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हमने सोचा था, CBI जांच करेगी तो हमारी बेटी को न्याय मिलेगा, लेकिन आरोपियों को जमानत मिलने के बाद लग रहा है कि सिस्टम हमें ही हराने की कोशिश कर रहा है।
कोलकाता में रेप-मर्डर की शिकार ट्रेनी डॉक्टर की मां ने 13 दिसंबर को दो आरोपियों को जमानत मिलने के बाद ये बात कही थी। 9 अगस्त को आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में हुई घटना के 4 महीने से ज्यादा बीत चुके हैं। इस दौरान देश के दो नामी वकील पीड़ित का केस छोड़ चुके हैं।
12 दिसंबर को ट्रायल कोर्ट में पीड़ित का पक्ष रखने वाला कोई नहीं था। अगले दिन तीन में से दो आरोपियों को जमानत मिल गई। CBI जांच से निराश होकर पीड़ित का परिवार 19 दिसंबर को हाईकोर्ट पहुंचा और नए सिरे से जांच की मांग की।
अब सवाल यह है कि घटना को लेकर अचानक शुरू से जांच की मांग क्यों उठी? 9 अगस्त से दिसंबर में अब तक ऐसा क्या हुआ? आरोपियों को जमानत कैसे मिल गई? अब पीड़ित परिवार का केस कौन लड़ेगा? दैनिक भास्कर ने इसकी पड़ताल की। पढ़िए ये रिपोर्ट-
ट्रेनी डॉक्टर की मां बोली- पुलिस ने हत्यारों को नहीं पकड़ा पीड़ित की मां ने बताया, ‘मेरी बेटी के हत्यारों को पहले दिन ही गिरफ्तार किया जा सकता था, लेकिन कोलकाता पुलिस ने कोशिश ही नहीं की। CBI ने घटना के 1 महीने बाद जब पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष और ताला पुलिस स्टेशन के पूर्व प्रभारी अभिजीत मंडल को पकड़ा था, तो हमें लगा था कि न्याय मिलेगा, लेकिन नहीं।’
‘CBI को उनके खिलाफ 13 दिसंबर तक कोर्ट में चार्जशीट दाखिल करना था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसके कारण दोनों आरोपियों को जमानत मिल गई। हम CBI जांच से बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं हैं। अगर CBI ठीक से जांच कर रही है, तो गिरफ्तारी के 90 दिनों के भीतर चार्जशीट दाखिल क्यों नहीं किया?’
पीड़ित के पिता बोले- आरोपी बहुत ताकतवर, हमारी जान भी ले सकते हैं ट्रेनी डॉक्टर के पिता ने कहा, ‘आरोपी बहुत ताकतवर हैं। हम मामूली लोग हैं। हम इंसाफ के लिए कानूनी तरीके से ही लड़ सकते हैं। हमें हाईकोर्ट ने 19 दिसंबर को भरोसा दिया है कि जरूरत पड़ी तो वह खुद मामले की निगरानी करेगा।’
क्या आपको डर लग रहा है? इस सवाल पर ट्रेनी डॉक्टर के पिता ने कहा, ‘डर! किस बात का डर? वो हमारी जान ले सकते हैं। इससे ज्यादा क्या करेंगे। हमें मौत का डर नहीं है। हम किसी भी कीमत पर न्याय लेकर रहेंगे। चाहे कुछ भी हो, हम हिम्मत नहीं हारेंगे।’
केस छोड़ने वाले दो वकील कौन, पीछे हटने की वजह क्या?
