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– आस्था के रास्ते पर नहीं दिखेगा नशा, कांवड़ यात्रा में आबकारी विभाग की बेमिसाल सख्ती ने पेश की प्रशासनिक परिपक्वता की मिसाल
-कांवडिय़ों की आस्था बनी सर्वोपरि, आबकारी विभाग ने कर्तव्य और श्रद्धा का अनुपम संगम रचा

उदय भूमि संवाददाता
गाजियाबाद। श्रावण मास के पवित्र माह में जब पूरा उत्तर भारत भक्ति की लहर में डूबा है, शिवभक्तों का जनसैलाब हरिद्वार से कांवड़ लेकर अपने-अपने गंतव्यों की ओर बढ़ रहा है, ऐसे समय में गाजियाबाद जिला आबकारी विभाग ने एक ऐतिहासिक और सराहनीय पहल करते हुए यह साबित कर दिया कि प्रशासनिक सख्ती और धार्मिक संवेदनशीलता जब एक साथ चलती हैं, तो परिणाम जनहितकारी होते हैं।
जिला आबकारी अधिकारी संजय कुमार प्रथम के नेतृत्व में विभाग की पूरी टीम ने कांवड़ यात्रा मार्गों पर स्थित शराब और भांग की दुकानों को न केवल पूर्णत: ढकवाया, बल्कि यह सुनिश्चित किया कि इन दुकानों की उपस्थिति से कांवडिय़ों की आस्था को कोई ठेस न पहुंचे। मेरठ रोड, दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे, एनएच-9 और पाइपलाइन रोड जैसे प्रमुख मार्गों को कांवड़ मार्ग घोषित किए जाने के बाद इन रास्तों पर मौजूद 165 शराब व भांग की दुकानों पर पर्दा डलवाया गया। इनमें 74 देशी शराब की दुकानें, 74 कंपोजिट (शराब व बीयर) दुकानें, 10 मॉडल शॉप और 7 भांग की दुकानें शामिल हैं। इस कार्य को महज औपचारिकता नहीं, बल्कि एक मिशन मानकर चलाया गया।

आबकारी विभाग की निरीक्षण टीम ने रविवार को पूरी चौकसी के साथ मैदान में उतरकर हर एक दुकान का निरीक्षण किया। टीम में मनोज शर्मा, अखिलेश कुमार, डॉ. राकेश त्रिपाठी, अनुज वर्मा, चमन सिंह, कीर्ति सिंह और चंद्रजीत सिंह जैसे अनुभवी अधिकारियों ने दिनभर निगरानी रखी और यह सुनिश्चित किया कि कोई भी दुकान खुली न मिले, कहीं कोई व्यक्ति शराब का सेवन करता हुआ न दिखे। दुकानदारों को स्पष्ट चेतावनी दी गई कि किसी भी स्थिति में पर्दा हटाया गया या दुकान के आसपास शराब पीने की शिकायत मिली तो उनके विरुद्ध कठोरतम कार्रवाई की जाएगी, जिसमें लाइसेंस निरस्त करने तक की कार्यवाही शामिल है। कांवड़ यात्रा के दौरान शराब की बिक्री पर स्वाभाविक रूप से असर पडऩा तय है और विभाग को राजस्व में संभावित गिरावट का अंदेशा भी है, लेकिन इसके बावजूद प्रशासन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि धार्मिक भावनाएं और सामाजिक मर्यादा किसी भी राजस्व लक्ष्य से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हैं।

यही वजह है कि पूरे कांवड़ मार्ग पर एक अनुशासित और श्रद्धापूर्ण वातावरण बना हुआ है, जहां दुकानों पर परदा है और श्रद्धालुओं की आंखों में संतोष। जिला आबकारी अधिकारी संजय कुमार प्रथम की यह पहल न केवल शासन की नीतियों के अनुरूप है, बल्कि यह उनकी संवेदनशीलता और समाज के प्रति उत्तरदायित्व की भावना का भी प्रमाण है। उन्होंने यह दिखा दिया है कि एक प्रशासनिक अधिकारी सिर्फ कानून का पालन करवाने वाला नहीं होता, वह समाज का सजग प्रहरी और सांस्कृतिक सरोकारों का संवाहक भी हो सकता है। आबकारी विभाग की इस पहल को जनमानस से भी व्यापक सराहना मिल रही है। आम लोग इसे एक सकारात्मक संदेश के रूप में देख रहे हैं, जिसमें यह बताया गया है कि प्रशासन अगर ठान ले तो श्रद्धा, अनुशासन और व्यवस्था—तीनों को साथ लेकर चला जा सकता है। यह सिर्फ एक पर्दा नहीं, बल्कि प्रशासनिक गरिमा, सामाजिक जिम्मेदारी और धार्मिक भावना का संगम है, जिसने कांवड़ यात्रा को और भी पवित्र और मर्यादित बना दिया है।

