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सौरभ भारद्वाज
– फोटो : X/@AamAadmiParty
विस्तार
दिल्ली सरकार में मंत्री सौरभ भारद्वाज ने गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। जिसमें उन्होंने दिल्ली के मुख्य सचिव को भाजपा का एजेंट बता दिया। साथ ही उन्होंने रामवीर सिंह बिधूड़ी और दिल्ली के मुख्य सचिव के द्वारा भ्रष्ट आचरण का मुद्दा उठाया।
मंत्री सौरभ भारद्वाज ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि लोकसभा चुनावों में दिल्ली के मुख्य सचिव भारतीय जनता पार्टी के एजेंट की तरह काम कर रहे थे। वह मतदाताओं को प्रभावित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मैने पहले भी कहा था कि दिल्ली का जलसंकट भाजपा द्वारा प्रायोजित संकट है। बार-बार अनुरोध करने के बाद भी भाजपा की हरियाणा सरकार दिल्ली के हक का पानी नहीं दे रही है, पीने का पानी तक नहीं दे रही है।
आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद को प्रधान सेवक कहते हैं, ये तो बताइए दिल्ली के लोगों का गुनाह क्या है? हम आपसे अतिरिक्त पानी नहीं मांग रहे हैं, जो हमारे हक का 100 एमजीडी पानी है। वही पानी रोका जा रहा है, वो पानी हमें दें।
लोकसभा चुनावों के दौरान दिल्ली के मुख्य सचिव BJP के एजेंट की तरह काम कर रहे थे। वह मतदाताओं को प्रभावित कर रहे थे।
–@Saurabh_MLAgk pic.twitter.com/Q2LAtlUJl7— AAP (@AamAadmiParty) June 20, 2024
आगे कहा कि पिछले दो से तीन महीने जब देश में आचार सहिंता लगी हुई थी। उस दौरान हमने जब भी मुख्य सचिव को बैठक के लिए कहा तो उन्होंने आचार सहिंता का हवाला दिया। मैंने मुख्य सचिव को मोहल्ला क्लीनिक के डॉक्टरों की सैलरी न मिलने के संबंध में मीटिंग के लिए कहा लेकिन वो आचार सहिंता की बात कहकर मीटिंग में नहीं आये। वहीं इस दौरान वह दक्षिणी दिल्ली से भाजपा के उम्मीदवार और कई अन्य भाजपा नेताओं के साथ बैठकें करते रहे।
दिल्ली में साफ-सफाई को लेकर भी जब मुख्य सचिव को पत्र लिखकर सवाल पूछे गये तो उनका एक ही जवाब था कि आचार सहिंता लगी हुई है। मुख्य सचिव डॉक्टरों की सैलरी, अस्पतालों में दवाई की कमी को लेकर बैठक नहीं कर सकते। क्योंकि आचार सहिंता लगी हुई है। लेकिन वो भाजपा के उम्मीदवार के साथ बैठकें कर रहे हैं। मैंने इस बारे में मुख्य सचिव और केंद्रीय गृह मंत्रालय को पत्र लिखा। लेकिन अभी तक उनका कोई जवाब नहीं आया है।
चुनाव के दौरान दक्षिणी दिल्ली से भाजपा उम्मीदवार रामवीर बिधुड़ी दिल्ली के मुख्य सचिव से मिलते हैं। यह सरासर गैरकानूनी है। भारतीय संविधान के मुताबिक, अगर कोई सरकारी अधिकारी किसी भी उम्मीदवार की मदद करता है या फिर मदद का दिखावा भी करता है तो यह भ्रष्ट आचरण में आएगा। इसके साथ ही नियम यह भी कहता है कि अगर ऐसा होता है तो चुनाव रद्द कर दिया जाएगा।
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