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-भारतीय सिनेमा में हिंदू धर्म को लेकर चल रही अनदेखी को लेकर की चर्चा

नई दिल्ली। भारतीय सिनेमा में धर्म अब एक नया धंधा बन गया है। जिसको समय-समय पर भुनाया जा रहा है। आने वाले समय में धर्म के विषय पर कई फिल्में भी रिलीज हो रही है। जो समाज में होता है वही सिनेमा दिखाता है। इस बात को आप मानें या ना मानें मगर हाल के वर्षों में जिस तरह से धर्म से जुड़े आडंबर, अंधभक्ति और कथित धर्मगुरु सुर्खियों में रहे हैं, उसने भारतीय सिनेमा में नया विषय दिया है। धार्मिक विमर्श समाज और राजनीति के केंद्र में हैं और सिनेमा भी इस बहस में पीछे नहीं है। यह बात अलग है कि ज्यादातर फिल्मी कोशिशें इस मुद्दे को कॉमर्शियल ढंग से भुनाने की हैं। ओ माय गॉड, ओ माय गॉड-2 और पीके और हाल में रिलीज हुई महाराज जैसी फिल्मों की सफलता इसकी गवाह है। आने वाले दिनों में भी धर्म के विषय पर बनी फिल्में सिनेमाघरों में देखने को मिलेगी। हिंदी भारतीय सिनेमा में धर्म को लेकर बन रही फिल्मों को लेकर शनिवार पूर्व सांसद एवं मशहूर फिल्म अभिनेता गोविंद अरुण अहूजा (गोविंदा) और बेहद सरल व्यक्तित्व के धनी हिन्दी सिनेमा के दिग्गज और राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित अभिनेता पंकज त्रिपाठी से उनके आवास पर ब्राह्मण सेवक तरुण मिश्र ने मुलाकात के दौरान चर्चा की।

90 के दशक में गोविंदा बॉलीवुड के सबसे पसंदीदा एक्टर थे। अभिनेता अपने बेहतरीन अभिनय से लोगों के दिलों पर राज करते थे। गोविंदा अपने समय के टॉप एक्टर है। फिल्में हिट होने के लिए बस उनका नाम ही काफी था। फैंस उनकी फिल्मों का बेसब्री से इंतजार करते थे। वहीं बॉलीवुड के बड़े बड़े स्टार्स गोविंदा के नाम से डरते थे। आज तक कोई सुपरस्टार इनका रिकॉर्ड नहीं तोड़ पाया है। वहीं भारतीय फिल्म जगत के अभिनेता एवं कालीन भैया के नाम से मशहूर पंकज त्रिपाठी के सितारें फिलहाल बुलंद हैं। पंकज आज के समय में ऐसे एक्टर हैं जिनके पास काम की कोई कमी नहीं हैं। वो लगातार फिल्मों और वेब सीरीज में नजर आ रहे हैं। जिस तरह से फिल्मों में पंकज को लेना मेकर्स की पहली पसंद है उसी तरह दर्शकों के लिए भी वह पहली पसंद है।

अभिनेता गोविंद अरुण अहूजा (गोविंदा) और पंकज त्रिपाठी से मुलाकात के दौरान तरुण मिश्र ने कहा कि जिस तरह भारतीय सिनेमा में हिंदू धर्म को हमेशा से नीचा दिखाने का प्रयास किया जा रहा है। अगर यही हाल रहा तो आने वाले समय में हिंदू धर्म की स्थिति और दयनीय होगी। क्योंकि जब आप कोई फिल्म बनाते है तो उसे करोड़ों लोग देखते है। फिल्म में देखी गई थीम को अक्सर लोग दिमाग में बैठा भी लेते है, जिससे हिंदू धर्म के लिए बेहद ही घातक साबित होगा। यहां किसी धर्म को नीचा दिखाने की बात नहीं है, मगर हिंदू धर्म को गिराने की जगह उठाने का प्रयास किया जाए तो हमारी आने वाली पीढ़ी के लिए लाभदायक साबित होगा। घंटों चली वार्ता के दौरान दोनो अभिनेताओं ने तरुण मिश्र को आश्वस्त किया कि भविष्य में ऐसी फिल्मों का भी निर्माण किया जाएगा, जो हिंदू धर्म के लिए हित में हो।




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