कोटपूतली में 700 फीट गहरे बोरवेल में फंसी चेतना (3) को 9 दिन बाद भी बाहर नहीं निकाला जा सका। प्रशासन और एनडीआरएफ ने दावा किया था कि सोमवार को बच्ची को बाहर निकाल लिया जाएगा। बच्ची के परिजन पूरा दिन इंतजार करते रहे। लेकिन देर रात तक टनल खोदने और अलग-अ
सोमवार (30) देर शाम SDRF के कमांडेंट राजीव सिसोदिया रेस्पिरेशन जांच के लिए नीचे उतरे। इस प्रक्रिया में किसी दीवार के दूसरी तरफ किसी जीवित व्यक्ति की सांसों या उससे निकले कार्बन गैस को डिटेक्ट कर अंदाजा लगाया जाता है कि अंदर कोई है या नहीं। हालांकि, 9 दिन से बोरवेल में फंसी चेतना की कंडीशन को लेकर सब अधिकारी चुप हैं।
एनडीआरएफ टीम जवानों के सुरंग में लेट कर चट्टान ड्रिल करना पड़ रहा है। अंदर डस्ट उड़ने की वजह से टीम को सांस लेने में परेशानी आ रही है।
परिवार और ग्रामीणों की बढ़ी नाराजगी रेस्क्यू ऑपरेशन में हो रही लगातार देरी की वजह से चेतना के परिजनों और ग्रामीणों ने प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया। परिवार का कहना है कि समय पर उचित कदम उठाए जाते तो चेतना को पहले ही बाहर निकाला जा सकता था। इसके बाद सोमवार शाम करीब 06:30 बजे कलेक्टर कल्पना अग्रवाल ने दोबारा परिजनों से मुलाकात की।
उन्हें रेस्क्यू ऑपरेशन में आ रही परेशानियों को समझाया। उन्होंने बताया कि वो बच्ची को बाहर निकालने के लिए हर लेवल पर काम कर रहे हैं। एक्सपर्ट की मदद ली जा रही है, लेकिन ये ऑपरेशन काफी पेचीदा है इसलिए समय लग रहा है।
9 दिन से चल रहा रेस्क्यू ऑपरेशन
सोमवार (23 दिसंबर) दोपहर दो बजे चेतना खेलते हुए बोरवेल में गिर गई थी। वह करीब 150 फीट की गहराई में फंसी थी। चार देसी जुगाड़ के बाद उसे केवल 30 फीट ही ऊपर खींचा जा सका था। बोरवेल में गिरने के बाद से उसे पानी तक नहीं पहुंचाया जा सका है। मंगलवार (24 दिसंबर) शाम से वह कोई मूवमेंट भी नहीं कर रही है।
अब देखिए रेस्क्यू से जुड़े PHOTOS…
देर रात जयपुर ग्रामीण सांसद राव राजेंद्र सिंह ने एनडीआरएफ इंचार्ज योगेश मीणा से रेस्क्यू ऑपरेशन की स्टेट्स रिपोर्ट ली।
कलेक्टर कल्पना अग्रवाल और एसडीएम मुकुट सिंह ने चेतना के परिजनों को बोरवेल के पास बुलाकर बातचीत की।
सोमवार देर शाम इंजीनियर्स की एक टीम ने लेजर अलाइनमेंट डिवाइस से भी सुरंग में एंगल जांच की।
शनिवार रात करीब 8 बजे तक एनडीआरएफ के खोदे गए बोरवेल के समानांतर सुरंग में पाइपों के वेल्डिंग का काम हुआ।
गुरुवार और शुक्रवार को बार-बार बारिश की वजह से कई बार रेस्क्यू ऑपरेशन रोकना पड़ा।
घटना के दूसरे दिन, 24 दिसंबर रात 11:30 बजे बोरवेल के समानांतर गड्ढा खोदने का काम शुरू हुआ। 3 दिनों में 171 फीट लंबी सुरंग खोदी गई।
बच्ची की मां धोली देवी ने सीएम से चेतना को बचाने की मार्मिक अपील की थी। इस समय धोली देवी का स्वास्थ्य काफी खराब है। वो चेतना का नाम लेते हुए अक्सर बेसुध हो जाती है।
23 दिसंबर (सोमवार) रात करीब 7 बजे चेतना का आखिरी बार वीडियो सामने आया था। इसमें वो हाथ हिलाते हुए दिख रही थी।
घटना के करीब तीन घंटे बाद एसडीआरएफ टीम ने मौके पर पहुंच कर बच्ची का रेस्क्यू शुरू कर दिया था।
23 दिसंबर, दोपहर 1:50 बजे चेतना चेतना घर के बाहर खोदे गए 700 फीट गहरे बोरवेल में गिर गई थी।
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