रतन टाटा के पिता नवल को नवाजबाई टाटा ने गोद लिया था. नवाजबाई सर रतनजी टाटा की पत्नी थीं. इस तरह नवल का टाटा परिवार से जुड़ाव हुआ. जब नवल को गोद लिया गया, तब उनकी उम्र केवल 13 साल थी. नवल, टाटा समूह के संस्थापक जमशेदजी टाटा के दत्तक पौत्र हो गए और रतन टाटा परपौत्र. इस नाते वह टाटा परिवार का एक अभिन्न अंग बने. जब जेआरडी का उत्तराधिकारी चुनने की बारी आयी तो रतन टाटा सबसे योग्य व्यक्ति थे जो उनकी जगह ले सकते थे.
कॉर्नेल विश्वविद्यालय से ऑर्टिटेक्ट और स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग में डिग्री और हार्वर्ड एडवांस्ड मैनेजमेंट प्रोग्राम जैसी योग्यताएं प्राप्त करने के बावजूद, रतन टाटा ने अपना करियर 1962 में टेल्को (अब टाटा मोटर्स) और फिर टाटा स्टील में काम करते हुए शुरू किया. जहां उन्होंने चूना पत्थर की खुदाई की और ब्लास्ट फर्नेस में टीम मेंबर के रूप में काम किया. 1981 तक रतन टाटा टाटा इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष और जेआरडी के उत्तराधिकारी बन गए. 1991 से 2012 में अपने रिटायरमेंट तक वो टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस के अध्यक्ष बने रहे. उनके कार्यकाल के दौरान, समूह का राजस्व बढ़ा, जो 2011-12 में कुल 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक हो गया था.
कारोबार को दी नई ऊंचाई
एक दूरदर्शी व्यक्ति के रूप में, उनके मार्गदर्शन में कंपनी अपने ‘रिवर्स कोलोनियलिज्म’ के लिए जानी गई, क्योंकि इसने 2000 में चाय कंपनी टेटली को 407 मिलियन अमेरिकी डॉलर में, 2007 में एंग्लो-डच कोरस ग्रुप को 12 बिलियन अमेरिकी डॉलर में और 2008 में जगुआर लैंड रोवर को 2.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर में खरीदा था. कंपनी ने दुनिया भर में होटल, केमिकल कंपनियों, संचार नेटवर्क और ऊर्जा प्रदाताओं को भी खरीदा. कंपनियों का अधिग्रहण करना और उन्हें बदलना टाटा के कारोबारी करियर की खासियत रही है और उनके मार्गदर्शन में टाटा समूह की किस्मत में उल्लेखनीय वृद्धि हुई. जमशेदजी टाटा ने 1868 में एक ट्रेडिंग कंपनी शुरू करके पारिवारिक व्यवसाय की शुरुआत की. इसके बाद उन्होंने एक कपड़ा मिल खोली. वही आगे चलकर देश का सबसे बड़ा व्यापारिक समूह बना.
दादी ने की परवरिश
28 दिसंबर 1937 को बॉम्बे, ब्रिटिश भारत (वर्तमान मुंबई) में एक पारसी परिवार में जन्मे रतन टाटा, नवल टाटा और सूनी कमिसारीट के बेटे थे. जब रतन टाटा 10 साल के थे, तब उनके मां-बाप अलग हो गए थे. उसके बाद उन्हें जेएन पेटिट पारसी अनाथालय के माध्यम से उनकी दादी नवाजबाई टाटा ने औपचारिक रूप से गोद ले लिया था. रतन टाटा का पालन-पोषण उनके सौतेले भाई नोएल टाटा (नवल टाटा और सिमोन टाटा के बेटे) के साथ हुआ. रतन टाटा ने कैंपियन स्कूल, मुंबई, कैथेड्रल और जॉन कॉनन स्कूल, मुंबई, बिशप कॉटन स्कूल, शिमला और रिवरडेल कंट्री स्कूल, न्यूयॉर्क शहर में शिक्षा प्राप्त की. वह कॉर्नेल विश्वविद्यालय और हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के पूर्व छात्र थे. रतन टाटा ने आज 9 अक्टूबर को 86 साल की उम्र में अंतिम सांस ली.
जीवन भर रहे अविवाहित
जब किसी पारिवारिक व्यवसाय में करियर बनाया जाता है, तो अक्सर एक उत्तराधिकारी को जन्म देने का दबाव बहुत अधिक होता है, लेकिन रतन टाटा ने इस जरूरत का विरोध किया और अविवाहित रहे. कई लोगों ने उनके अविवाहित होने के कारणों पर अटकलें लगाई, अक्सर उनके माता-पिता की टूटी हुई शादी को दोष देते हैं. लेकिन उन्होंने खुलासा किया था कि एक बार उनकी शादी की योजना थी. उन्होंने फेसबुक पेज ‘ह्यूमंस ऑफ बॉम्बे’ के लिए एक पोस्ट में लिखा, “कॉलेज के बाद, मुझे एलए (लॉस एंजिल्स) में एक आर्किटेक्चर फर्म में नौकरी मिल गई, जहां मैंने दो साल तक काम किया. मुझे प्यार हो गया और मैं लगभग शादी करने वाला था. लेकिन उसी समय, मैंने वापस (भारत) आने का फैसला किया, कम से कम अस्थायी रूप से. क्योंकि मैं अपनी दादी से दूर था, जो लगभग सात साल से बहुत बीमार थीं. इसलिए मैं उससे मिलने वापस आया और सोचा कि जिस व्यक्ति से मैं शादी करना चाहता था, वह मेरे साथ भारत आएगी, लेकिन 1962 (चीन-भारत) युद्ध के कारण, उसके माता-पिता उसके इस कदम से सहमत नहीं थे, और रिश्ता टूट गया.”
