करने की संभावना तलाशने का निर्देश दिया है। इस पहल का उद्देश्य प्रभावित परिवारों की वित्तीय कठिनाइयों को कम करना है। अपनी अनुमति में एलजी ने लिखा कि 1984 के सिख विरोधी दंगे भारतीय लोकतात्रिक परंपरा पर एक दाग हैं। इस दौरान मानवाधिकारों को ताक पर रखते हुए एक विशेष अल्पसंख्यक समुदाय पर अत्याचार किए गए। दंगों ने कई परिवारों को प्रभावित किया था और परिवार में अकेले कमाने वालों की जान ले ली गई थी।

 

अपने आदेश में एलजी ने लिखा कि राजस्व विभाग पहचाने गए शेष आवेदकों को एमटीएस के पदों के लिए आवश्यक शैक्षणिक योग्यता में पूरी तरह से छूट दी जाए। विभाग उन आवेदकों के बच्चों में से किसी एक को रोजगार देने के मामले में कार्रवाई करेगा, जिनमें आवेदकों ने पहले ही दी गई आयु में छूट के बावजूद रोजगार के लिए निर्धारित आयु सीमा पार कर ली है, या उनकी मृत्यु हो गई है। उपराज्यपाल का यह निर्णय मामलों की व्यापक समीक्षा के बाद आया है, जिसमें पता चला कि आवेदकों को पात्रता मानदंडों को पूरा करने के बावजूद, रोजगार से वंचित कर दिया गया था। सरकार ने पहले अनुकंपा नियुक्तियों के लिए 564 व्यक्तियों को नामांकित किया था, जिनमें से 133 पदों को 1990 के दशक में सुरक्षित किया गया था। हालांकि बाद के वर्षों में आयु में छूट दी गई, लेकिन योग्यता में छूट कई लोगों के लिए बाधा बनी रही।

एलजी से की थी मुलाकात

विभिन्न समूहों, जन प्रतिनिधियों, दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति और पीड़ितों के एक प्रतिनिधिमंडल ने उपराज्यपाल से मुलाकात कर, उन सभी पात्र आवेदकों पर विचार करने की अपील की थी, जो या तो वृद्ध हो चुके हैं या जिनका निधन हो चुका है।

एक बार मिलेगी छूट

एलजी के निर्देश पर सेवा विभाग ने मामले की समीक्षा की और पीड़ितों को शैक्षणिक योग्यता में केवल एक बार की छूट दिए जाने का प्रस्ताव पेश किया। एलजी की मंजूरी के साथ एमटीएस पद के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता 10वीं कक्षा से घटाकर 8वीं कक्षा कर दी गई है, जिससे बड़ी संख्या में उम्मीदवार पात्र हो जाएंगे। यह निर्णय 1984 के दंगा पीड़ितों को न्याय सुनिश्चित करने और जरूरी राहत प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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