हरिकांत शर्मा/आगरा: आपको जानकर हैरानी होगी कि एक बैक्टीरिया आपके खेत की उर्वरा शक्ति को बढ़ा सकता है. खेतों में केमिकल युक्त खाद्य पदार्थ डालने की जरूरत नहीं होगी. गुणवत्ता भी बढ़ेगी और तो और जो फसल आप खेत में उगा रहे हैं वह पोषक तत्वों से भी भरपूर होगी. यह सब एक बैक्टीरिया की बदौलत मुमकिन हो सकेगा. अब तक ज्यादातर किसान सोचते हैं कि फसलों में जितना केमिकल युक्त खाद का इस्तेमाल करेंगे, फसल उतनी ही अच्छी होगी .लेकिन यह पूरी तरीके से सच नहीं है.
किसानों के लिए बड़े काम का है यह बैक्टीरिया
रासायनिक खाद और कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग से घटती मिट्टी की उत्पादन क्षमता को सुधारने के लिए राइजो बैक्टीरिया की कोडिंग तकनीक प्रभावी साबित हो सकती है. यह जानकारी कानपुर सीएसजेएम विश्वविद्यालय की शोधकर्ता श्रेया वर्मा ने खंदारी परिसर स्थित जेपी सभागार में तीन दिवसीय ‘इंटरनेशनल कांफ्रेंस इन मल्टीडिसिप्लिनरी रिसर्च एंड प्रैक्टिस फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट एंड इनोवेशन’ में अपने शोध पत्र प्रस्तुत करते हुए दी. कौशाम्बी फाउंडेशन, डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय और डिपार्टमेंट ऑफ फिजिकल एजुकेशन एंड स्पोर्ट्स के संयोजन में आयोजित इस कार्यशाला में देशभर से 350 से अधिक प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं.
मिट्टी की उत्पादकता में भारी कमी का खतरा
श्रेया वर्मा ने बताया कि आने वाले 25 वर्षों में हैवी मेटल्स, विशेष रूप से कैडमियम के कारण मिट्टी की उत्पादकता में 90% तक की कमी आने का अनुमान है. उनके शोध में झारखंड, कोटा, सोनभद्र और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के थर्मल पावर प्लांट और कोयला खदानों वाले क्षेत्रों की मिट्टी में भारी धातुओं की अधिकता पाई गई, जिससे खेतों की उत्पादन क्षमता घट रही है.
राइजो बैक्टीरिया से खेती में कैसे लाएगा क्रांति
अब यह जानते हैं कि यह रायजो बैक्टीरिया खेती के लिए कैसे फायदेमंद साबित होगा. इस पर रिसर्चर श्रेया वर्मा का कहना है कि राइजो बैक्टीरिया की कोडिंग से न केवल फसलों की पैदावार बढ़ाई जा सकती है, बल्कि इससे उत्पाद स्वास्थ्यवर्धक भी होते हैं. जिन फसलों को हम खेतों में बोने जा रहे हैं उन फसलों के बीजों पर रायजो बैक्टीरिया की सिर्फ कोटिंग करनी है. बाकी यह बैक्टीरिया सारा काम खुद ब खुद कर लेगा. इसके इस्तेमाल में खर्च भी कम होगा. महंगे और केमिकल युक्त रसायन उर्वरकों की जरूरत भी नहीं होगी. यह तकनीक खेती की पारंपरिक विधियों में बड़ा बदलाव ला सकती है. उनका यह शोधकार्य पेटेंट के लिए पब्लिश हो चुका है. कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए विशेषज्ञों ने इस तरह के शोध कार्यों को कृषि और पर्यावरण संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण बताया.
Tags: Hindi news, Local18
FIRST PUBLISHED : December 30, 2024, 12:08 IST
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