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सुप्रीम कोर्ट ने संभल में जामा मस्जिद के पास कुएं पर पूजा की इजाजत देने के नगर पालिका के आदेश पर रोक लगा दी। साथ ही यूपी सरकार को नोटिस जारी कर दो हफ्ते के अंदर स्टेटस रिपोर्ट मांगी है।

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नगर पालिका ने इसे सार्वजनिक कुआं बताया था। मस्जिद कमेटी इसके खिलाफ 9 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट गई थी। शुक्रवार को चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने मस्जिद कमेटी की याचिका पर फैसला सुनाया। मामले मेंं अगली सुनवाई 21 फरवरी को होगी।

बताया जा रहा है कि पहले आसपास रहने वाले हिंदू समुदाय के लोग शादी में यहां कुआं पूजन करने आते थे। इस समय संभल में प्रशासन जगह-जगह खुदाई करा रहा है। इस बीच नगर पालिका ने इस कुएं को सार्वजनिक बता दिया, जिसके बाद मुस्लिम पक्ष को आशंका हुई कि कहीं इस कुएं को भी न खोद दिया जाए।

तस्वीर में कुएं के ऊपर एक कमरा बना है, जिसमें PAC जवान बैठते हैं।

19 नवंबर को हुआ था जामा मस्जिद का सर्वे जामा मस्जिद को लेकर हिंदू पक्ष का दावा है कि ये पहले हरिहर मंदिर था, जिसे बाबर ने 1529 में तुड़वाकर मस्जिद बनवा दिया। इसे लेकर 19 नवंबर 2024 को संभल कोर्ट में याचिका दायर हुई। उसी दिन सिविल जज सीनियर डिवीजन आदित्य सिंह ने मस्जिद के अंदर सर्वे करने का आदेश दिया। कोर्ट ने रमेश सिंह राघव को एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किया। उसी दिन शाम को चार बजे सर्वे के लिए टीम मस्जिद पहुंच गई। 2 घंटे के सर्वे किया। हालांकि उस दिन सर्वे पूरा नहीं हुआ।

इसके बाद 24 नवंबर को सर्वे की टीम जामा मस्जिद पहुंची। दोपहर में मस्जिद के अंदर सर्वे हो रहा था। इस दौरान भारी संख्या में लोग जुट गए। भीड़ ने पुलिस की टीम पर पत्थर फेंके। इसके बाद हिंसा भड़क गई। इसमें गोली लगने से 4 लोगों की मौत हो गई।

2 जनवरी को दाखिल हुई थी सर्वे रिपोर्ट 2 जनवरी को संभल में शाही जामा मस्जिद की 45 पन्नों की सर्वे रिपोर्ट चंदौसी कोर्ट में दाखिल कर दी गई थी। 4.5 घंटे की वीडियोग्राफी और 1200 से अधिक फोटो भी अदालत को दिए गए। इसमें दावा किया गया कि जामा मस्जिद में मंदिर होने के सबूत मिले हैं।

मस्जिद में 50 से अधिक फूल, निशान और कलाकृतियां मिली हैं। अंदर 2 वट वृक्ष हैं। हिंदू धर्म में वट वृक्ष की पूजा की जाती है। एक कुआं है, उसका आधा हिस्सा मस्जिद के अंदर और आधा हिस्सा बाहर है। बाहर वाले हिस्से को ढंक दिया गया है।

पुराने ढांचे को बदला गया है। जिन जगहों पर पुराने ढांचे हैं, वहां नए निर्माण के सबूत मिले हैं। मंदिर वाले स्ट्रक्चर जैसे- दरवाजे, झरोखों और अलंकृत दीवारों पर प्लास्टर लगाकर पेंट कर दिया गया है। मस्जिद के भीतर जहां बड़ा गुंबद है, उस पर झूमर को तार से बांधकर एक चेन से लटकाया गया है। ऐसी चेन का इस्तेमाल मंदिरों में घंटों को लटकाने में किया जाता है।

यह तस्वीर 24 नवंबर की है। मस्जिद के सर्वे के दौरान हिंसा भड़क गई थी।

संभल की जामा मस्जिद का विवाद क्या है? हिंदू पक्ष काफी वक्त से संभल की जामा मस्जिद की जगह पर पहले मंदिर होने का दावा कर रहा है। 19 नवंबर को 8 लोग मामले को लेकर कोर्ट पहुंचे और एक याचिका दायर की। इनमें सुप्रीम कोर्ट के वकील हरिशंकर जैन और उनके बेटे विष्णुशंकर जैन प्रमुख हैं। ये दोनों ताजमहल, कुतुब मीनार, मथुरा, काशी और भोजशाला के मामले को भी देख रहे हैं।

इनके अलावा याचिकाकर्ताओं में वकील पार्थ यादव, केला मंदिर के महंत ऋषिराज गिरी, महंत दीनानाथ, सामाजिक कार्यकर्ता वेदपाल सिंह, मदनपाल, राकेश कुमार और जीतपाल यादव का नाम शामिल है। हिंदू पक्ष का दावा है कि ये जगह पहले श्रीहरिहर मंदिर हुआ करती थी, जिसे बाबर ने 1529 में तुड़वाकर मस्जिद बनवा दिया।

संभल कोर्ट में हिंदू पक्ष ने याचिका लगाई। 95 पेज की याचिका में हिंदू पक्ष ने दो किताब और एक रिपोर्ट को आधार बनाया है। इनमें बाबरनामा, आइन-ए-अकबरी किताब और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की 150 साल पुरानी एक रिपोर्ट शामिल है।

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सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा- संभल की घटना एक बहुत बड़ी साजिश है। कुंदरकी और मीरपुर में वोट की लूट को छिपाने के लिए यह घटना गढ़ी गई। वहां झूठे मुकदमे दर्ज किए गए। यह सब सरकार की साजिश का हिस्सा है। उन्होंने कहा- वहां दंगा नहीं हुआ, बल्कि पुलिस ने गोली चलाई। पढ़ें पूरी खबर

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