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Ground Report: उत्तर प्रदेश का जनपद अलीगढ़ ताला और तालीम के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है. इसी ताले के शहर अलीगढ़ मे लगती है ऐतिहासिक नुमाइश. इस बार यह नुमाइश 1 फरवरी 2025 से लगने जा रही है.

अलीगढ़: उत्तर प्रदेश का जनपद अलीगढ़ ताला और तालीम के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है. इसी ताले के शहर अलीगढ़ मे लगती है ऐतिहासिक नुमाइश. इस बार यह नुमाइश 1 फरवरी 2025 से लगने जा रही है. आपको बता दें कि अलीगढ़ नुमाइश, उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले में आयोजित होने वाला एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक उत्सव है, जिसकी शुरुआत 1880 में हुई थी. यह नुमाइश हर साल जनवरी और फरवरी के महीनों में आयोजित की जाती है और इसे उत्तर भारत के सबसे बड़े व्यापारिक और सांस्कृतिक मेलों में से एक माना जाता है. नुमाइश की शुरुआत ब्रिटिश काल में हुई थी. जब इसे औद्योगिक प्रगति और शिल्पकला को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से स्थापित किया गया था.

पारंपरिक कलाओं का अद्भुत संगम

जानकारी देते हुए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के प्रोफेसर एम. के. पुंडीर ने बताया कि अलीगढ़ की यह ऐतिहासिक नुमाइश करीब 144 साल पुरानी है. शुरुआत में यह नुमाइश स्थानीय व्यापारियों और कारीगरों के लिए एक मंच हुआ करती थी. जहां वे अपने उत्पादों और कृतियों को प्रदर्शित कर सकते थे, लेकिन धीरे-धीरे यह एक भव्य आयोजन में तब्दील हो गई. जहां न केवल व्यापारिक गतिविधियां होती हैं, बल्कि सांस्कृतिक कार्यक्रम, खेलकूद, प्रदर्शनियां और मनोरंजन के आयोजन भी शामिल होते हैं. इस नुमाइश में कृषि, हस्तशिल्प, आधुनिक तकनीक और पारंपरिक कलाओं का अद्भुत संगम देखने को मिलता है.

अलीगढ़ की पहचान है ये नुमाइश

प्रोफेसर एमके पुंडीर ने कहा कि अलीगढ़ नुमाइश का विशेष आकर्षण इसकी सांस्कृतिक कार्यक्रम और विभिन्न तरह के व्यंजन होते हैं. देशभर से लोग इस नुमाइश में आते हैं और इसे एक बड़े उत्सव के रूप में मनाते हैं. इसके अलावा, नुमाइश में विभिन्न झूले, सर्कस, और अन्य मनोरंजन के साधन बच्चों और परिवारों के लिए एक बड़ी खुशी का स्रोत होते हैं. अलीगढ़ नुमाइश न केवल अलीगढ़ की पहचान है, बल्कि यह व्यापारिक महत्व रखती है. समाज के सभी वर्गों को एक साथ लाने का भी एक मजबूत माध्यम है.

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अलीगढ़ नुमाइश का 144 साल पुराना है इतिहास, जानें इसकी खासियत 

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