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Success Story, MBBS Doctor Story: ये कहानी है डॉक्टर लोकेन्द्र गुप्ता की. मध्य प्रदेश के गुना में जन्मे लोकेन्द्र के पिताजी बैंक में काम करते थे. साधारण परिवार के लोकेन्द्र की शुरुआती पढ़ाई ग्वालियर के केंद्रीय विद्यालय से हुई. इसके बाद लोकेन्द्र ने वर्ष 2003 में पीएमटी की परीक्षा दी, लिहाजा चयन एमबीबीएस के लिए हो गया. लोकेन्द्र ने गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद 2010 में एमडी की पढ़ाई के लिए उनका एडमिशन लखनऊ के केजीएमसी में हो गया.

इसके बाद लोकेन्द्र यहीं नहीं रुके. उन्होंने मेडिकल सेक्टर की पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल डिग्री डिप्लोमेट ऑफ नेशनल बोर्ड (DNB) के लिए प्रयास किया. इसमें भी उन्हें सफलता मिल गई. यह एक तीन साल का पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स होता है, जिसमें मेडिकल और सर्जिकल की एडवांस्ड मेडिकल ट्रेनिंग दी जाती है. इतने सारे कोर्सेज के बाद लोकेन्द्र को एक जाने-माने हॉस्पिटल में नौकरी मिल गई, जहां उन्होंने क्रिटिकल आईसीयू की मॉनिटरिंग की.

Jobs in London: फिर चले गए लंदन
भारत में काम करते-करते लोकेन्द्र को लंदन के एक अस्पताल में नौकरी का ऑफर आया. लोकेन्द्र ने अन्य युवाओं की तरह विदेश जाने के लिए हामी भर दी और वे चले भी गए. लोकेन्द्र कहते हैं कि वे लंदन के जिस अस्पताल में काम करते थे, वहां उन्होंने इमरजेंसी की व्यवस्थाओं को जब देखा और वहां काम करके जो सीखा, उन्हें लगा कि इन चीजों का भारत के अस्पतालों में काफी अभाव है. इसी बात ने उन्हें वतन वापसी के लिए प्रेरित करना शुरू कर दिया.

Indian Hospitals: और लौट आए भारत
लोकेन्द्र ने देश के अस्पतालों की इमरजेंसी में होने वाली व्यवस्थाओं में सुधार लाने की ठानी और वापस भारत लौट आए. लोकेन्द्र कहते हैं, “इतनी मेहनत से डॉक्टरी की पढ़ाई लोगों की जिंदगियां बचाने के लिए की जाती है, लेकिन यहां इमरजेंसी में जानकारी के अभाव के कारण रोजाना हजारों जानें जाती हैं.” लोकेन्द्र कहते हैं कि इमरजेंसी के कुछ घंटे किसी भी मरीज के लिए गोल्डन ऑवर होते हैं. अगर उस समय अच्छा इलाज मिल जाए तो मरीज को बचाया जा सकता है.

Doctors Training: डॉक्टरों को देते हैं ट्रेनिंग
लोकेन्द्र कहते हैं कि ब्रिटेन में काम करने के दौरान उन्हें काफी कुछ सीखने को मिला. उन्हीं बारीकियों को देश के तमाम अस्पतालों में काम करने वाले इमरजेंसी के डॉक्टरों को सिखाने के लिए उन्होंने एक संस्था सोसायटी फॉर एक्यूट केयर (Sactem) बनाई. इसके माध्यम से वे उन तमाम डॉक्टरों को ट्रेनिंग दे रहे हैं, जो इमरजेंसी के गोल्डन ऑवर में काम करते हैं. लोकेन्द्र को हाल ही में महाकुंभ 2025 में ड्यूटी करने वाले सरकारी डॉक्टरों को भी ट्रेनिंग देने की जिम्मेदारी मिली है. बता दें कि इस बार प्रयागराज महाकुंभ में 40 करोड लोगों के आने का अनुमान है इसलिए यहां पहले से ही इमरजेंसी सर्विसेज तैयार की जा रही है. लोकेन्‍द्र भी यहां अहम भूमिका निभाने जा रहे हैं. इस तरह लोकेन्द्र एमबीबीएस करने के बाद लाखों जिंदगियों को बचाने की दिशा में काम कर रहे हैं. यह उन तमाम युवाओं के लिए प्रेरक है, जो आगे चलकर डॉक्टर बनना चाहते हैं.

Tags: Aiims doctor, MBBS student, NEET, Neet exam

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