दुकानदार संजय कुमार गुप्ता बताते हैं कि वो इस मिठाई को लगभग 30 सालों से हर ठंडी के सीजन में बना रहे हैं. यह मिठाई अपने लाजवाब स्वादिष्ट से लोगों को दीवाना बनाती है. यह मिठाई जल्द खराब नहीं होती. इसकी मांग न केवल बलिया में है बल्कि, गुजरात, मुंबई, असम और दिल्ली में भी धूम है. मकर संक्रांति यानी खिचड़ी पर्व में तो सुर्खियों में रहती है.
कैसे बनते हैं तिल के लड्डू
सबसे पहले काले तिल को धोकर धूप में सुखा लिया जाता है. इसके बाद कड़ाही में डालकर थोड़ा सा भून लिया जाता है. अब गुड़ को कढ़ाई में देर तक गर्म किया जाता है. जब इस गुड़ से एक खास सुगंध उठने लगती है तो समझ लिया जाता है कि तैयार हो गई है. आवश्यकता अनुसार काले तिल डालकर और छोटे-छोटे गोलाकार आकार दे दिया जाता है. यह मिठाई लाजवाब होती है. इसकी कीमत 260 प्रति किलो है.
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दुकान पर कैसे पहुंचे?
बलिया जिले के रेलवे स्टेशन से NH-31 बलिया-बैरिया मुख्य मार्ग पर लगभग डेढ़ किलोमीटर दूर माल गोदाम चौराहे के पास संजय की दुकान है. जहां आप इस देसी मिठाई तिलकुट यानी तिल के लड्डु के स्वाद का आनंद ले सकते हैं.
सर्दियों के मौसम में तिल के लड्डू को खूब पसंद किया जाता है. इसे आप मार्केट से न खरीदना चाहें तो घर पर भी बना सकते हैं.
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