इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शेखर यादव के ‘कठमुल्ले देश के लिए घातक’ वाले बयान पर कपिल सिब्बल ने रिएक्शन दिया। दिल्ली में उन्होंने कहा- यह भारत को तोड़ने वाला बयान है।
राजनेता भी ऐसी बात नहीं करते हैं। वो संविधान की रक्षा के लिए बैठे हैं। उनको ये शब्द शोभा नहीं देते हैं। जज के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाएंगे। सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम को देखना चाहिए कि ऐसे लोग जज न बनें।
जस्टिस शेखर यादव 2026 में रिटायर होंगे।
जस्टिस शेखर ने और क्या-क्या कहा?
रविवार को प्रयागराज में विश्व हिंदू परिषद (VHP) के कार्यक्रम जस्टिस शेखर यादव शामिल हुए थे। इस दौरान उन्होंने कहा था- मुझे यह कहने में कोई हिचक नहीं है कि यह हिंदुस्तान है और यह देश यहां रहने वाले बहुसंख्यकों की इच्छा से चलेगा। मैं यह बात हाई कोर्ट के जज के तौर पर नहीं बोल रहा। आप अपने परिवार या समाज को ही लीजिए कि जो बात ज्यादा लोगों को मंजूर होती है, उसे ही स्वीकार किया जाता है।
लेकिन, यह जो कठमुल्ला हैं, यह सही शब्द नहीं है। लेकिन कहने में परहेज नहीं है, क्योंकि वह देश के लिए बुरा है। घातक है। देश के खिलाफ है। जनता को भड़काने वाले लोग हैं। देश आगे न बढ़े, ऐसा सोचने वाले लोग हैं। उनसे सावधान रहने की जरूरत है।
अब पढ़िए राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने क्या कहा…
राज्यसभा सांसद ने कहा- मुझे लगता है कि सुप्रीम कोर्ट को सख्त कदम उठाने चाहिए और उस शख्स को कुर्सी पर नहीं बैठने देना चाहिए। एक भी केस उसके पास नहीं जाना चाहिए।
ये पक्ष-विपक्ष की बात नहीं है, ये न्यायपालिका के स्वतंत्रता की बात है। पीएम, गृह मंत्री और सत्ता में बैठे लोग हमारा साथ दें, क्योंकि अगर वो नहीं देंगे तो लगेगा कि वो जज के साथ हैं, क्योंकि कोई ऐसा नहीं कर सकता। कोई नेता भी ऐसा बयान नहीं दे सकता है, तो एक जज कैसे दे सकता है।
पीएम और सत्ता पक्ष हमारा साथ दें और महाभियोग प्रस्ताव का साथ दें और एक संदेश दें कि कोई भी जज ऐसा बयान नहीं दे सकता है और सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम को देखना चाहिए कि ऐसे लोग जज न बनें।
जस्टिस के बयान पर किसने क्या कहा?
- यूपी में नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद ने कहा, प्रयागराज, यूपी में विश्व हिंदू परिषद के कार्यक्रम में हाईकोर्ट के जस्टिस शेखर कुमार यादव का बयान न्यायिक गरिमा, संविधान के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों और समाज में शांति बनाए रखने की जिम्मेदारी का गंभीर उल्लंघन है।
- चंद्रशेखर ने कहा, ‘कठमुल्ला’ जैसे अपमानजनक शब्दों का प्रयोग न केवल असंवेदनशील है, बल्कि यह न्यायपालिका की निष्पक्षता पर भी प्रश्न चिह्न लगाता है। ऐसे बयान समाज में सांप्रदायिक वैमनस्य को बढ़ावा देते हैं, जो न्यायपालिका जैसे पवित्र संस्थान के लिए अक्षम्य है। एक न्यायाधीश का कर्तव्य है कि वह अपने शब्दों और कार्यों के माध्यम से समाज को एकजुट करे, न कि वैमनस्य को बढ़ावा दे। ऐसे बयान न्यायपालिका की साख को कमजोर करते हैं और जनता के विश्वास को ठेस पहुंचाते हैं। न्यायाधीश का धर्म केवल न्याय होना चाहिए, न कि किसी समुदाय के प्रति पूर्वाग्रह।
- देवरिया से भाजपा विधायक शलभ मणि त्रिपाठी ने कहा, हमारे यहां बच्चा जन्म लेता है तो उसे ईश्वर की तरफ ले जाते हैं, वेद मंत्र बताते हैं, उनके यहां बच्चों के सामने बेजुबानों का बेरहमी से वध होता है, सैल्यूट है जस्टिस शेखर यादव, सच बोलने के लिए।
- पश्चिम बंगाल से टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने X पर लिखा, वीएचपी के कार्यक्रम में शामिल हुए हाईकोर्ट के मौजूदा जज, कहा- देश हिंदुओं के मुताबिक चलेगा और हम अपने संविधान के 75 वर्ष का जश्न मना रहे हैं! सुप्रीम कोर्ट, माननीय सीजेआई- क्या किसी ने स्वतः संज्ञान लिया?
1 सितंबर, 2021 को जस्टिस शेखर कुमार यादव ने कहा था कि वैज्ञानिकों का मानना है कि गाय ही एकमात्र जानवर है, जो ऑक्सीजन छोड़ती है।
अब जस्टिस शेखर कुमार यादव के बारे में जानिए…
- वर्तमान में शेखर कुमार यादव इलाहाबाद हाईकोर्ट में न्यायाधीश हैं।
- इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से 1988 में लॉ ग्रेजुएट शेखर कुमार यादव ने 1990 में वकील के रूप में अपना रजिस्ट्रेशन कराया था।
- उन्हें 12 दिसंबर, 2019 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था।
- 26 मार्च, 2021 में उन्होंने स्थायी न्यायाधीश के रूप में शपथ ली थी।
- अपनी पदोन्नति से पहले उत्तर प्रदेश राज्य के लिए स्थायी वकील रहे।
- भारत संघ के लिए अतिरिक्त स्थायी वकील रहे।
- यूपी की अदालतों में रेलवे के लिए स्थायी वकील का पद संभाला था।
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ऐसा नहीं है कि जस्टिस यादव पहली बार सुर्खियों में आए हैं। इससे पहले वह दूसरे मामलों की सुनवाई के बाद आदेश के दौरान अतिरिक्त चिंता को जाहिर करते हुए गंभीर मुद्दों पर सुझाव देते रहे हैं। पढ़ें पूरी खबर…
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