ना दिखे शराब, ना टूटे श्रद्धा- आस्था के मार्ग पर सख्त निगरानी
कांवड़ यात्रा मार्गों दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे, मेरठ रोड, एनएच-9 और पाइपलाइन रोड को धार्मिक दृष्टिकोण से संवेदनशील मानते हुए इन रास्तों पर स्थित सभी शराब व भांग की दुकानों को पूर्णत: ढका गया है। आंकड़ों की बात करें तो 74 देशी शराब की दुकानें 74 कंपोजिट शराब और बीयर की दुकानें 10 मॉडल शॉप 7 भांग की दुकानें? कुल = 165 दुकानें जिन्हें आदेशानुसार ढंका गया है।

धर्म से बड़ा नहीं कोई लक्ष्य: राजस्व से ऊपर श्रद्धा का सम्मान
शराब की बिक्री में गिरावट से भले ही कुछ हज़ारों या लाखों का राजस्व कम हो, लेकिन जिला आबकारी विभाग ने यह सख्ती दिखाकर साबित किया है कि सिस्टम जब चाहे तो धर्म और समाज दोनों का प्रहरी बन सकता है। संजय कुमार प्रथम जैसे अधिकारी की सोच और उनकी तेजतर्रार टीम की ज़मीनी सक्रियता ने यह दिखाया कि प्रशासनिक कुशलता का अर्थ केवल लक्ष्य पूरे करना नहीं, बल्कि *समाज की भावना को सहेजना भी है।

प्रशासनिक परिपक्वता और धार्मिक संवेदना का अद्भुत संगम
गाजियाबाद आबकारी विभाग की यह ऐतिहासिक पहल न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि देशभर के अन्य जिलों के लिए भी एक मार्गदर्शक सिद्ध हो सकती है। यह केवल दुकानें बंद करने का काम नहीं था, यह श्रद्धा का सम्मान था। यह श्रद्धालुओं को निर्बाध और निर्मल धार्मिक अनुभव देने की जिम्मेदारी थी, जिसे इस टीम ने बख़ूबी निभाया। जिस मुस्तैदी से इस बार आबकारी विभाग ने मोर्चा संभाला है, उससे यह तो तय है कि श्रद्धालु न सिर्फ भगवान शिव को पूज रहे हैं, बल्कि अब प्रशासन के इस समर्पण को भी सराह रहे हैं।

संजय कुमार प्रथम
जिला आबकारी अधिकारी
गाजियाबाद।

कांवड़ यात्रा जनभावनाओं, श्रद्धा और सामाजिक एकता का प्रतीक है। हमारा पहला कर्तव्य यही है कि इस धार्मिक आयोजन में कोई विघ्न न आए। इसलिए हमने यह सुनिश्चित किया है कि कांवड़ मार्ग पर पडऩे वाली सभी शराब और भांग की दुकानों को पूरी तरह ढक दिया जाए, ताकि कांवडिय़ों की आस्था को कोई ठेस न पहुंचे। हमारे लिए राजस्व महत्वपूर्ण है, लेकिन उससे अधिक महत्वपूर्ण जनता की भावना और धर्म के प्रति सम्मान है। हमने पूरी टीम को निर्देशित किया है कि किसी भी दुकान के आसपास अगर कोई व्यक्ति शराब का सेवन करता पाया गया, तो उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी। सभी दुकानदारों को स्पष्ट निर्देश दिए जा चुके हैं कि कांवड़ यात्रा की समाप्ति तक दुकानों के आगे से पर्दा हटाया नहीं जाएगा। हमारी पूरी टीम फील्ड में सक्रिय है, हर मार्ग की निगरानी की जा रही है और श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो, यह हमारा संकल्प है। हमारा उद्देश्य केवल नियमन नहीं, बल्कि सामाजिक और धार्मिक मर्यादा की रक्षा भी है।
संजय कुमार प्रथम
जिला आबकारी अधिकारी

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