Image Slider

• आबकारी विभाग की हाईलेवल बैठक में भ्रष्टाचार, तस्करी और ओवररेटिंग पर कड़ा संदेश
• आबकारी आयुक्त आदर्श सिंह ने अफसरों को चेताया: अब प्रदर्शन ही पहचान होगी
• लापरवाही नहीं चलेगी, अवैध शराब पर अब आर-पार की लड़ाई

उदय भूमि संवाददाता
गौतमबुद्ध नगर। सेक्टर-38 स्थित शक्ति सदन गेस्ट हाउस में मंगलवार को कई घंटों तक उत्तर प्रदेश आबकारी विभाग की एक अहम और उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक आयोजित की गई, जिसकी अध्यक्षता स्वयं राज्य के आबकारी आयुक्त आदर्श सिंह ने की। यह बैठक महज एक औपचारिक समीक्षा नहीं थी, बल्कि एक स्पष्ट संदेश देने वाला सशक्त मंच बनकर सामने आई-अब लापरवाही, भ्रष्टाचार और अवैध शराब के कारोबार पर कोई रहम नहीं किया जाएगा। बैठक में मेरठ मंडल के सभी जनपदों के जिला आबकारी अधिकारी, सहायक आयुक्त, प्रवर्तन इकाइयों के वरिष्ठ अधिकारी और आसवन उद्योग से जुड़े प्रतिनिधि उपस्थित रहे। बैठक की शुरुआत से ही आयुक्त आदर्श सिंह ने अपने तीखे और सख्त तेवरों में यह स्पष्ट कर दिया कि अब विभागीय कार्यप्रणाली में निष्क्रियता या लापरवाही को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया कि जो भी शराब माफियाओं, अवैध शराब तस्करी करने वालों और ओवररेटिंग करने वाले लाइसेंसधारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करता, उसकी जवाबदेही निश्चित रूप से तय की जाएगी।

सीमावर्ती जिलों को विशेष रूप से सतर्क करते हुए आदर्श सिंह ने कहा कि बाहरी राज्यों से अवैध शराब की आवाजाही पर पूर्ण विराम लगाने के लिए सीमा चेक पोस्ट्स को और अधिक सतर्क और सक्षम बनाया जाए। उन्होंने निर्देश दिया कि अब हर शराब की बोतल बिक्री से पहले स्कैन की जाएगी और उसके डेटा को रिकॉर्ड किया जाएगा। इसके लिए 100 प्रतिशत पॉश मशीन का उपयोग अनिवार्य किया गया है, जिससे पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके। बैठक में यह भी तय किया गया कि अब मल्टीप्लेक्स और मॉल में प्रीमियम शराब दुकानों को प्रोत्साहन दिया जाएगा, जिससे हाई-एंड उपभोक्ताओं को एक व्यवस्थित और बेहतर अनुभव मिल सके। इस दिशा में कोई भी व्यक्ति 25 लाख रुपये की निर्धारित फीस देकर मॉल या मल्टीप्लेक्स में अपनी पीआर शॉप खोल सकता है। इसके अलावा देशी शराब की दुकानों पर बीयर बेचने की अनुमति वाले सीएल-5सीसी लाइसेंस की संख्या में भी वृद्धि की जाएगी, जिससे ग्राहकों को अधिक विकल्प मिल सकें।

उत्तर प्रदेश की आगामी 2025-26 की आबकारी नीति में नोएडा, गाजियाबाद, आगरा और लखनऊ जैसे प्रमुख शहरों में लो अल्कोहल बार खोलने का प्रस्ताव भी शामिल किया गया है। इस नीति के तहत रेस्टोरेंट्स में प्रीमियम शॉप्स और फाइन डाइनिंग के साथ लॉ अल्कोहॉलिक वाइन और बीयर की सुविधा भी दी जाएगी। तस्करी की रोकथाम के लिए आबकारी विभाग अब जीएसटी विभाग के साथ समन्वय कर अवैध शराब के कारोबार पर शिकंजा कसेगा। यदि किसी जिले से होकर तस्करी की गई शराब किसी अन्य जिले में पकड़ी जाती है, तो उस मार्ग से गुजरने वाले जिले के संबंधित अधिकारी की भी जवाबदेही तय की जाएगी। शराब की ओवररेटिंग की समस्या को गंभीरता से लेते हुए आयुक्त ने निर्देश दिया कि गुप्त जांच, टेस्ट परचेजिंग और अन्य निगरानी माध्यमों से लाइसेंसी दुकानों पर नजर रखी जाए। यदि किसी दुकान पर बार-बार ओवररेटिंग की शिकायत मिलती है, तो उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए।