पीड़ित के परिवार ने सबसे पहले सीनियर एडवोकेट बिकास रंजन भट्टाचार्य को अपॉइंट किया था। भट्टाचार्य और उनकी टीम सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट और सियालदह कोर्ट में उनका प्रतिनिधित्व कर रही थी। भट्टाचार्य ने मामले में CBI जांच की मांग करने में अहम भूमिका निभाई थी।
ट्रेनी डॉक्टर के पिता ने बताया, ‘हम चाहते थे कि भट्टाचार्य हाईकोर्ट और सियालदह कोर्ट में हमारा केस लड़ें। सुप्रीम कोर्ट के लिए हम कोई दूसरा वकील ढूंढ रहे थे। भट्टाचार्य को यह बात पसंद नहीं आई और उन्होंने सभी अदालतों में हमारा केस छोड़ दिया।’
सूत्रों के मुताबिक, भट्टाचार्य की व्यस्तता के कारण पीड़ित परिवार को नया वकील ढूंढना पड़ा था। सुप्रीम कोर्ट के रिकॉर्ड के मुताबिक, भट्टाचार्य ने 20 अगस्त, 22 अगस्त और आखिरी बार 9 सितंबर को पीड़ित परिवार का प्रतिनिधित्व किया था।
सितंबर से एडवोकेट वृंदा ग्रोवर और उनकी टीम ने पीड़ित परिवार को सभी अदालतों में रिप्रजेंट किया। 11 दिसंबर को वृंदा ग्रोवर और उनकी टीम ने खुद को केस से अलग कर लिया और एक बयान जारी कर कहा-
कुछ रुकावट पैदा करने वाली परिस्थितियों के कारण वृंदा ग्रोवर इस मामले में से हटने के लिए विवश हैं। अब वह पीड़ित परिवार का प्रतिनिधित्व नहीं करेंगी। ग्रोवर के चैंबर ने सितंबर, 2024 से सभी अदालतों के समक्ष पीड़ित परिवार को फ्री कानूनी सेवाएं दी और उनका प्रतिनिधित्व किया।
वृंदा ग्रोवर ने केस लड़ने से क्यों मना कर दिया?
पीड़ित के पिता ने कहा, ’12 दिसंबर को केस की सुनवाई होने वाली थी। उससे एक दिन पहले वृंदा ग्रोवर ने मुझे मैसेज किया और कहा कि वो हमारा केस नहीं लड़ेंगी। इसके अलावा उन्होंने कुछ नहीं बताया।’
’12 दिसंबर को कोर्ट में हमारी बात रखने के लिए कोई वकील नहीं था। अगले दिन पूर्व प्रिंसिपल और पूर्व थाना प्रभारी को जमानत मिल गई। वृंदा ग्रोवर ने हमारे साथ जो किया, वो पूरी तरह से विश्वासघात है। हम सही समय आने पर इस विश्वासघात का जवाब जरूर देंगे।’
भट्टाचार्य बोले- आरोपी सत्ता में बैठे लोगों के करीबी बिकास रंजन भट्टाचार्य ने अपनी जगह वृंदा ग्रोवर की नियुक्ति और फिर अचानक केस से हटने पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। आरोपियों की तरफ से केस प्रभावित करने की आशंका पर उन्होंने कहा, ‘
आरोपी सत्ता में बैठे लोगों के बेहद करीबी हैं। इसलिए अगर केस प्रभावित होता है, तो ज्यादा हैरानी की बात नहीं होगी। हालांकि, हालात चाहे जितने भी खराब हों, हम कानून पर भरोसा करने के अलावा और कुछ नहीं कर सकते।
अब पीड़ित परिवार का केस कौन लड़ेगा? वृंदा ग्रोवर के केस छोड़ने के बाद पीड़ित परिवार ने डॉक्टरों से मदद की गुहार लगाई। पश्चिम बंगाल जॉइंट प्लेटफॉर्म ऑफ डॉक्टर्स (WBJPD) ने कई वकीलों के साथ उनकी बात करवाईं।
इसके बाद पीड़ित परिवार ने सीनियर एडवोकेट करुणा नंदी से उनका पक्ष रखने की अपील की। करुणा सुप्रीम कोर्ट में आरजी कर रेप-मर्डर मामले को लेकर पहले से ही डॉक्टरों का प्रतिनिधित्व कर रही हैं।
WBJPD के सीनियर मेंबर डॉ. कौशिक चाकी ने बताया, ‘एडवोकेट करुणा ने वीडियो कॉल पर ट्रेनी डॉक्टर के परिवार से बात की थी। फिर उनका केस लड़ने के लिए मान गईं। उनके चैंबर के एडवोकेट सुदीप्त मैत्रा हाईकोर्ट में पीड़ित की वकालत करेंगे। सियालदह कोर्ट में एडवोकेट राजदीप हलधर, एडवोकेट अमर्त्य डे और एडवोकेट त्वरित ओझा पीड़ित का केस लड़ेंगे।
