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राकेश शर्मा, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अनुज कुमार

Updated Tue, 15 Oct 2024 08:25 AM IST

नेशनल एसोसिएशन फॉर रिप्रोडक्टिव एंड चाइल्ड हेल्थ ऑफ इंडिया की अध्यक्ष डॉ. अचला बत्रा ने कहा कि समय के साथ संस्थागत डिलीवरी बढ़ रही है। इससे प्रसव के दौरान होने वाली परेशानी को तुरंत हल किया जा सकता है, लेकिन मां बनने की उम्र बढ़ने से महिलाओं में कई तरह की परेशानियां देखी जा रही हैं।


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– फोटो : freepik/ amar ujala graphics

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महानगरीय शहरों में बदलती जीवन शैली के बीच बढ़ती मां बनने की उम्र नवजात के साथ महिलाओं के लिए चुनौती बढ़ा रही है। ऐसी महिलाओं में प्रसव के दौरान लेबर ट्रॉमा सहित दूसरी बीमारियां होने की आशंका बढ़ गई है।

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विशेषज्ञों का कहना है कि 35 की उम्र में गर्भावस्था धारण करने वाली महिलाओं में प्रसव के दौरान कई चुनौतियां सामने आती हैं। ऐसी महिलाओं में प्रसव क्रिया लंबी चलती है। जिससे नवजात के साथ मां को परेशानी होती है। इसके अलावा डिलीवरी में सर्जरी की जरूरत, कई बार बच्चे को बाहर निकालने के लिए उपकरणों का इस्तेमाल सहित दूसरी जरूरतें बढ़ जाती हैं।

नेशनल एसोसिएशन फॉर रिप्रोडक्टिव एंड चाइल्ड हेल्थ ऑफ इंडिया की अध्यक्ष डॉ. अचला बत्रा ने कहा कि स्वस्थ मां के लिए 20 से 35 साल की उम्र सबसे बेहतर है। वहीं 35 के बाद महिलाओं में कई तरह की परेशानियां हो सकती हैं। इसकी रोकथाम के लिए समय पर उचित जांच करवानी चाहिए।

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