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सीहोर के आष्टा में शुक्रवार सुबह पत्नी के साथ फांसी लगाकर खुदकुशी करने वाले कारोबारी मनोज परमार ने सुसाइड नोट में ईडी पर परेशान करने के आरोप लगाए थे। इस मामले में शनिवार को ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने अपना बयान जारी किया है।

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ईडी की ओर से कहा गया कि मनोज परमार के घर पर कानूनी प्रक्रिया के तहत ही सर्चिंग की थी। उन्हें बयान के लिए भोपाल कार्यालय में बुलाया था, लेकिन वे अपनी पत्नी के साथ हाजिर नहीं हुए।

ई़डी ने मनोज परमार को आदतन अपराधी बताया। कहा कि उनके खिलाफ बलात्कार, बैंक अफसरों को धमकाना और धोखाधड़ी के कई अन्य मामले दर्ज हैं। ईडी ने ये भी कहा कि 5 दिसंबर को अलावा ईडी का कोई अधिकारी कभी उनके घर नहीं गया।

मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध के लिए की थी जांच ईडी की ओर से कहा गया कि एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना में मनोज परमार और उनकी पत्नी ने आत्महत्या कर ली। उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध के लिए जांच की जा रही थी। 5 दिसंबर 2024 को सर्चिंग की गई थी। अपराध से संबंधित सबूत जुटाने के लिए पड़ताल की गई। संपत्तियों से संबंधित दस्तावेज और अन्य आपत्तिजनक दस्तावेज तलाशी के दौरान जब्त किए गए थे। ईडी की ओर से कहा गया कि जांच के दौरान यह पता चला है कि मनोज परमार एक आदतन अपराधी था। उसके खिलाफ कई अन्य आपराधिक मामले दर्ज थे।

बैंक धोखाधड़ी का मास्टर माइंड था मनोज ईडी ने कहा कि मनोज परमार बैंक धोखाधड़ी का मुख्य आरोपी और मास्टर माइंड था। फर्जी कोटेशन, जाली बिल, पत्र और पावती का उपयोग करके उसने एक आपराधिक साजिश रची थी। बाद में कर्ज की राशि का उसने कहीं और उपयोग कर लिया, जिससे बैंक को सब्सिडी समेत 6.20 करोड़ रुपए नुकसान हुआ।

ईडी ने बताया कि प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम और मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना के तहत 32.5 लाख रुपए लिए गए थे। मनोज परमार ने ऋण राशि का उपयोग कभी भी बताए गए उद्देश्य के लिए नहीं किया था। मनोज परमार ने अन्य लोगों के साथ मिलकर ऋण राशि को मेसर्स परमार मशीनरी और कृषि सेवा केंद्र प्रॉप को हस्तांतरित कर दिया था।

​​​​​​गवाहों की मौजूदगी में की गई थी सर्चिंग ईडी ने कहा है कि 5 दिसंबर 2024 को पीएमएलए की धारा 17 के तहत तलाशी ली गई। यह तलाशी कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए ली गई थी। ये काम दो गवाहों की मौजूदगी में किया गया, इनमें एसबीआई की एक महिला और एक पुरुष अधिकारी शामिल थे।

मनोज ने भाभी के नाम पर बनाई थी फर्म ईडी ने बताया कि सर्च के दौरान कई आपत्तिजनक दस्तावेज मिले। परमार के एक परिसर का उपयोग रजिस्टर्ड पते के रूप में किया जा रहा है। इसे किसी अन्य व्यक्ति सुमेर परमार द्वारा 2006 से उपयोग किया जाना पाया गया। ईडी की ओर से कहा गया कि मनोज परमार ऋण प्राप्त करने के लिए बैंक में जाली दस्तावेज जमा करने के लिए अपने पते और कंपनी के नाम का उपयोग कर रहा था।

रिपोर्ट में बताया गया कि मनोज परमार संपत्तियों का कारोबार करता था और बाद की पूछताछ में 4 संपत्तियों की पहचान की गई। इन संपत्तियों को लेकर सब रजिस्ट्रार को भी पत्र लिखा गया है। मनोज परमार की करीबी सहयोगी और भाभी रीना परमार से भी आपत्तिजनक दस्तावेज मिले हैं। उसके नाम पर फर्मों के खाते और संपत्ति के दस्तावेज पाए गए, जिन्हें जब्त कर लिया गया।

आष्टा के शांति नगर स्थित इसी मकान में मनोज परमार परिवार समेत रहते थे।

बार-बार बयान देने के लिए समय मांगा तलाशी के दौरान मिले दस्तावेजों को लेकर बयान दर्ज करने के लिए मनोज परमार और उनकी पत्नी को ईडी ने 9 दिसंबर और 10 दिसंबर को बुलाया था। लेकिन ये दोनों नहीं आए। उनकी ओर से उनके भतीजे रोहित परमार कार्यालय आए थे। उन्होंने मनोज परमार की ओर से बताया कि वे 12 दिसंबर को दोपहर 3.30 बजे तक बयान के लिए आएंगे। ईडी ने इसकी अनुमति दी थी। लेकिन फिर पेश नहीं हुए।

ईडी ने कहा है कि इसके अलावा ईडी के किसी भी अधिकारी, कर्मचारी ने परमार से कोई संपर्क नहीं किया है। सर्चिंग के बाद आगे की जांच अभी भी जारी है।

मनोज परमार और उनकी पत्नी नेहा के शव घर में फंदे से लटके मिले थे।

सुसाइड नोट में ईडी पर प्रताड़ना के लगाए थे आरोप पुलिस के मुताबिक, मनोज परमार ने 5 पेज का सुसाइड नोट छोड़ा है। 7 पॉइंट्स के इस नोट में 5 दिसंबर को ईडी की रेड के बारे में लिखा है। अफसरों पर प्रताड़ना का आरोप लगाया है। पढ़िए, सुसाइड नोट की बड़ी बातें….

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