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नई दिल्‍ली. टाटा संस के आईपीओ के इंतजार में बैठै निवेशकों के लिए बड़ी खबर है. अब कंपनी के आईपीओ का मुद्दा सरकार के पास पहुंच चुका है. चार बार के लोकसभा सांसद कौशलेंद्र कुमार ने बाकायदा पत्र लिखकर सरकार से मामले में हस्‍तक्षेप करने की गुजारिश की है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को लिखे पत्र में चार बार के सांसद ने इस मामले पर गौर करने का अनुरोध किया है, क्योंकि इससे भारत सरकार और आरबीआई जैसी संस्था की छवि पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है.

टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस को सितंबर 2023 में आरबीआई के स्केल-आधारित विनियमन (एसबीआर) ढांचे के तहत एक व्यवस्थित रूप से महत्वपूर्ण इकाई के रूप में वर्गीकृत किया गया था. इसके तहत कंपनी को अपने शेयरों को सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध करना है. हालिया रिपोर्टों से पता चलता है कि टाटा संस सार्वजनिक लिस्टिंग से बचते हुए खुद को एक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) के रूप में पंजीकरण सरेंडर करना चाहता है. इसके लिए उसने आरबीआई के पास इसी साल आवेदन भी किया है.

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आरबीआई की साख को लग सकता है धक्‍का
पहले भी कुछ विश्लेषकों ने चिंता जताई थी कि अगर टाटा संस को राहत मिलती है तो यह कदम एक खतरनाक मिसाल कायम कर सकता है और एसबीआर ढांचे की पारदर्शिता और गवर्नेंस उद्देश्यों को कमजोर कर सकता है. इस महीने की शुरुआत में एक व्यक्ति द्वारा आरबीआई को कानूनी नोटिस भी भेजा गया था. टाटा ट्रस्ट के उपाध्यक्ष और टाटा संस के निदेशक वेणु श्रीनिवासन की दोहरी भूमिका इस मामले को और जटिल बना रही है. श्रीनिवासन आरबीआई में निदेशक के रूप में भी हैं. आलोचकों का तर्क है कि दोनों संस्थाओं में श्रीनिवासन का प्रभाव हितों का टकराव पैदा कर सकता है, जो संभावित रूप से टाटा संस के पक्ष में फैसले को प्रभावित कर सकता है.

सांसद ने क्‍या लिखा
सांसद ने पत्र में लिखा, ‘सरकार को आरबीआई की नियामक प्रक्रियाओं की अखंडता सुनिश्चित करनी चाहिए और कॉर्पोरेट हितों से किसी भी अनुचित प्रभाव को रोकना चाहिए. हस्तक्षेप के लिए सांसद का आह्वान निष्पक्षता और पारदर्शिता की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है, खासकर जब टाटा संस जैसी प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण संस्थाओं के विनियमन की बात आती है. इस मामले को एक मजबूत और पारदर्शी वित्तीय प्रणाली बनाए रखने की आरबीआई की प्रतिबद्धता के लिए एक महत्वपूर्ण परीक्षण के रूप में देखा जाता है. इस परिणाम का भारत में बड़ी वित्तीय संस्थाओं के लिए भविष्य के नियामक निरीक्षण और गवर्नेंस मानकों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा.

कब तक होनी है लिस्टिंग
आरबीआई के एसबीआर कानून के तहत टाटा संस का आईपीओ सितंबर, 2025 तक शेयर बाजार में लिस्‍ट होना है. इस नियम के तहत सभी बड़ी एनबीएफसी को शेयर बाजार में सार्वजनिक होना जरूरी है. आरबीआई की ओर से निर्देश जारी होने के बाद कई एनबीएफसी अभी तक लिस्‍ट हो चुकी हैं. अगर टाटा संस को इससे छूट दी जाती है तो अन्‍य कंपनियां भी ऐसी ही मांग करेंगी.

Tags: Business news, IPO, Ratan tata, Share market

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