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नई दिल्ली19 मिनट पहले

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कोर्ट ने अन्य अथॉरिटी के सामने अपील करने की छूट दी है।

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को 13 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर कानूनी प्रतिबंध लगाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया।

जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा- यह नीतिगत मामला है। आप संसद से कानून बनाने के लिए कहें। यह हमारे दायरे से बाहर है।

हालांकि कोर्ट ने अन्य अथॉरिटी के सामने अपील करने की छूट दी है। पीठ ने कहा कि आठ सप्ताह के भीतर कानून के अनुसार अपील की जा सकती है।

जेप फाउंडेशन की याचिका में केंद्र सरकार और अन्य अथॉरिटी को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म तक बच्चों की पहुंच को रेगुलेट करने के लिए बायोमेट्रिक वैरिफिकेशन जैसा एज वैरिफिकेशन सिस्टम शुरू करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।

इसके अलावा बाल संरक्षण नियमों का पालन करने में असफल रहने वाले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर सख्त कानूनी कार्रवाई की भी मांग की गई थी।

सोशल मीडिया अकाउंट बनाने के लिए पेरेंट्स की सहमति जरूरी होगी

अब 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों को सोशल मीडिया पर अकाउंट खोलने के लिए अपने पेरेंट्स की सहमति लेना जरूरी होगा। इसके लिए केंद्र सरकार ने डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट (DPDP), 2023 के तहत नियमों का ड्राफ्ट तैयार कर चुका है। इस ड्राफ्ट को लोगों के लिए 3 जनवरी को जारी किया गया था। लोग Mygov.in पर जाकर इस ड्राफ्ट को लेकर अपनी राय दे सकते थे। लोगों की आपत्तियों और सुझावों पर 18 फरवरी से विचार किया जा रहा है।

पैरेंट्स के मोबाइल-ईमेल पर आएगा OTP ड्राफ्ट सामने आने के कुछ दिन बाद पैरेंट की सहमति के प्रावधान का एक मॉडल भी सामने आया था। आईटी मिनिस्ट्री के सूत्रों ने बताया था कि 18 साल से कम उम्र के बच्चों के पैरेंट्स के मोबाइल फोन और ईमेल पर OTP आएगा।

ये OTP डिजिटल स्पेस में पहले से मौजूद बच्चों और पैरेंट्स की डिजिटल आईडी कार्ड के आधार पर जनरेट होगा। इसके जरिए बच्चों या माता पिता का डेटा पब्लिक नहीं होगा। उम्र और कंफर्म की परमिशन भी पैरेंट से ली जा सकेगी।

दैनिक भास्कर के सूत्रों के मुताबिक पैरेंट की परमिशन हमेशा के लिए नहीं होगी। उन्हें जब लगेगा कि उनकी परमिशन का गलत यूज हो रहा है या ये परमिशन धोखे से ली गई है, परमिशन के बारे उन्हें कोई जानकारी नहीं है। ऐसे में वे परमिशन वापस भी ले सकेंगे।

अक्टूबर, 2023 में पास हुआ था DPDP कानून डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (DPDP) कानून अक्टूबर, 2023 में संसद से पास हुआ था। इस कानून के लागू होने के बाद लोगों को अपने डेटा कलेक्शन, स्टोरेज और प्रोसेसिंग के बारे में डिटेल मांगने का अधिकार मिला था।

कंपनियों को यह बताना जरूरी हो गया कि वे कौन सा डेटा ले रही हैं और डेटा का क्या इस्तेमाल कर रही हैं। कानून का उल्लंघन करने वालों पर 250 करोड़ रुपए तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान था। पुराने बिल में यह 500 करोड़ रुपए तक था।

ऑस्ट्रेलिया में बच्चों के सोशल मीडिया बैन का बिल पास ऑस्ट्रेलिया में 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया बैन का बिल नवंबर, 2024 में संसद से पारित हुआ था। पक्ष और विपक्ष दोनों ने इस बिल का समर्थन किया था। ऑस्ट्रेलिया ऐसा बिल पारित करने वाला दुनिया का पहला देश है।

बिल के मुताबिक अगर X, टिकटॉक, फेसबुक, इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म बच्चों को अकाउंट रखने से रोकने में नाकाम रहते हैं, तो उन पर 275 करोड़ रुपए (32.5 मिलियन डॉलर) तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। इसमें माता-पिता की सहमति या पहले से मौजूद खातों के लिए कोई छूट नहीं दी जाएगी।

प्रधानमंत्री एंथनी एल्बनीज ने 25 नवंवर को बिल का सपोर्ट करते हुए सोशल मीडिया को टेंशन बढ़ाने वाला, ठगों और ऑनलाइन अपराधियों का हथियार बताया था। उन्होंने कहा था- वह चाहते हैं कि आस्ट्रेलियाई युवा फोन छोड़कर फुटबॉल, क्रिकेट और टेनिस खेलें।

सोशल मीडिया से डीपफेक, डिजिटल अरेस्ट और ऑनलाइन फ्राड जैसे खतरे

भारत समेत दुनिया भर के कई देशों में सोशल मीडिया के जरिए डीपफेक, डिजिटल अरेस्ट और ऑनलाइन फ्राड जैसे कई मामले सामने आते रहे हैं। पिछले साल दिसंबर में भारत सरकार ने भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के लिए एडवायजरी जारी की थी। इसमें उनसे डीपफेक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से फैलने वाली गलत इन्फॉर्मेशन को लेकर सूचना प्रौद्योगिकी (IT) नियमों का पालन करने को कहा गया था।

एक भारतीय कम से कम 11 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मौजूद

रिसर्च फर्म ‘रेडसियर’ के मुताबिक इंडियन यूजर्स हर दिन औसतन 7.3 घंटे अपने स्मार्टफोन पर नजरें गड़ाए रहते हैं। इसमें से अधिकतर टाइम वे सोशल मीडिया पर बिताते हैं। जबकि, अमेरिकी यूजर्स का औसतन स्क्रीन टाइम 7.1 घंटे और चीनी यूजर्स का 5.3 घंटे है। सोशल मीडिया ऐप्स भी इंडियन यूजर्स ही सबसे ज्यादा यूज करते हैं। अमेरिका और ब्रिटेन में एक इंसान के औसतन 7 सोशल मीडिया अकाउंट्स हैं, जबकि एक भारतीय कम से कम 11 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मौजूद है।

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