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सुप्रीम कोर्ट
– फोटो : पीटीआई

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सुप्रीम कोर्ट ने देश की राजधानी में बढ़ते अनुपचारित ठोस कचरे पर चिंता जाहिर की है। शीर्ष अदालत ने दिल्ली सरकार और दिल्ली नगर निगम से यह बताने के लिए कहा कि अथॉरिटी ने ठोस कचरा प्रबंधन के लिए 2016 के नियमों के तहत निर्धारित समयसीमा का कितना पालन किया है।

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जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने बृहस्पतिवार को दिल्ली वायु प्रदूषण संकट और संबंधित मुद्दों से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही थी। दिल्ली सरकार के हलफनामे पर गौर करने के बाद जस्टिस ओका ने टिप्पणी की, एमसीडी क्षेत्र में 3000 मीट्रिक टन कचरा अनुपचारित है। 2027 तक यह 6000 मीट्रिक टन हो जाएगा। कृपया हलफनामा दाखिल कर हमें बहुत ईमानदारी से बताए कि नियमों में से कौन सी समयसीमा का अनुपालन किया गया है और कौन सी नहीं।

अदालत ने दिल्ली सरकार को 27 जनवरी तक एक बेहतर हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया। कोर्ट ने विशेष रूप से गाजीपुर और भलस्वा में कचरे के अवैध डंपिंग के कारण लगाने वाले आग को रोकने के लिए किए गए उपायों का विवरण देने के लिए कहा है। सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार व दिल्ली नगर निगम की वकील मेनका गुरुस्वामी और न्याय मित्र वरिष्ठ वकील अपराजिता सिंह के बीच इस बात पर बहस हुई कि क्या अथॉरिटी कचरे की समस्या से निपटने के लिए पर्याप्त कदम उठा रहे हैं। 

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