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-135 किमी लंबे रूट की जल्द तैयार होगी डिटेल फिजिबिलिटी रिपोर्ट
-मसूरी से होगा कॉरिडोर रूट का अलाइमेंट, ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे के आउटर में बनेगा कॉरिडोर
-ईस्टर्न ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर बदलेगा दिल्ली-एनसीआर का ट्रांसपोर्ट नक्शा
-एचआरआईडीसी को मिली जिम्मेदारी, गाजियाबाद विकास प्राधिकरण बना नोडल एजेंसी

उदय भूमि संवाददाता
गाजियाबाद। ईस्टर्न ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर (ईओआरसी) अब दिल्ली-एनसीआर के ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर में एक ऐतिहासिक बदलाव लाने जा रहा है। तकरीबन 135 किलोमीटर लंबा यह रेल कॉरिडोर न केवल दिल्ली को व्यवसायिक ट्रेनों के दबाव से राहत देगा, बल्कि उत्तर प्रदेश और हरियाणा के कई औद्योगिक, शहरी और ग्रामीण इलाकों को एक नई रफ्तार और दिशा देगा। इस महत्त्वाकांक्षी परियोजना की विस्तृत फिजिबिलिटी रिपोर्ट अब जल्द ही तैयार होने वाली है। सरकार ने हरियाणा रेल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (एचआरआईडीसी) को इसकी जिम्मेदारी सौंपी है, जबकि गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) इस पूरे प्रोजेक्ट का नोडल विभाग बनकर इसे आगे बढ़ा रहा है। उत्तर प्रदेश शासन के मुख्य सचिव को हाल ही में गूगल अर्थ पर आधारित एक प्रस्तुति दी गई, जिसमें इस कॉरिडोर के संभावित रूट अलाइमेंट को दिखाया गया। विशेषज्ञों और अधिकारियों की सहमति से तय किया गया कि यह रूट ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे के आउटर, यानी मसूरी की ओर से होकर गुजरेगा, ताकि शहरी आबादी और बसी बस्तियों को प्रभावित किए बिना कॉरिडोर का निर्माण संभव हो सके। इस रूट पर ना केवल यातायात का दबाव कम होगा, बल्कि भूमि अधिग्रहण और सामाजिक प्रभाव भी न्यूनतम रहेगा।

यह कॉरिडोर उत्तर प्रदेश के बागपत, गाजियाबाद और गौतमबुद्धनगर जिलों से होकर गुजरेगा, जबकि हरियाणा के सोनीपत, फरीदाबाद और पलवल को भी इससे जोड़ा जाएगा। इस पूरे रूट को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि दिल्ली के भीतर होकर गुजरने वाली व्यवसायिक ट्रेनों को बाहरी रूट पर डायवर्ट किया जा सके। इससे दिल्ली रेलवे नेटवर्क पर भीड़ और बोझ दोनों में भारी कमी आएगी, जिससे यात्री ट्रेनों का संचालन भी अधिक सुगम और समयबद्ध हो सकेगा। जीडीए के उपाध्यक्ष अतुल वत्स के अनुसार, यह प्रोजेक्ट हरियाणा ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर का विस्तार माना जा सकता है, जो न केवल दोनों राज्यों के लिए फायदेमंद होगा, बल्कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) की लॉजिस्टिक्स और परिवहन नीति को एक नई ऊंचाई पर ले जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि विस्तृत सर्वेक्षण और तकनीकी अध्ययन के बाद रिपोर्ट को शासन को सौंपा जाएगा, जिसके बाद इसकी विधिवत स्वीकृति और निर्माण प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

इस परियोजना का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि दिल्ली को व्यवसायिक ट्रेनों के ट्रैफिक से राहत मिलेगी, जिससे वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण और रेलवे संचालन संबंधी समस्याओं में भारी कमी आएगी। वहीं दूसरी ओर, यह रेल कॉरिडोर न्यू नोएडा इंडस्ट्रियल टाउनशिप, गाजियाबाद, बागपत का कृषि उत्पादन केंद्र, और ग्रेटर नोएडा जैसे इलाकों को सीधे जोड़ते हुए उद्योग, कृषि और लॉजिस्टिक्स के लिए नई संभावनाओं के द्वार खोलेगा। ईस्टर्न ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर सिर्फ एक इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट नहीं है, यह आने वाले वर्षों में दिल्ली-एनसीआर की आर्थिक, औद्योगिक और शहरी दिशा को बदलने वाला गेमचेंजर साबित हो सकता है। इस प्रोजेक्ट की डिटेल फिजिबिलिटी रिपोर्ट जैसे ही तैयार होगी, शासन स्तर पर इसकी समीक्षा की जाएगी और जल्द ही निर्माण कार्य की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएंगे। यह परियोजना उस दिशा में एक ठोस प्रयास है, जहां राजधानी क्षेत्र को जाम, प्रदूषण और अव्यवस्थित ट्रैफिक से निकालकर एक व्यवस्थित, सुसंगत और तेज़ रफ्तार ट्रांसपोर्ट नेटवर्क की ओर ले जाया जा सके।