‘4 महीने बाद भी पीड़ित की मां की गवाही नहीं हुई’ डॉ. कौशिक चाकी ने दावा किया कि CBI ने अब तक ट्रेनी डॉक्टर की मां की गवाही नहीं ली है। डॉ. चाकी के मुताबिक, ‘गवाहों की लिस्ट में 123 लोगों के नाम थे। 4 नवंबर से अब तक 50 लोगों की अदालत में गवाही हो चुकी है। इनमें पीड़िता के पिता और CBI अधिकारी सीमा पाहुजा भी शामिल थीं।’
‘हालांकि, CBI ने 4 महीने के दौरान ट्रेनी डॉक्टर की मां की गवाही नहीं ली। 19 दिसंबर को हाईकोर्ट को इसकी जानकारी दी गई है। जस्टिस तीर्थंकर घोष ने CBI से 24 दिसंबर को स्टेटस रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।’
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, CBI ने उन चार डॉक्टर के भी बयान लिए थे, जिनके साथ पीड़ित ने 9 अगस्त की रात सेमिनार रूम में खाना खाया था। इनके अलावा दिल्ली फोरेंसिक टीम के सात डॉक्टरों, कोलकाता फोरेंसिक टीम के तीन और चंडीगढ़ फोरेंसिक टीम के एक डॉक्टर से भी पूछताछ हुई थी।
कोलकाता के प्रेसीडेंसी जेल में 25 अगस्त को फोरेंसिक टीम ने संजय का पॉलीग्राफ टेस्ट किया था।
मुख्य आरोपी संजय से जज ने 100 से ज्यादा सवाल पूछे 20 दिसंबर को रेप-मर्डर के मुख्य आरोपी संजय रॉय को सियालदह ट्रायल कोर्ट में पेश किया गया। उसे सुबह 11 बजे जेल वैन से कोर्ट लाया गया। जज ने उससे 6 घंटे तक पूछताछ की। इस दौरान उससे 100 से ज्यादा सवाल पूछे गए। ट्रायल कोर्ट में संजय रॉय ने फिर से दोहराया कि उसे फंसाया गया है।
संजय ने 11 नवंबर को वैन के अंदर से चीखते हुए खुद को बेगुनाह बताया था।
इससे पहले 11 नवंबर को जब सियालदह कोर्ट में पेशी के बाद उसे वापस ले जाया जा रहा था, तब उसने पुलिस वैन से चीखकर कहा था, ‘मैं आपको बता रहा हूं कि वह विनीत गोयल था, जिसने पूरी घटना की साजिश रची और मुझे फंसाया।’
संजय ने 4 नवंबर को पहली बार ममता सरकार पर आरोप लगाया था। सियालदह कोर्ट में पेशी के बाद पुलिस जब उसे बाहर लेकर निकली तो वह पहली बार कैमरे पर कहता नजर आया कि ममता सरकार उसे फंसा रही है। उसे मुंह न खोलने की धमकी दी गई है।
CBI ने कहा था- ट्रेनी डॉक्टर का गैंगरेप नहीं हुआ आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के सेमिनार हॉल में 9 अगस्त को ऑन-ड्यूटी ट्रेनी डॉक्टर का शव मिला था। रेप-मर्डर के आरोप में पुलिस ने संजय रॉय को गिरफ्तार किया था। वह कोलकाता पुलिस के साथ सिविक वॉलंटियर के रूप में काम कर रहा था।
CBI ने 7 अक्टूबर को हाईकोर्ट में चार्जशीट दायर की, जिसमें संजय को रेप-मर्डर का एकमात्र आरोपी बताया था। एजेंसी ने बताया कि ट्रेनी डॉक्टर का गैंगरेप नहीं हुआ था।
डॉ. चाकी ने बताया कि 23 दिसंबर को हाईकोर्ट में रेप-मर्डर मामले का उल्लेख किया जाएगा। ट्रायल कोर्ट में 2 जनवरी और सुप्रीम कोर्ट में 17 मार्च को सुनवाई है। अगर 17 मार्च से पहले पीड़ित के पक्ष में केस से जुड़ा कोई बड़ा डेवलपमेंट नहीं हुआ, तो एडवोकेट करुणा नंदी सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को उठा सकती हैं।
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