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– स्वाबलंबी बनने की दिशा में तेजी से अग्रसर हुआ गाजियाबाद नगर निगम, महज 50 करोड़ की देनदानी का करना है भुगतान

विजय मिश्रा (उदय भूमि)
गाजियाबाद। स्वावलंबी बनने की दिशा में गाजियाबाद नगर निगम तेजी से अग्रसर है। चालू वित्त वर्ष की अगले छमाही में नगर निगम पूरी तरह से कर्ज मुक्त हो जाएगा। वित्तीय वर्ष 2024-25 का ऐतिहासिक लाभकारी बजट पेश करने वाले नगर आयुक्त विक्रमादित्य सिंह ने महज डेढ़ वर्ष के कार्यकाल में नगर निगम की खस्ताहाल अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से स्वस्थ और चंगा कर दिया है। नगर निगम की खुशनुमा आर्थिक रफ्तार का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि चंद दिनों पहले निगम ने 3722 करोड़ का बजट पेश किया है। यह पिछले वर्ष पेश हुए बजट से दोगुना है। शोर कम और काम ज्यादा की नीति युवा आईएएस विक्रमादित्य सिंह मलिक की कार्यशैली का हिस्सा है। कुछ वर्ष पहले कर्ज के बोझ तले दबे निगम में विकास कार्यों पर ब्रेक लग गया था। लेकिन अब ना सिर्फ ब्रेक हट गया है बल्कि सुपरफास्ट एक्सप्रेस की रफ्तार से विकास कार्य हो रहे हैं। विकास कार्यों में तेजी लाने के साथ ही विक्रमादित्य सिंह मलिक ने कर्ज और देनदारियों के बोझ को भी तेजी से घटाया। पिछले वित्तीय वर्ष में सैकड़ों करोड़ रुपये के विकास कार्यों को पूरा करने के साथ ही 150 करोड़ रुपये के कर्ज का भुगतान किया गया। पिछले डेढ़ साल में निगम की देयता के ग्राफ मे बड़ी गिरावट आई है।

आईएएस विक्रमादित्य सिंह मलिक की गिनती उत्तर प्रदेश के युवा तेज तर्रार और रिजल्ट ओरिएंटेड प्रशासनिक अधिकारियों में होती है। उनके छवि की झलक उनकी कार्यशैली में भी झलकती है। नगर निकायों में राजनैतिक दखलंदाजी हद से अधिक होती है और आय के सीमित संसाधन होते हैं। ऐसे में यहां पर काम करना किसी भी अधिकारी के लिए काफी चुनौतीपूर्ण होता है। विक्रमादित्य सिंह मलिक ने अपनी कार्यशैली से सभी चुनौतियों को ध्वस्त कर दिया है। नगर निगम के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती कर्ज और देनदारी का बोझ था जो कि खत्म होने की कगार पर है। पिछले वित्तीय की शुरूआत में निगम पर लगभग 200 करोड़ से अधिक की लायबिलिटी (कर्ज एवं अन्य देनदारियां) थी जो कि वित्तीय वर्ष के अंत तक 70 फीसद कम हो गया है। वर्तमान में गाजियाबाद नगर निगम पर लगभग 50 से 55 करोड़ की देयता बची हुई है, जिसको खत्म करना नगर आयुक्त की प्राथमिकता में है।

डीगर बात यह है कि कर्ज के बोझ को खत्म करने के लिए विकास कार्यों पर किसी तरह का ब्रेक नहीं लगाया गया बल्कि, पहले के मुकाबले विकास कार्यों में तेजी आई। वित्तीय वर्ष 2024-25 में निर्माण विभाग का 194 करोड़, उद्यान विभाग का 62 करोड़, जलकल विभाग का 139 करोड़, स्वास्थ्य विभाग का 219 करोड़ और प्रकाश विभाग का 33 करोड़ का बजट रहा है।
नगर आयुक्त विक्रमादित्य सिंह मलिक का जोर नगर निगम की आमदनी को बढ़ाने और आय के नये स्त्रोत विकसित करने पर है। वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट में कई ऐसे प्रावधान किये हैं जिससे नगर निगम की आर्थिक स्थिति और मजबूत होगी। 3721 करोड़ के बजट में विभिन्न मदों में 3033 करोड़ रुपये खर्च किये जाएंगे। यह नगर निगम का अब तक के इतिहास में सर्वाधिक बजट हैं। बजट में पार्षदों के लिए भी खुशखबरी है। पार्षदों को 1500 रुपए भत्ता देने संबंधी प्रस्ताव को भी कार्यकारिणी ने पास कर दिया। अब स्वीकृति के लिए इसे शासन के पास भेजा जाएगा।




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