मृदा विज्ञान और कृषि रसायन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. अशोक कुमार सिंह ने कहा, ‘सूरजमुखी की खेती ठंडी, बरसात और गर्मी के सीजन में भी की जा सकती है. परंतु फरवरी माह में सूरजमुखी की खेती बहुत प्रख्यात है. इसकी खेती के लिए किसान अपने खेत की तैयारी करना शुरू कर दें. इसका शुद्ध तेल बहुत उपयोगी, लाभकारी और गुणकारी होता है.’
90 से 100 दिनों में फसल तैयार
एक बीघे में सूर्यमुखी की खेती के लिए लगभग 3 किलो बीज पर्याप्त है. सूरजमुखी में दो तरह की प्रजाति होती है. पहली कंपोजिट, कंपलेक्स और दूसरी हाइब्रिड है. हाइब्रिड प्रजाति बाजार में आसानी से मिल जाती है. हाइब्रिड में सूर्य और ज्वाला प्रजाति का प्रकार काफी चर्चित है. यह फसल लगभग 90 से 100 दिनों में तैयार हो जाती है. सबसे बड़ी बात सूरजमुखी की खेती में बीमारी और कीड़ों की समस्या बहुत कम आती है.
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ऐसे करें बुवाई और देखरेख
इसके बुवाई का सही समय 15 फरवरी से 15 मार्च के बीच होता है. इसकी खेती बालुई, दोमट और काली मिट्टी में काफी अच्छी होती है. पोषक तत्वों में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश का प्रयोग करते समय 90% वाला गंधक का भी इस्तेमाल करना चाहिए. बाजार में भी इसका अच्छा खासा कीमत मिल जाता है. एक बीघे में कम से कम 5 से 6 क्विंटल सूरजमुखी की पैदावार मिल जाती है. सूरजमुखी में लगभग 50% तेल निकल जाता है. इसके पत्तियों को पशु नहीं खाते इसलिए नुकसान भी नहीं पहुंच पाता है. इसकी खेती में बहुत ज्यादा सिंचाई की भी आवश्यकता नहीं पड़ती है.
आजकल कई किसान अलग-अलग तरह के प्रयोग खेती-किसानी में कर रहे हैं. अगर आप भी कुछ अलग कर मुनाफा पाना चाहते हैं तो सूरजमुखी की खेती एक अच्छा विकल्प है.
Tags: Agriculture, Local18
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