उद्योगों को मिलेगा स्ट्रेट लाइन कनेक्शन
• न्यू नोएडा इंडस्ट्रियल टाउनशिप
• कृषि उत्पादन केंद्र, बागपत
• गाजियाबाद और ग्रेटर नोएडा के इंडस्ट्रियल क्लस्टर्स
इन सभी क्षेत्रों को इस रेल कॉरिडोर से बेहतर कनेक्टिविटी मिलेगी।
लॉजिस्टिक्स पार्क, वेयरहाउसिंग हब्स और पोर्ट्स तक पहुंचना होगा आसान और सस्ता।

कहां-कहां से गुजरेगा यह सुपरकॉरिडोर
यह कॉरिडोर कई जिलों से होते हुए निकलेगा और मल्टी-स्टेट कनेक्टिविटी को नया रूप देगा।
• उत्तर प्रदेश: बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर
• हरियाणा: सोनीपत, फरीदाबाद, पलवल
इसका सीधा असर दिल्ली की ट्रेनों पर पड़ेगा- व्यवसायिक ट्रेनों का ट्रैफिक दिल्ली से हटेगा, जिससे यात्री ट्रेनों के संचालन में भी सुधार होगा।

रूट अलाइमेंट पर बनी सहमति, आबादी से दूर मसूरी की ओर बनेगा कॉरिडोर
उत्तर प्रदेश शासन के मुख्य सचिव को इस प्रोजेक्ट का गूगल अर्थ पर आधारित अलाइमेंट प्रस्तुत किया गया, जिसमें यह सहमति बनी कि आबादी वाले क्षेत्रों की जटिलताओं से बचते हुए ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे के आउटर, यानी मसूरी की ओर से कॉरिडोर तैयार किया जाएगा। अब एचआरआईडी (हरियाणा रेल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन) को निर्देश दिए गए हैं कि वह विस्तृत सर्वे और डिटेल फिजिबिलिटी रिपोर्ट (डीएफआर) जल्द तैयार करे। रिपोर्ट शासन को सौंपी जाएगी और इसके बाद आगे की प्रक्रिया शुरू होगी।

जीडीए बना प्रोजेक्ट का नोडल विभाग
गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) इस पूरे प्रोजेक्ट का नोडल विभाग होगा और एचआरआईडी को हर संभव सहयोग देगा। जीडीए उपाध्यक्ष अतुल वत्स ने बताया ईस्टर्न ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर न केवल गाजियाबाद बल्कि पूरे एनसीआर क्षेत्र के लिए गेमचेंजर साबित होगा। यह परियोजना हरियाणा ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर का एक स्वाभाविक विस्तार है, जिससे दोनों राज्यों के बीच माल परिवहन और यात्री सुविधा में व्यापक सुधार आएगा। हमने शासन के निर्देशानुसार इसका अलाइमेंट तय कर लिया है, जो आबादी से दूर मसूरी की ओर से होकर गुजरेगा।

अतुल वत्स
उपाध्यक्ष, गाजियाबाद विकास प्राधिकरण

यह निर्णय इसीलिए लिया गया ताकि भविष्य में किसी प्रकार की सामाजिक या तकनीकी बाधा उत्पन्न न हो। गाजियाबाद विकास प्राधिकरण इस पूरे प्रोजेक्ट में बतौर नोडल एजेंसी कार्य कर रहा है और हरियाणा रेल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन को हरसंभव तकनीकी और प्रशासनिक सहयोग प्रदान किया जा रहा है। डिटेल फिजिबिलिटी रिपोर्ट की प्रक्रिया तेजी से चल रही है और हमें उम्मीद है कि शीघ्र ही इसे शासन को सौंप दिया जाएगा। इसके बाद निर्माण कार्य की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए जाएंगे। इस कॉरिडोर के निर्माण से दिल्ली की रेल लाइनों पर ट्रैफिक का दबाव कम होगा, साथ ही बागपत, गौतमबुद्धनगर और गाजियाबाद जैसे जि़ले एक नई औद्योगिक और लॉजिस्टिक क्रांति की ओर अग्रसर होंगे।

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