बैठक का मुख्य उद्देश्य जहां विभागीय समीक्षा और पारदर्शिता को सुनिश्चित करना था, वहीं यह भी सुनिश्चित करना था कि राज्य सरकार द्वारा निर्धारित राजस्व लक्ष्यों को समयबद्ध तरीके से पूरा किया जाए। इसके लिए अधिकारियों को निर्देश दिए गए कि वे एफएल-4डी (डिस्ट्रिब्यूशन), एफएल-7(1) (रेस्टोरेंट बार), और एफएल-4सी (पीआर शॉप) जैसे लाइसेंसों पर जन-जागरूकता अभियान चलाएं। साथ ही जो रेस्टोरेंट नियमित रूप से इवेंट बार का लाइसेंस ले रहे हैं, उन्हें स्थायी लाइसेंस लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाए। आयुक्त आदर्श सिंह ने स्पष्ट रूप से कहा कि अब पहचान सिर्फ पद से नहीं बल्कि प्रदर्शन से होगी।

इस बैठक ने प्रदेश में आबकारी व्यवस्था को एक नई दिशा देने का काम किया है, जिसमें पारदर्शिता, ईमानदारी और जवाबदेही की मजबूत नींव रखी गई है। बैठक में संयुक्त आबकारी आयुक्त मेरठ जोन सुनील कुमार मिश्रा और उप आबकारी आयुक्त राकेश कुमार सिंह ने भी बैठक में भाग लिया और विभिन्न मुद्दों पर अपना फीडबैक साझा किया। गौतमबुद्ध नगर के जिला आबकारी अधिकारी सुबोध कुमार श्रीवास्तव, गाजियाबाद से संजय कुमार प्रथम, मेरठ, हापुड़, बागपत, बुलंदशहर सहित मंडल के अन्य अधिकारी शामिल रहे।

लो अल्कोहल बार की नीति: नए जमाने के उपभोक्ताओं की पसंद का ख्याल
आगामी 2025-26 की आबकारी नीति के तहत नोएडा, गाजियाबाद, आगरा और लखनऊ में लो अल्कोहल बार खोलने का प्रावधान किया गया है। रेस्टोरेंट में प्रीमियम शॉप्स को प्रोत्साहित कर फाइन डाइनिंग के अनुभव को और बेहतर बनाया जाएगा।

प्रीमियम शॉप्स और मल्टीप्लेक्स मॉडल को मिलेगा बढ़ावा
बैठक में यह भी निर्देश दिया गया कि मल्टीप्लेक्स और मॉल में अधिक से अधिक प्रीमियम शराब की दुकानें खोली जाएं ताकि हाई सोसायटी के उपभोक्ताओं को बेहतर सेवाएं मिल सकें। कोई भी इच्छुक व्यक्ति 25 लाख रुपये की फीस देकर अपनी पीआर शॉप खोल सकता है।

सीमावर्ती जिलों को विशेष निर्देश: बॉर्डर चेकिंग और स्कैनिंग होगी अनिवार्य
आयुक्त ने सीमावर्ती जिलों को सख्त निर्देश दिए कि बाहरी राज्यों से आने वाली शराब की धरपकड़ के लिए बॉर्डर चेकिंग को और सख्त किया जाए। अब हर शराब की बोतल को स्कैन किए बिना बिक्री की अनुमति नहीं होगी। पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए 100 प्रतिशत पॉश मशीन का उपयोग अनिवार्य किया गया है।

भ्रष्टाचार और अवैध शराब पर जीरो टॉलरेंस नीति
इस बैठक में साफ कहा गया कि अब किसी भी अधिकारी की ढिलाई या भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। आबकारी आयुक्त आदर्श सिंह ने दो टूक शब्दों में अधिकारियों को निर्देश दिए कि शराब माफियाओं, अवैध शराब कारोबारियों और ओवररेटिंग करने वालों के खिलाफ त्वरित और निर्णायक कार्रवाई अनिवार्य है।

आदर्श सिंह, आबकारी आयुक्त, उत्तर प्रदेश

लापरवाही, भ्रष्टाचार और अवैध शराब के कारोबार पर अब कोई रहम नहीं किया जाएगा। प्रदेश में पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ आबकारी नीति को लागू करना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। हर अधिकारी को यह समझ लेना चाहिए कि अब केवल प्रदर्शन ही उसकी पहचान होगी। अवैध शराब, ओवररेटिंग और तस्करी जैसी गतिविधियों के खिलाफ तत्काल और निर्णायक कार्रवाई अनिवार्य है। सीमावर्ती जिलों में सतर्कता बढ़ाई जाए और हर शराब की बोतल को स्कैनिंग के बाद ही बिक्री के लिए मंजूरी दी जाए। हम टेक्नोलॉजी और सख्त निगरानी के जरिए पूरे सिस्टम को ईमानदार और जनहितकारी बनाएंगे।
आदर्श सिंह, आबकारी आयुक्त, उत्तर प्रदेश

———-

🔸 स्थानीय सूचनाओं के लिए यहाँ क्लिक कर हमारा यह व्हाट्सएप चैनल जॉइन करें।

 

Disclaimer: This story is auto-aggregated by a computer program and has not been created or edited by Ghaziabad365 || मूल प्रकाशक ||