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हाइलाइट्ससंभल में 24 नवंबर को हुए हिंसा के बाद से जिला प्रशासन एक्शन मोड में है संभल में जामा मस्जिद के आसपास के क्षेत्र में खुदाई का दौर बदस्तूर जारी है संभल में के रहने वाले राष्ट्रबंधु रस्तोगी ने 1986 के दंगों सच बयां किया है

संभल. उत्तर प्रदेश का संभल कई बार दंगों की भेंट चढ़ चुका है, फिर चाहे वो 1978 हो या 1986 और 2024 … हर बार इस जगह से पलायन की ही खबरें सामने आई. 1986 में सम्भल में हुए दंगे में अपने पिता को खो चुके राष्ट्रबंधु रस्तोगी ने वो आपबीती सुनाई जिसे सुनकर किसी के भी रोंगटे खड़े हो जाएंगे. उनका दावा है कि उनके पिता भगवत शरण को सिर्फ इसलिए मौत के घाट उतार दिया गया था, क्योंकि वो पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने ने संभल में RSS को किया था. उनकी हत्या उनके ही शागिर्द कल्लू ने धोखे से दुकान के अंदर बुलाकर की थी.

दरअसल, उत्तर प्रदेश के संभल जिला दंगों के लिए कुख्यात रहा है. यहां हुए दंगों के पीछे की दर्दनाक कहानियां पीड़ितों के अलावा शायद ही किसी और को हो. अब जब संभल में एक बार फिर हिंसा हुई और योगी सरकार ने कार्रवाई शुरू की तो एक-एक कर सभी पीड़िता सामने आ रहे हैं. उनकी कहानियां रौंगटे खड़ी करने वाली हैं. चाहे वह विष्णु रस्तोगी के पिता की कहानी हो जिसका जिक्र खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में किया था, या फिर राष्ट्रबंधु रस्तोगी की. सभी की कहानी दिल को झकझोर देने वाली है. साथ ही कई सवाल भी खड़ी कर रही है कि आजाद हिंदुस्तान में एक वर्ग के साथ जुल्म हुआ और एक भी आरोपी को कैसे सजा नहीं मिली. उस वक्त की सरकारें क्या कर रही थीं?

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केस लड़ते-लड़ते आधी जिंदगी गुजार दी, पर नहीं मिला न्याय
कई साल पहले खग्गू सराय छोड़कर पलायन करने वालों में राष्ट्रबंधु भी थे. परिवार संग पलायन करके वे संभल के कोटपूर्वी इलाके में बस गए. राष्ट्रबंधु के मुताबिक उनके पिता ने RSS को संभल में स्थापित किया था, जिनकी हत्या 1986 के दंगों में कर दी गई थी. उनके बेटे ने सभी आरोपियों के खिलाफ केस लड़ते लड़ते आधी उम्र गुजार दी, लेकिन गवाहों के पलट जाने की वजह से उन्हें इंसाफ नहीं मिल सका. संभल में पलायन का दंश झेल चुके राष्ट्रबंधु रस्तोगी ने बताया कि खग्गू सराय में जिस जगह मंदिर सामने आया है, पहले वहां कई हिन्दू परिवारों की रिहाइश थी. लेकिन जब जब संभल में हिंसा हुई उसके बाद वहां से लोगों ने पूरी तरह से पलायन कर लिया.

सुनाई दंगों की खौफनाक कहानी
कभी कई गोदामों के मालिक रहे राष्ट्रबंधु सब खो चुके हैं और अब बुढ़ापे में परिवार को चलाने के लिए पोस्ट ऑफिस का काम करते हैं. उन्होंने अपने पिता के साथ हुई पूरी वारदात को सिलसिलेवार न्यूज़18 के कैमरे के सामने बताया जो काफी खौफनाक था. जब वो अपने पिता को इंसाफ दिलाने के लिए कोर्ट जाया करते थे तो कई बार आरोपियों ने उन पर जानलेवा हमला भी कर दिया. उनका कहना था कि 24 नवंबर को हुई हिंसा में पुलिस यहां नहीं होती तो शायद बहुत कुछ हो जाता.

जिसने बचाने के लिए बुलाया उसी ने कर दी हत्या
राष्ट्रबंधु रस्तोगी ने बताया कि संभल में जब दंगा हुआ तब उनके पिता चीनी लेने निकले हुए थे. दंगाई  पीछे की तरफ से आए. इनके पिता का समाज में नाम था और वो एक संगठन से जुड़े हुए थे. ऐसे में दंगों के बीच एक दुकानदार ने उन्हें यह कहकर बुलाया कि वो अंदर आ जायेंगे तो बच जाएंगे. लेकिन उनको क्या पता था जिसने बचाने बुलाया है वही जान लेगा. राष्ट्रबंधु रस्तोगी की माने तो इनके पिता को अंदर बुलाकर दुकान का शटर को बंद कर दिया गया. इसके बाद इनके पिता को चाकू से मारा गया. बर्फ काटने वाले कटनी से गर्दन के नीचे से सर तक घाव दिया गया. पहले प्रताड़ित किया और फिर मार दिया. मारने के बाद इनकी बॉडी को बोरे में डालकर फेंक दिय. जब अगले दिन राष्ट्रबंधु पने पिता को ढूंढ़ने निकले तो पिता की लाश बोरे में बंद मिली. वैसे तो इस घटना को कई साल हो गए, लेकिन राष्ट्रबंधु रस्तोगी आज भी उसे याद कर सिहरने लगते हैं.

Tags: Sambhal News, UP latest news

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