Indian Army Story: जब हौसला बुलंद हो और लक्ष्य साफ़ हो, तो मुश्किलें भी राह बना देती हैं. ऐसी ही कहानी एक लेडी की है, जिन्होंने सेना में अफसर बनकर खुद को साबित कर दिया है.
हाइलाइट्स
- पति की शहादत के बाद सेना में अफसर बनकर मिसाल कायम की.
- ससुराल से निकाले जाने के बाद MBA किया और सेना में शामिल हुईं.
- कठिन परिश्रम से 32 साल की उम्र में लेफ्टिनेंट का पद हासिल किया.
Indian Army Story: हौसला बुलंद हो और कुछ करने का जुनून हो, तो किसी भी परिस्थितियों से लड़कर खुद को निखार सकते हैं. इस वाक्य को चरित्रार्थ निधि दुबे (Lieutenant Nidhi Dubey) ने करके के दिखाया है. उनकी ज़िंदगी आम महिलाओं से बिल्कुल अलग मोड़ पर चली गई है. उनकी महज़ 20 साल की उम्र में शादी हुई हो गई थी. इसके एक साल बाद जब वह सिर्फ 21 की थीं, तब उनके पति भारतीय सेना के जवान मुकेश कुमार दुबे की शहादत हो गई थी. उस समय निधि चार महीने की गर्भवती थीं.
ससुराल से निकाला, डिप्रेशन से लड़ी अकेली जंग
निधि दुबे के दुखों का सिलसिला यहीं नहीं रुका, उनके पति के निधन के बाद जब उन्हें सबसे ज़्यादा सहारे की ज़रूरत थी, तभी उनके ससुराल वालों ने उन्हें ठुकरा दिया. निधि को गर्भावस्था की हालत में घर से निकाल दिया गया. इस अस्वीकार और मानसिक आघात ने उन्हें गहरे अवसाद में धकेल दिया, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी.
बेटे के जन्म ने दी नई एनर्जी, खुद को फिर से खड़ा किया
निधि अपने मायके लौट आईं और बेटे सागर के जन्म के बाद उन्हें जैसे नई ताक़त मिल गई. उन्होंने अपने आप से वादा किया कि वह अपने बेटे को एक मज़बूत मां दिखाएंगी, जो हालातों से हार नहीं मानती. निधि ने खुद को सशक्त बनाने के लिए शिक्षा का रास्ता चुना. वह इंदौर गईं एमबीए की पढ़ाई पूरी की और फिर एक निजी कंपनी में नौकरी करने लगीं. लगभग एक साल तक काम करने के बाद उनकी मेहनत और लगन ने उनके दिवंगत पति के सीनियर अधिकारियों का ध्यान खींचा.
सेना में फिर से जुड़ने का अवसर और संघर्ष की नई शुरुआत
निधि को दिवंगत पति के सीनियर अधिकारियों के जरिए सेना में सेवा चयन बोर्ड (SSB) की तैयारी करने की सलाह दी गई. विधवाओं के लिए निर्धारित विशेष प्रावधानों के चलते निधि को सेना में आवेदन करने का अवसर मिला. उन्होंने न केवल आवेदन किया, बल्कि कठिन फिजिकल ट्रेनिंग भी किया. वह सुबह 4 बजे उठकर 5 किलोमीटर दौड़ना और दिनभर की फिजिकल मेहनत के बाद रात में पढ़ाई करना उनकी दिनचर्या बन गई.
भारतीय सेना में बनी ऑफिसर
SSB की तैयारी के दौरान निधि को आर्मी स्कूल में पढ़ाने का काम मिला, जहां उनका बेटा भी पढ़ रहा था. वहीं पढ़ाते हुए वह अपनी परीक्षा की तैयारी करती रहीं. ट्रेनिंग के दौरान निधि अपने बेटे से केवल दो बार मिल सकीं, लेकिन यह दूरी उन्हें कभी नहीं रोक सकी. अंततः निधि की मेहनत रंग लाई और 32 साल की उम्र में उन्होंने सेना में लेफ्टिनेंट का पद हासिल कर लिया. आज वह न सिर्फ अपने बेटे के लिए एक आदर्श हैं, बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं.
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