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10th Toppers Success story : घर की खराब स्थिति देखकर स्कूल ने उनकी फीस कम कर दी. अब 11वीं और 12वीं फ्री में पढ़ाएगा. रोजाना 11 KM साइकिल चलाकर स्कूल जाने वाली रिया IAS बनना चाहती हैं.

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बिन

बिन बाप की बच्ची रिया कुशवाहा हाई स्कूल जिला थर्ड टॉपर 

हाइलाइट्स

  • बचपन में ही उनके पिता का निधन हो गया.
  • रिया रोज 11 KM साइकिल चलाकर स्कूल जाती हैं.
  • IAS बनकर देश की सेवा करने का सपना है.

Ballia 10th Toppers Riya/बलिया. इस बच्ची की कहानी किसी के लिए भी प्रेरणा बन सकती है. बचपन में ही सिर से पिता का साया उठ गया, स्थिति ऐसी बनी की परिवार दो वक्त की रोटी के लिए मोहताज हो गया, लेकिन मां ने हिम्मत नहीं हारी. खुद के थोड़े से खेत में मेहनत करनी शुरू की. इस बीच वृद्धा पेंशन मिलने लगी तो एक बेटे और दो बेटियों को पढ़ाने लगी. बड़ी बेटी हमेशा स्कूल में टॉप आती. 10वीं में तो उसने कमाल ही कर दिया. पिछले दिनों उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद की ओर से घोषित बोर्ड परीक्षा की नतीजों में बलिया की रिया कुशवाहा ने जिले में तीसरा स्थान हासिल किया तो परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं रहा.

लोकल 18 से बातचीत में रिया बताती हैं कि वे बलिया और गाजीपुर बॉर्डर पर स्थित उतराव गांव की रहने वाली हैं. रिया बाबू रामजीत सिंह इंटर कॉलेज जेवईनिया मिर्जापुर रसड़ा की छात्रा हैं. 10वीं बोर्ड में रिया ने 600 में 574 (95.67%) अंक प्राप्त किए हैं. रिया को ये कामयाबी रेगुलर क्लास से मिली है. वो घर पर भी खूब मेहनत करती थीं. घर की खराब स्थिति देखकर स्कूल ने उनकी फीस कम की थी. अब स्कूल 11वीं और 12वीं में उनकी पढ़ाई फ्री में कराएगा.

IAS बनने का सपना

रिया पढ़ाई करने के लिए रोजाना 11 किलोमीटर दूर साइकिल चलाकर जाती हैं. जब 9 साल की थीं तो पिता का निधन हो गया. रिया IAS बनकर देश की सेवा करना चाहती हैं. अपने छोटे भाई और बहन की जिम्मेदारी उठाना चाहती हैं. आज भी तीनों भाई-बहन एक ही थाली में बैठकर खाना खाते हैं. रिया की मां सुषमा बताती हैं कि घर की स्थिति बहुत दयनीय है. छोटी सी जमीन है, जिस पर वो खेती करती हैं. कोटा से मिले राशन से घर का गुजारा चलता है. वृद्धा पेंशन से बच्चों को पढ़ाती हैं. रिया बहुत देर तक पढ़ाई करती है, जिसकी वजह से पेट में सूजन हो गया था, अब इलाज से ठीक है.

पढ़ने में होनहार, सपोर्ट की जरूरत

बाबू रामजीत सिंह इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य महेंद्र सिंह कहते हैं कि लड़की पढ़ने में बहुत ब्रिलियंट है. रेगुलर साइकिल से 11 किलोमीटर की दूरी तय करके पढ़ने आती थी. परिवार की स्थिति बहुत खराब है. इसकी वजह से केवल नाम मात्र फीस ली जाती है. स्कूल ने निर्णय लिया है कि आगे की पढ़ाई के लिए बच्ची की पूरी फीस माफ कर दी जाएगी. इस बच्ची को अगर सपोर्ट मिल जाए, तो पक्का देश का नाम रोशन करेगी.

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Success Story : वृद्ध पेंशन से पढ़ाई, कोटा से राशन और 10वीं में जिला टॉप

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