राकेश तिवारी बताते हैं कि गोंडा एक तराई बेल्ट है. ठंडी में पशुओं के लिए गोंडा का एनवायरनमेंट बहुत ही घातक है. क्योंकि टेंपरेचर बहुत ज्यादा गिर जाता है और पशु हमेशा स्ट्रेस की कंडीशन में रहते हैं.
सर्दियों में कैसे रखें पशुओं का ख्याल
पशुओं का सामान टेंपरेचर 101 डिग्री होता है और यहां पर टेंपरेचर 50 डिग्री से 60 डिग्री तक गिर जाता है. तो उसे टेंपरेचर को मेंटेन करने के लिए पशुओं को काफी दिक्कत होती है. पालतू पशु वातावरण के हिसाब से अपने शरीर को ढाल लेते हैं और टेंपरेचर को मेंटेन कर लेते हैं. लेकिन उसकी भी एक सीमा होती है. ज्यादा टेंपरेचर गिरने पर वह स्ट्रेस में आते हैं और पशुओं में जितने भी बीमारियां हैं सब स्ट्रेस के कारण ही होती है.
छोटे जानवरों का रखें खास ख्याल
राकेश तिवारी कहते हैं कि खासतौर पर देखा जाए तो जो छोटे जानवर हैं उनमें यूनिटी सिस्टम लो हैं. जैसे नवजात बच्चे हैं नवजात पशु हैं. तो उसमें बीमारियां ज्यादा होती हैं. डायरिया के कारण ठंड में 30 से 35% नवजात पशु के मृत्यु हो जाती है.
देखभाल और बचाव कैसे करें
राकेश तिवारी बताते हैं कि ठंड में टेंपरेचर काफी नीचे हो जाता है और ठंडी हवाएं भी बहुत चलती हैं. ऐसे में अपने पशुओं को ऐसी जगह पर रखना चाहिए जहां पर ठंड हवा का प्रवेश न हो.
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नहीं तो दूध की क्षमता होगी प्रभावित
अगर आप सर्दी के मौसम में जानवरों का खास ख्याल नहीं रखेंगे तो उनकी दूध देने की क्षमता प्रभावित होती है. बहुत से जानवर तो दूध देना ही बंद कर देते हैं. इससे बचने के लिए जरूरी है कि आप पहले से ही सावधानी बरतें.
Tags: Agriculture, Local18
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