premanand ji maharaj news in hindi: प्रेमानंद महाराज लोगों को कल्याण का मार्ग बताते हैं और दूसरी तरफ उनकी पैदल यात्रा से भी कई परिवारों का कल्याण हो रहा है.
प्रेमानंद महाराज की रात्रि 2:00 बजे यात्रा जब निकलती है,
धार्मिक स्थान होने के कारण वृंदावन में रोज हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं. भगवान कृष्ण में आस्था और विश्वास रखने वाले लोग और सामान्य तौर पर घूमने वाले लोग भी मथुरा और वृंदावन सालभर जाते रहते हैं. यहां आने वाले लोग भगवान बांके बिहारी मंदिर सहित तमाम मंदिरों में घूमते हैं और खरीदारी करते हैं. इससे तमाम परिवार पलते हैं. इसी तरह प्रेमानंद महाराज देशभर में काफी सुने और पसंद किए जाते हैं. उनकी ख्याति वहां के आसपास के लोगों के लिए रोजगार का साधन भी बन गई है.
एक तरफ तो लोग प्रेमानंद लोगों का जीवन बेहतर बना रहे हैं तो दूसरी तरफ वह कई लोगों के लिए रोजगार का जरिया भी बने हुए हैं. हालत यह है कि अगर यह एक दिन के लिए भी उनकी यात्रा बंद हो जाती है तो लोगों के भूखे मरने की नौबत आ जाती है.
दरअसल, प्रेमानंद महाराज की रात्रि को जब पैदल यात्रा निकलती है तो उस समय अलग-अलग जगहों से उनके दर्शन के लिए आए हुए लोग में आने वाले श्रद्धालुओं को खान-पान की जरूरत होती है. यहां आने वाले श्रद्धालु यहां के लोगों पर निर्भर हैं. यात्रा समाप्ति के बाद लगभग ढाई सौ ऐसे लोग हैं जो अपने परिवार को इस यात्रा से चला रहे हैं.
महाराज जी की यात्रा न निकलने से आ जाती है भूखे मरने की नौबत
बता दें कि यहां आने वाले लोगों के लिए चाय, पानी और मैगी के साथ-साथ फूल माला बेचने वाले, बैठने वाला त्रिपाल और प्रेमानंद महाराज की तस्वीर यह लोग सेल करते हैं. यह लोग प्रतिदिन अपने परिवार का खर्च उठाने के लिए प्रेमानंद महाराज की इस पैदल यात्रा में रात भर जागकर वह अपने परिवार का किसी तरह से गुजारा करते हैं. यहां पर हजारों की संख्या में आने वाले लोग यहां चाहे की चुस्कीयां लेते हुए आपको नजर आ जाएंगे, तो वहीं मैगी का आनंद भी यहां कम नहीं है. स्थानीय दुकानदार राकेश से जब लोकल 18 की टीम में बात की तो उन्होंने बताया कि प्रेमानंद महाराज की यात्रा पर लोग निर्भर हैं. कोई फूल बेचकर अपना गुजारा कर रहा है, तो कोई चाय और मैगी बेचकर अपने परिवार को चल रहा है. राकेश के साथ-साथ यहां ऐसे दर्जनों दुकानदार हैं, जो पूरी तरह से प्रेमानंद महाराज की रात्रि यात्रा पर निर्भर हैं. श्याम, शोभित और कन्हैया नाम के दुकानदार भी यही कहते हैं कि महाराज की जिस दिन यात्रा नहीं निकलती है परिवार का गुजारा करना मुश्किल हो जाता है.
दो वक्त की रोटी देती है, प्रेमानंद की रात्रि पैदल यात्रा
प्रेमानंद महाराज की रात्रि 2:00 बजे यात्रा जब निकलती है, तो हजारों लोग उनके दर्शन के लिए लाइन में खड़े होते हैं. प्रेमानंद की रात्रि पैदल यात्रा करीब 250 परिवारों का पालन पोषण कर रही है. यहां आने वाले श्रद्धालु इन लोगों के परिवारों से खाने-पीने की चीज, फूल माला इत्यादि खरीद कर इन्हें दो वक्त की रोटी का इंतजाम करते हैं. किए कैसे लोग यहां अपनी जीविका प्रेमानंद महाराज की पैदल रात्रि यात्रा से चला रहे हैं. कोई प्लास्टिक की थैली बेचकर अपने परिवार को को चल रहा है, तो कोई फूल बेचकर अपने परिवार का गुजारा कर रहा है. यहां तकरीबन ढाई सौ परिवार ऐसे हैं, जो प्रेमानंद महाराज की इस रात्रि पैदल यात्रा पर पूर्ण तरह से निर्भर हैं.
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