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2013 के महाकुंभ ने पहली बार मल्टीनेशनल कंपनियों का ध्यान खींचा। दरअसल, एसोचैम ने कुंभ को लेकर अपनी रिपोर्ट में 12 हजार करोड़ रुपए के राजस्व की उम्मीद जताई थी, जो लगभग सही साबित हुई। 2013 में ही पहली बार करीब 200 विदेशी मीडिया संस्थानों ने कुंभ में उपस्थिति दर्ज कराई।
इंटरनेट मीडिया में इस हाइटेक कुंभ की जोरदार उपस्थिति से अध्यात्म का यह संसार पूरी दुनिया में छा गया। आकाशवाणी ने पहली बार संगम किनारे ट्रांसमीटर और स्टूडियो लगाकर ‘कुंभवाणी’ एफएम चैनल शुरू किया। लाइव प्रसारण हुआ।
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने कुंभ क्षेत्र में चतुष्पद बनाने की मांग कर दी, जहां चारों पीठों के शंकराचार्य एक जगह रहें। उनका कहना था कि इससे फर्जी शंकराचार्यों की पहचान हो सकेगी।
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने फर्जी शंकराचार्यों की पहचान के लिए चतुष्पद सुझाव दिया।
साधु-संतों-कथावाचकों के हाईटेक पंडाल लगे पिछले कुंभ में सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार 14 जनवरी से 10 मार्च तक चले कुंभ के लिए सरकार ने 1152 करोड़ रुपए दिए, जिसमें से 1017 करोड़ रुपए खर्च हुए। मेले में 12 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु पहुंचे थे। पहली बार साधु-संतों-कथावाचकों के हाईटेक पंडाल लगे।
महिलाओं का परी अखाड़ा बना इसी कुंभ में महिलाओं का ‘परी अखाड़ा’ बना, पर अखाड़ा परिषद से मान्यता नहीं मिली। जूना अखाड़े के माई बाड़ा को ‘श्री दशनामी संन्यासिनी अखाड़ा’ नाम मिला।
रेलवे स्टेशन पर फुट ओवरब्रिज पर भगदड़ 10 फरवरी को मौनी अमावस्या के दिन मेले में कई बार अफरा-तफरी मची। अनहोनी से बचने के लिए प्रशासन ने अनाउंसमेंट करना शुरू किया कि श्रद्धालु घर लौटने के लिए इलाहाबाद जंक्शन पहुंचें।
शाम करीब 7 बजे रेलवे स्टेशन के फुट ओवरब्रिज पर भगदड़ मची और 36 लोगों की जान चली गई। यह 1954 के बाद प्रयाग कुंभ की दूसरी बड़ी त्रासदी थी।
10 फरवरी को रेलवे स्टेशन के फुट ओवरब्रिज पर भगदड़ में 36 लोगों की मौत हुई थी।
2019 का अर्ध कुंभ, 3 रिकॉर्ड बने 2019 का अर्ध कुंभ 3200 हेक्टेयर में हुआ था जिसमें 24 करोड़ लोग पहुंचे थे। पहली बार केंद्र सरकार के निमंत्रण पर 188 देशों के 200 प्रतिनिधियों ने भव्य कुंभ का दिव्य नजारा देखा।
- 10 हजार सफाईकर्मियों ने एक साथ सफाई की।
- पेंट माई सिटी के तहत 8 घंटे में सबसे ज्यादा हैंडप्रिंट पेंटिंग बनाई गईं, जिसमें 7664 चित्रकारों-छात्रों ने हिस्सा लिया।
- मेला समापन के बाद यूपी परिवहन निगम ने 500 शटल बसों को एक साथ चलाकर भी रिकॉर्ड बनाया।
इस हैंड प्रिंट पेंटिंग में 7000 से अधिक विद्यार्थियों ने अपने एक हाथ की छाप लगाई थी।
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