मां-बाप के तलाक का झेला दर्द
हालांकि एक युवा व्यक्ति के लिए प्रेम विवाह के बजाय अपनी दादी को चुनना अजीब लग सकता है, लेकिन रतन टाटा के मन में अपनी दादी के लिए बहुत सम्मान था. उनके माता-पिता के तलाक के नतीजों ने उन्हें दर्द और दिल का दर्द दिया, लेकिन इससे उन्हें जो सबक मिले, वे उनके चरित्र का हिस्सा बन गए. उन्होंने लिखा था, “मेरी मां के दोबारा विवाह करने के तुरंत बाद, स्कूल के लड़के हमारे बारे में तरह-तरह की बातें करने लगे. लेकिन मेरी दादी ने हमें हर कीमत पर गरिमा बनाए रखना सिखाया, एक ऐसा मूल्य जो आज तक मेरे साथ है. इसमें ऐसी स्थितियों से दूर रहना शामिल था, जिनके खिलाफ हम अन्यथा लड़ सकते थे.”
सिद्धांतों से नहीं किया समझौता
हालांकि, ऐसे कई मौके आए जब रतन टाटा ने अपनी बात पर अड़े रहकर लड़ाई लड़ी. जब उन्होंने 2012 में 75 साल की उम्र में कंपनी चलाने से इस्तीफा दे दिया, जैसा कि फर्म के संविधान के अनुसार था. उसके बाद एक नए अध्यक्ष की जरूरत थी. साइरस मिस्त्री को इसलिए चुना गया क्योंकि उनके पिता पल्लोनजी मिस्त्री भी इसी वंश के थे, जिनकी टाटा व्यवसाय में 18.5 प्रतिशत हिस्सेदारी थी. टाटा परिवार से विवाह के नाते (साइरस की बहन आलू ने टाटा के सौतेले भाई नोएल से शादी की थी), यह एकदम सही लग रहा था.
साइरस को किया बर्खास्त
दोनों परिवारों के बीच सदियों पुराने संबंध तब खराब हो गए जब 2016 में साइरस को बर्खास्त कर दिया गया. साइरस का दावा था कि उन्हें गलत तरीके से हटाया गया था. उन्होंने कंपनी की संरचना और रतन टाटा दोनों की आलोचना की और मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा. जहां जज ने टाटा समूह के पक्ष में फैसला सुनाया. फैसले से खुश रतन टाटा ने कहा था कि, “मेरी ईमानदारी और समूह के नैतिक आचरण पर लगातार हमलों” के बाद उन्हें दोषमुक्त किया गया.
रतन टाटा की जीवनी
जन्म: 28 दिसंबर, 1937
निधन: 9 अक्टूबर, 2024
शिक्षा:
कॉर्नेल विश्वविद्यालय
हार्वर्ड बिजनेस स्कूल
परिवार:
नवल टाटा (पिता)
सूनी कमिसारीट (मां)
पद:
टाटा संस और टाटा समूह के पूर्व अध्यक्ष
टाटा संस और टाटा समूह के मानद चेयरमैन
पूर्ववर्ती : जेआरडी टाटा
उत्तराधिकारी:
साइरस मिस्त्री (2012)
नटराजन चंद्रशेखरन (2017-वर्तमान)
पुरस्कार:
पद्म विभूषण (2008)
पद्म भूषण (2000)
प्रसिद्ध कोट: “मैं सही निर्णय लेने में विश्वास नहीं करता. मैं निर्णय लेता हूं और फिर उन्हें सही बनाता हूं.”
“शक्ति और धन मेरे दो मुख्य हित नहीं हैं.”
Tags: Ratan tata, Tata Motors, Tata steel
FIRST PUBLISHED : October 10, 2024, 24:35 IST
- व्हाट्स एप के माध्यम से हमारी खबरें प्राप्त करने के लिए यहाँ क्लिक करें।
- टेलीग्राम के माध्यम से हमारी खबरें प्राप्त करने के लिए यहाँ क्लिक करें।
- हमें फ़ेसबुक पर फॉलो करें।
- हमें ट्विटर पर फॉलो करें।
Follow Us on Social Media
Disclaimer: This story is auto-aggregated by a computer program and has not been created or edited by Ghaziabad365 || मूल प्रकाशक ||