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किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का मरणव्रत जारी।

खनौरी बॉर्डर पर 35 दिन से आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत डल्लेवाल को अस्पताल में भर्ती कराने के लिए पंजाब सरकार कोशिश में जुटी है। ADGP जसकरन सिंह की अगुआई में पुलिस टीम खनौरी बॉर्डर पहुंची है। उनके साथ पटियाला रेंज के DIG मनदीप सिद्धू और पटियाला

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सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को 31 दिसंबर से पहले डल्लेवाल को अस्थायी अस्पताल में शिफ्ट करने को कहा है। ऐसा न हुआ तो चीफ सेक्रेटरी और डीजीपी पर कोर्ट की अवमानना का केस चल सकता है। कल ही यानी 31 दिसंबर को इसकी फिर सुनवाई भी है।

ऐसे में कल(29 दिसंबर) को भी प्रशासन की टीमों ने खनौरी बॉर्डर पहुंचकर किसान नेताओं और डल्लेवाल से बात की लेकिन उनकी वार्ता फेल रही। वहीं डल्लेवाल ने कल रात अरोप लगाया कि पंजाब सरकार मोर्चे पर हमले की तैयारी में है। यह मोर्चे को कुचलने की कोशिश है। डल्लेवाल फसलों की न्यूनतम खरीद मूल्य (MSP) की गारंटी के कानून की मांग कर रहे हैं।

खनौरी बॉर्डर पर आमरण अनशन पर बैठे जगजीत डल्लेवाल को आंदोलन की स्टेज के पास LED स्क्रीन से लाइव दिखाया जा रहा है।

कल के 2.36 मिनट के वीडियो में डल्लेवाल की 3 अहम बातें…

1. अंग्रेज सरकार भी सत्याग्रह को मानती थी सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के मुताबिक पंजाब सरकार भी मोर्चे पर हमला करने की तैयारी में है। दुख की बात है कि जब हमने अनशन शुरू किया है तो हमारा यह मानना था कि गांधीवादी तरीके से पीसफुली तरीके से सत्याग्रह करेंगे। अंग्रेज सरकार भी सत्याग्रह को मानती रही है। मगर, यह सरकार हमारी बात सुनने की बजाए हमारे मोर्चे को कुचलने की कोशिश कर रही है।

2. केंद्र के इशारे पर चल रही पंजाब सरकार हमें आज सूचना मिल रही है कि भारी संख्या में फोर्स लेकर पंजाब सरकार केंद्र सरकार के इशारे पर सब मिलकर आंदोलन पर हमला करने की तैयारी कर आ रहे हैं। यह लड़ाई आपकी है। हमारा काम लड़ाई लड़ना है। इसको जीतना आपका काम है। जहां तक हमारी ऑडियो वीडियो जाती है। मैं सभी से निवेदन करता हूं कि सभी मोर्चे पर पहुंचे, ताकि मोर्चे को बचाया जा सके।

डल्लेवाल को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 4 अहम सुनवाई में क्या–क्या हुआ…

1. पंजाब सरकार ढिलाई नहीं बरत सकती इस सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट में पंजाब सरकार ने कहा कि डल्लेवाल को अस्पताल में भर्ती कराना चाहिए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उनसे भावनाएं जुड़ी हुई हैं। राज्य को कुछ करना चाहिए। ढिलाई नहीं बरती जा सकती है। आपको हालात संभालने होंगे।

2. बिना टेस्ट कौन 70 साल के आदमी को ठीक बता रहा इस सुनवाई में पंजाब सरकार ने दावा किया कि डल्लेवाल की तबीयत ठीक है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि 70 साल का आदमी 24 दिन से भूख हड़ताल पर है। कौन डॉक्टर है, जो बिना किसी टेस्ट के डल्लेवाल को सही बता रहा है?। आप कैसे कह सकते हैं डल्लेवाल ठीक हैं? जब उनकी कोई जांच नहीं हुई, ब्लड टेस्ट नहीं हुआ, ECG नहीं हुई।

3. उनकी सेहत पंजाब सरकार की जिम्मेदारी, अधिकारी निर्णय लें इस सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि डल्लेवाल की हालत रोज बिगड़ रही है। पंजाब सरकार उन्हें अस्पताल में शिफ्ट क्यों नहीं कराती है। यह उन्हीं की जिम्मेदारी है। डल्लेवाल के स्वास्थ्य की स्थिर स्थिति सुनिश्चित करना पंजाब सरकार की जिम्मेदारी है। यदि उन्हें अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत होती है तो अधिकारी निर्णय लेंगे।

4. पंजाब सरकार ने समस्या खड़ी की, डल्लेवाल पर दबाव सुप्रीम कोर्ट में 28 दिसंबर को डल्लेवाल को अस्पताल भर्ती न कर पाने पर अवमानना याचिका पर सुनवाई हुई। जिसमें पंजाब सरकार के एडवोकेट जनरल ने कहा कि किसान डल्लेवाल को वहां से हटाने का विरोध कर रहे हैं। इस पर कोर्ट ने सख्त तेवर दिखाते हुए कहा पहले आप समस्या पैदा करते हैं और फिर कहते हैं कि आप कुछ नहीं कर सकते?। केंद्र की मदद से उन्हें अस्पताल में शिफ्ट करें।

कोर्ट ने डल्लेवाल के अस्पताल शिफ्ट करने पर किसानों के विरोध को लेकर भी तीखी प्रतिक्रिया दी। कोर्ट ने कहा कि किसी को अस्पताल ले जाने से रोकने का आंदोलन कभी नहीं सुना। यह आत्महत्या के लिए उकसाने जैसा है। किस तरह के किसान नेता हैं जो चाहते हैं कि डल्लेवाल मर जाएं? डल्लेवाल पर दबाव दिखता है। जो लोग उनका अस्पताल में भर्ती होने का विरोध कर रहे हैं, वे उनके शुभचिंतक नहीं हैं। वे अस्पताल में रहकर अनशन जारी रख सकते हैं।

डल्लेवाल अन्न के बाद पानी भी छोड़ चुके, इम्यूनिटी कमजोर हुई डल्लेवाल की उम्र 70 साल है। वह कैंसर रोगी भी हैं। उनके आमरण अनशन का आज 30 दिसंबर को 35वां दिन है। उन्होंने पहले अन्न खाना छोड़ रखा था। अब पानी भी नहीं पी रहे, क्योंकि उन्हें उल्टियां हो रही हैं। डॉक्टरों के मुताबिक उनका ब्लड प्रेशर भी काफी लो हो चुका है। उनकी इम्यूनिटी भी काफी कमजोर हो चुकी है। उन्हें इन्फेक्शन का खतरा है। वह खुद चल भी नहीं पा रहे। कई बार वह आंदोलन के स्टेज पर नहीं आए। वहां इन्फेक्शन से बचाने के लिए उनके लिए कमरा भी बनाया गया है।

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